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हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों में तमिलनाडु दक्षिणी राज्यों में सबसे आगे

एक तरफ दक्षिणी राज्यों में हिंदी पढ़ाने और न पढ़ाने को लेकर विवाद चल रहा है वहीं एक संस्था ने अपनी रिपोर्ट में आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक दक्षिण राज्य तमिलनाडु हिंदी सीखने का सबसे ज्यादा इच्छुक राज्य है. पढ़ें पूरी खबर....

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Published : Jun 8, 2019, 12:04 AM IST

चेन्नई: आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि केंद्र के त्रिभाषा फार्मूले को लेकर हाल के विवाद का केंद्र रहा तमिलनाडु हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों की संख्या की दृष्टि से दक्षिणी राज्यों में शीर्ष पर है.

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपी) के अनुसार कुशलता स्तरों, 'परिचय से प्रवीण' तक, के लिए विभिन्न हिंदी परीक्षाओं में शामिल होने वालों की संख्या में पिछले दशक की तुलना में शत प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

महात्मा गांधी ने दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रचार प्रसार के एक मात्र लक्ष्य के साथ 1918 में इस सभा की स्थापना की थी.

वर्ष 2018 में 5.80 लाख विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न परीक्षाएं देने के साथ हिंदी सीखने के संबंध में तमिलनाडु शीर्ष पर रहा. आंध्रप्रदेश (तेलंगाना समेत) में 2.4 लाख, कर्नाटक में 60,000 और केरल में 21,000 लोगों ने हिंदी सीखने से संबंधित ‘परिचय से प्रवीण’ स्तरों की विभिन्न परीक्षाएं दी थीं .

यह आंकड़ा साझा करते हुए डीबीएचपी महासचिव एस जयराज ने कहा कि भले ही जो भी विवाद हो, लेकिन उससे हटकर आवश्यकता एक ऐसा कारक है जो लोगों को कोई भाषा सीखाता है.

उन्होंने कहा, '2009 में 2.68 लाख लोगों ने विभिन्न परीक्षाएं दी थीं जो 2018 में बढ़कर 5.80 हो गयी. इस साल हम करीब छह लाख की उम्मीद कर रहे थे.'

उन्होंने कहा, 'हम पिछले 100 सालों से हिंदी पढ़ा रहे हैं. किसी भी भाषा को सीखने से आपके ज्ञान का धरातल का विस्तार होता है. जितना आप सीखते हैं, उतना ही अच्छा है और यह व्यक्ति की जरूरत पर आधारित है.'

यह संगठन आठ कुशलता स्तरों-परिचय, प्राथमिक, मध्यमा, राष्ट्रभाषा, प्रवेशिका, राष्ट्रभाषा विशारद, राष्ट्रभाषा प्रवीण और निष्णात के लिए परीक्षाएं आयोजित कराता है.

चेन्नई: आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि केंद्र के त्रिभाषा फार्मूले को लेकर हाल के विवाद का केंद्र रहा तमिलनाडु हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों की संख्या की दृष्टि से दक्षिणी राज्यों में शीर्ष पर है.

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपी) के अनुसार कुशलता स्तरों, 'परिचय से प्रवीण' तक, के लिए विभिन्न हिंदी परीक्षाओं में शामिल होने वालों की संख्या में पिछले दशक की तुलना में शत प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

महात्मा गांधी ने दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रचार प्रसार के एक मात्र लक्ष्य के साथ 1918 में इस सभा की स्थापना की थी.

वर्ष 2018 में 5.80 लाख विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न परीक्षाएं देने के साथ हिंदी सीखने के संबंध में तमिलनाडु शीर्ष पर रहा. आंध्रप्रदेश (तेलंगाना समेत) में 2.4 लाख, कर्नाटक में 60,000 और केरल में 21,000 लोगों ने हिंदी सीखने से संबंधित ‘परिचय से प्रवीण’ स्तरों की विभिन्न परीक्षाएं दी थीं .

यह आंकड़ा साझा करते हुए डीबीएचपी महासचिव एस जयराज ने कहा कि भले ही जो भी विवाद हो, लेकिन उससे हटकर आवश्यकता एक ऐसा कारक है जो लोगों को कोई भाषा सीखाता है.

उन्होंने कहा, '2009 में 2.68 लाख लोगों ने विभिन्न परीक्षाएं दी थीं जो 2018 में बढ़कर 5.80 हो गयी. इस साल हम करीब छह लाख की उम्मीद कर रहे थे.'

उन्होंने कहा, 'हम पिछले 100 सालों से हिंदी पढ़ा रहे हैं. किसी भी भाषा को सीखने से आपके ज्ञान का धरातल का विस्तार होता है. जितना आप सीखते हैं, उतना ही अच्छा है और यह व्यक्ति की जरूरत पर आधारित है.'

यह संगठन आठ कुशलता स्तरों-परिचय, प्राथमिक, मध्यमा, राष्ट्रभाषा, प्रवेशिका, राष्ट्रभाषा विशारद, राष्ट्रभाषा प्रवीण और निष्णात के लिए परीक्षाएं आयोजित कराता है.

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PRI GEN NAT
.CHENNAI MDS16
TN-HINDI-DATA
TN tops in people volunteering to learn Hindi among southern
states
         Chennai, Jun 7 (PTI) Data has revealed that Tamil
Nadu, the epicentre of the recent row over the Centre's
three-language formula, has topped the list among southern
states in people volunteering to learn Hindi.
         According to the Dakshina Bharat Hindi Prachar Sabha,
those who appeared for various Hindi exams - from 'Parichaya
to Praveen' proficiency levels - have increased by over 100
per cent over the last decade.
         The Sabha was established in 1918 by Mahatma Gandhi
with the sole aim of propagating Hindi in southern states.
         With 5.80 lakh appearing for exams in 2018, Tamil Nadu
topped the list among southern states, while Andhra (including
Telangana) recorded around 2.4 lakh, Karnataka - 60,000 and
Kerala - 21,000.
         Sharing the data with PTI, DBHP General Secretary
S Jeyaraj said irrespective of controversies, necessity is a
major factor that makes people learn a language.
         "In 2009, we saw 2.68 lakh taking up the exams, it has
increased to 5.80 lakh in 2018. This year we are expecting
around six lakh," he said.
          "We have been teaching Hindi for the
last 100 years. Knowing a language broadens your knowledge.
The more the better and it is based on a person's necessity."
         The organisation conducts tests for eight proficiency
levels-- Parichaya, Prathamik, Madhyama, Rashtrabhasha,
Praveshika, Rashtrabhasha Visharad, Rashtrabhasha Praveen, and
Nishnath.
         A candidate needs at least four years to complete all
of these, the official said, adding that there has also been
an increase in those opting for D litt, PhD, MA and Mphil
courses.
         Early this week, after facing outrage over the
three-language proposal, particularly in Tamil Nadu, the
Centre dropped the contentious clause of mandatory Hindi
teaching in non-Hindi speaking states.
         The DMK, the main opposition in Tamil Nadu, said the
decision showed that late party patriarch M Karunanidhi was
"living," apparently suggesting it was a success to the late
leader's legacy of opposing "imposition" of Hindi. PTI CPB
BN
BN
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