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राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए मणिपुर के दोनों पत्रकार रिहा

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Published : Jan 18, 2021, 10:14 PM IST

राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए दो पत्रकारों ने स्वीकार किया कि उन्होंने भूलवश क्रांतिकारी विचारधारा को समर्थन देने वाला लेख अपनी समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया था. गलती स्वीकार करने के बाद दोनों पत्रकारों को रिहा कर दिया गया है.

डिजाइन फोटो
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इंफाल : 'क्रांतिकारी विचारधारा को समर्थन देने वाला' लेख अपनी समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित करने के बाद राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए दो पत्रकारों ने स्वीकार किया कि भूलवश यह प्रकाशित हो गया, जिसके बाद मणिपुर पुलिस ने सोमवार को उन्हें रिहा कर दिया.

पुलिस ने फ्रंटियर मणिपुर ऑनलाइन समाचार पोर्टल के कार्यकारी संपादक पाओजेल चाओबा और प्रधान संपादक धीरेन साडोकपाम पर अवैध गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत भी मामला दर्ज किया था.

वेबसाइट पर आठ जनवरी को एम जॉय लुवांग द्वारा लिखा लेख 'रिवॉल्यूशनरी जर्नी इन ए मेस' प्रकाशित करने के बाद यह कदम उठाया गया. इसमें मणिपुर के 'क्रांतिकारी समूहों' की अपने उद्देश्यों से भटक जाने के लिए आलोचना की गई थी.

इंफाल वेस्ट के पुलिस अधीक्षक पी के मेघाचंद्र ने मीडिया से कहा, 'जांच प्रक्रिया के तहत उन्हें रविवार की शाम को हिरासत में लिया गया था.'

उन्होंने कहा कि दोनों पत्रकारों ने लिखित में स्वीकार किया कि सूत्र 'अपुष्ट' थे और भूलवश लेख छप गया तथा आगे इस तरह की गलतियां नहीं होंगी. मेघाचंद्र के अनुसार, इसके बाद सोमवार की दोपहर उन्हें रिहा कर दिया गया.

पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी.

पढ़ें- भाजपा सांसद का दावा, चीन अरुणाचल प्रदेश के इलाके में बना रहा जल विद्युत परियोजना

चाओबा ने पुलिस को लिखे पत्र में कहा, 'मैं स्वीकार करता हूं कि यह हमारी भूल थी. भविष्य में इस तरह की गलती नहीं होगी.'

उन्होंने कहा कि 'सूत्र अपुष्ट थे और यह एक व्यक्ति एम जॉय लुवांग की तरफ से आया.'

इंफाल : 'क्रांतिकारी विचारधारा को समर्थन देने वाला' लेख अपनी समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित करने के बाद राजद्रोह के आरोप में हिरासत में लिए गए दो पत्रकारों ने स्वीकार किया कि भूलवश यह प्रकाशित हो गया, जिसके बाद मणिपुर पुलिस ने सोमवार को उन्हें रिहा कर दिया.

पुलिस ने फ्रंटियर मणिपुर ऑनलाइन समाचार पोर्टल के कार्यकारी संपादक पाओजेल चाओबा और प्रधान संपादक धीरेन साडोकपाम पर अवैध गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत भी मामला दर्ज किया था.

वेबसाइट पर आठ जनवरी को एम जॉय लुवांग द्वारा लिखा लेख 'रिवॉल्यूशनरी जर्नी इन ए मेस' प्रकाशित करने के बाद यह कदम उठाया गया. इसमें मणिपुर के 'क्रांतिकारी समूहों' की अपने उद्देश्यों से भटक जाने के लिए आलोचना की गई थी.

इंफाल वेस्ट के पुलिस अधीक्षक पी के मेघाचंद्र ने मीडिया से कहा, 'जांच प्रक्रिया के तहत उन्हें रविवार की शाम को हिरासत में लिया गया था.'

उन्होंने कहा कि दोनों पत्रकारों ने लिखित में स्वीकार किया कि सूत्र 'अपुष्ट' थे और भूलवश लेख छप गया तथा आगे इस तरह की गलतियां नहीं होंगी. मेघाचंद्र के अनुसार, इसके बाद सोमवार की दोपहर उन्हें रिहा कर दिया गया.

पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी.

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चाओबा ने पुलिस को लिखे पत्र में कहा, 'मैं स्वीकार करता हूं कि यह हमारी भूल थी. भविष्य में इस तरह की गलती नहीं होगी.'

उन्होंने कहा कि 'सूत्र अपुष्ट थे और यह एक व्यक्ति एम जॉय लुवांग की तरफ से आया.'

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