नई दिल्ली: लोकसभा में रेलवे के निजीकरण के मुद्दे पर पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है.
सूत्रों के अनुसार100 दिनों के एक्शन प्लान को आगे बढ़ाते हुए रेलवे नई दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को निजी कंपनियों को सौंपने के बारे में सोच रही है. हालांकि, एक लिखित उत्तर में, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'अभी तक ऐसा कोई विचार नहीं किया गया है.'
वहीं, रेलवे के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल (पीपीपी) को अपनाने के प्रस्ताव पर, सरकार को रेलवे यूनियन के साथ-साथ संसद के विभिन्न राजनीतिक दलों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है. दरअसल, इनका कहना था कि रेलवे का निजीकरण बेरोजगारी को बढा़एगा.
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लोकसभा में एक सवाल के जवाब में, रेल मंत्री ने बताया कि पिछले दशक में रेलवे में 4.61 लाख लोगों की भर्ती की गई थी और इस साल के एक जून तक रेलवे में 2.98 लाख से भी अधिक अभी खाली पड़े हैं, जिसके लिये अभी भर्ती प्रक्रिया चल रही है.
लोकसभा में लिखित उत्तर देते हुए गोयल ने कहा कि 1991 में रेलवे कर्मचारियों की संख्या 16,54,985 थी. ये संख्या 2019 में 12,48,101 लाख है. गोयल ने जवाब में कहा कि कर्मचारियों की संख्या के कारण रेलवे की सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है.