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तत्काल कदम नहीं उठाए तो भारत में होगी कैंसर की सुनामी! - भारत में होगी कैंसर की सुनामी

दो भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर की चेतावनी- तत्काल कदम नहीं उठाए तो भारत में कैंसर की सुनामी होगी. दोनों डॉक्टरों का कहना है कैंसर का जल्द पता करने और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयास कर यह संभव है.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Mar 7, 2020, 2:03 PM IST

वाशिंगटन : कैंसर मरीजों के इलाज और इस क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान के लिए प्रख्यात भारतीय मूल के दो अमेरिकी डॉक्टर भारत में इस घातक बीमारी की 'सुनामी' की आशंका को रोकना चाहते हैं. दोनों डॉक्टरों का कहना है कैंसर का जल्द पता करने और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयास कर यह संभव है.

पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत नीलम संजीव रेड्डी जैसे शीर्ष भारतीय नेताओं का इलाज करने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कैंसर रोग विशेषज्ञ दत्तात्रेयुदु नोरी और बुजुर्गों की चिकित्सा एवं दर्द की दवाओं में विशेषज्ञता प्राप्त रेखा भंडारी ने आगाह किया है कि अगर पर्याप्त उचित एवं तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो उनका देश कैंसर की 'सुनामी' की गिरफ्त में होगा.

नोरी ने कहा, 'भारत में कैंसर के कारण हर दिन 1,300 लोगों की मौत हो रही है. भारत में हर साल कैंसर के करीब 12 लाख नये मामले सामने आते हैं. यह जल्द पता लगाने की कम दर और खराब इलाज के नतीजों को दर्शाता है.'

उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के लिए कैंसर गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम ला सकता है जिससे अक्सर परिवारों को गरीबी और सामाजिक पक्षपात का सामना करना पड़ता है.

कैंसर पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसी ने अनुमान जताया है कि 2030 तक हर साल करीब 17 लाख नये लोगों में कैंसर का पता चलेगा.

नोरी ने कहा, 'अगर हम कुछ कदम नहीं उठाते तो कैंसर सुनामी का रूप लेने के लिए तैयार है.'

विशेषज्ञों का मत- पुरुष केंद्रित कैंसर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

इसे भारत में लोक स्वास्थ्य की बड़ी चुनौती बताते हुए पद्म श्री प्राप्त नोरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आयुष्मान भारत परियोजना' और राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम स्थापित करने के फैसले से प्रेरित हैं. उन्होंने इसे सही दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम बताया.

किंग्सब्रूक ज्यूइश मेडिकल सेंटर में पीडियाट्रिक एवं पैलिएटिव प्रमुख भंडारी ने कहा कि भले ही भारत की ज्यादातर आबादी युवा है लेकिन देश को अब से 20 साल बाद तक के लिए योजना बनाने की जरूरत है जब देश बुजुर्गों की आबादी के मामले में भी सबसे आगे होगा.

वाशिंगटन : कैंसर मरीजों के इलाज और इस क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान के लिए प्रख्यात भारतीय मूल के दो अमेरिकी डॉक्टर भारत में इस घातक बीमारी की 'सुनामी' की आशंका को रोकना चाहते हैं. दोनों डॉक्टरों का कहना है कैंसर का जल्द पता करने और स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयास कर यह संभव है.

पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत नीलम संजीव रेड्डी जैसे शीर्ष भारतीय नेताओं का इलाज करने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कैंसर रोग विशेषज्ञ दत्तात्रेयुदु नोरी और बुजुर्गों की चिकित्सा एवं दर्द की दवाओं में विशेषज्ञता प्राप्त रेखा भंडारी ने आगाह किया है कि अगर पर्याप्त उचित एवं तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो उनका देश कैंसर की 'सुनामी' की गिरफ्त में होगा.

नोरी ने कहा, 'भारत में कैंसर के कारण हर दिन 1,300 लोगों की मौत हो रही है. भारत में हर साल कैंसर के करीब 12 लाख नये मामले सामने आते हैं. यह जल्द पता लगाने की कम दर और खराब इलाज के नतीजों को दर्शाता है.'

उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के लिए कैंसर गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक परिणाम ला सकता है जिससे अक्सर परिवारों को गरीबी और सामाजिक पक्षपात का सामना करना पड़ता है.

कैंसर पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसी ने अनुमान जताया है कि 2030 तक हर साल करीब 17 लाख नये लोगों में कैंसर का पता चलेगा.

नोरी ने कहा, 'अगर हम कुछ कदम नहीं उठाते तो कैंसर सुनामी का रूप लेने के लिए तैयार है.'

विशेषज्ञों का मत- पुरुष केंद्रित कैंसर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

इसे भारत में लोक स्वास्थ्य की बड़ी चुनौती बताते हुए पद्म श्री प्राप्त नोरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आयुष्मान भारत परियोजना' और राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम स्थापित करने के फैसले से प्रेरित हैं. उन्होंने इसे सही दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम बताया.

किंग्सब्रूक ज्यूइश मेडिकल सेंटर में पीडियाट्रिक एवं पैलिएटिव प्रमुख भंडारी ने कहा कि भले ही भारत की ज्यादातर आबादी युवा है लेकिन देश को अब से 20 साल बाद तक के लिए योजना बनाने की जरूरत है जब देश बुजुर्गों की आबादी के मामले में भी सबसे आगे होगा.

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