हैदराबाद : महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहब ठाकरे और उनके बाद ठाकरे परिवार का दबदबा रहा है. शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की जयंती के मौके पर आज उनके भतीजे और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपने पुत्र अमित ठाकरे का सक्रिय राजनीति में पदार्पण कराया. मौका था पार्टी के महाधिवेशन का. बाला साहेब के बेटे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य पहले ही राजनीति में उतर चुके हैं और उनके पिता ने उन्हें अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया है. माना जा रहा है कि राज्य में भविष्य की राजनीति में ठाकरे परिवार की इस तीसरी पीढ़ी की भूमिका अहम होगी.
आइए जानते हैं दोनों दलों के इन युवा नेताओं के विषय में...
आदित्य ठाकरे
13 जून 1990 को जन्मे आदित्य ठाकरे शिवसेना का युवा चेहरा हैं और साल 2009 के विधानसभा चुनाव में वह पार्टी के लिए प्रचार भी कर चुके हैं. आदित्य ने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की है. इसके बाद वह पूर्ण रूप से राजनीति में उतर गए. आदित्य शिवसेना की यूथ ब्रिगेड युवा सेना के भी अध्यक्ष हैं.
आदित्य ठाकरे ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज जन-आशीर्वाद यात्रा निकाल कर किया. उनकी यात्रा को जनसमर्थन हासिल हुआ. आदित्य ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाग लिया और विधायक बने. यह पहली बार था, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ा. आदित्य अपने पिता की सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री हैं.
अमित ठाकरे
24 मई 1992 में मुंबई में जन्मे अमित ठाकरे को आज उनके पिता राज ठाकरे ने सक्रिय राजनीति में उतारा, हालांकि अमित 2017 से राजनीति में सक्रिय हैं. राज ठाकरे जब भी अपने निवास कृष्णकुंज में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों की बैठकें लेते थे तो अमित उनके साथ रहते थे. एक साल पहले अमित शादी के बंधन में बंधे हैं. उन्होंने मुंबई की रहने वाली मिताली बोरुडे से शादी की है. बताया जाता है कि अमित को फुटबाल खेलना पसंद है. वह अपने ताऊ और पिता की भांति कला में भी गहरी रुचि रखते हैं.
बाल ठाकरे की राजनीति
बाल ठाकरे का जन्म तत्कालीन बोम्बे रेजिडेंसी के पुणे में 23 जनवरी 1926 को एक मराठी परिवार में हुआ था. ठाकरे अच्छे कार्टूनिस्ट थे, जिन्होंने महाराष्ट्र में अपनी पहचान खुद बनाई. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बंबई (अब मुंबई) के एक अंग्रेजी दैनिक द फ्री प्रेस जर्नल के साथ बातौर कार्टूनिस्ट की थी. साल 1960 में बाल ठाकरे ने कार्टूनिस्ट की नौकरी छोड़ दी और अपना राजनीतिक साप्ताहिक अखबार मार्मिक निकाला.
बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी. हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर चलने वाली शिवसेना के गठन के बाद महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे और उनके परिवार की विशेष पहचान बनी. दूसरा कोई राजनीतिक परिवार ठाकरे परिवार की हैसियत के बराबर नहीं ठहर सका. इसका बड़ा कारण यह था कि सत्ता इस परिवार के इर्द-गिर्द नाचती रही, लेकिन परिवार ने उससे दूरी बनाए रखी. साल 2000 में पार्टी में बाल ठाकरे के असली उत्तराधिकारी को लेकर छिड़ी जंग ने इस परिवार को बांट दिया. एक तरफ भतीजे राज ठाकरे थे, जो मेहनत से बनाई अपनी राजनीतिक जमीन को खोना नहीं चाहते थे, जबकि दूसरी तरफ उद्धव, जिनके पास बाल ठाकरे का बेटा होने का विशेषाधिकार था.
उद्धव ठाकरे
27 जुलाई, 1960 को मुंबई में जन्मे उद्धव ठाकरे की राजनीति में एक अलग पहचान है. उद्धव ठाकरे बचपन से ही वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के शौकीन रहे हैं. वह राजनीति से दूर अपने फोटोग्राफी के काम में मगन रहते थे और राजनीति में कम ही सक्रिय थे. धीरे-धीरे उद्धव अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हुए. 2002 में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव में शिवसेना को मिली जोरदार जीत का श्रेय उद्धव को दिया गया. इसके बाद बाल ठाकरे ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी मान लिया.
2004 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. मुख्यमंत्री बनने से पहले उद्धव ने अपने पिता बाल ठाकरे के साये में रहकर ही सियासत की थी. उद्धव ठाकरे को राजनीति भले विरासत में मिली हो, लेकिन 2003 में शिवसेना की कमान हासिल करने के बाद से उन्होंने पार्टी को कई मुश्किल हालात से निकाला.
राज ठाकरे की नई राह
राज ठाकरे का जन्म 14 जून 1968 को बाल ठाकरे के छोटे भाई श्रीकांत ठाकरे के घर में हुआ. राज ठाकरे ने जेजे कॉलेज ऑफ आर्ट से स्नातक किया है. राज एक प्रतिभाशाली चित्रकार और कार्टूनिस्ट भी हैं.
बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे को शिवसेना का असली उत्तराधिकारी माना जाता था. हालांकि उद्धव को पार्टी की कमान सौंपे जाने से खफा राज ठाकरे ने साल 2006 में शिवसेना छोड़ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नामक पार्टी बना ली. इस पार्टी को उन्होंने राज्य की राजनीति में सक्रिय किया, हालांकि उन्हें इससे अपेक्षित सफलता नहीं मिली.
बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद से राज ठाकरे अपने आपको महाराष्ट्र में बाला साहेब के असल उत्तराधिकारी के तौर पर रखते रहे हैं. चाहें बाल ठाकरे के व्यक्तित्व की बात हो या भाषण देने की कला अथवा विचारों के खुलापन का, इन सारी चीजों को राज ठाकरे ने अपना रखा है. वह बाल ठाकरे की स्टाइल में भाषण देते हैं, वही नारे लगाते हैं और जन समूह को उसी तरह आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं.