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विशेष : भारत-बांग्लादेश वैक्सीन वार्ता में तीस्ता की परछाई

भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर बारीकी से नजर रखने वाले उस पर्यवेक्षक ने ईटीवी भारत से नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि श्रृंगला के दौरे के एजेंडे में तीस्ता जल का मुद्दा निश्चित रूप से रहा होगा. भारत ने हो सकता है कि बांग्लादेश से कहा होगा कि हमें चिंता है. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

पीएम मोदी और शेख हसीना
पीएम मोदी और शेख हसीना
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Published : Aug 20, 2020, 7:11 AM IST

नई दिल्ली : विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला का अचानक हुआ बांग्लादेश का दो दिवसीय दौरा समाप्त हो गया. भारत की ओर से यह भरोसा देने के बावजूद कि कोविड-19 वायरस के खिलाफ बने टीके (वैक्सीन) के प्रारंभिक स्तर के परीक्षण को बांग्लादेश प्राथमिकता देगा. कम से कम एक पर्यवेक्षक का मानना है कि तीस्ता नदी जल प्रबंधन के लिए बीजिंग की ओर से ढाका को करीब एक अरब डॉलर कर्ज देने का निर्णय हो सकता है कि इस दौरे के एजेंडा में शामिल रहा हो.

भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर बारीकी से नजर रखने वाले उस पर्यवेक्षक ने ईटीवी भारत से नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि श्रृंगला के दौरे के एजेंडे में तीस्ता जल का मुद्दा निश्चित रूप से रहा होगा. भारत ने हो सकता है कि बांग्लादेश से कहा होगा कि हमें चिंता है.

श्रृंगला मंगलवार को ढाका पहुंचे थे. मार्च में जब से महामरी से जुड़ी पाबंदियां लागू की गईं तब से विदेश का उनका यह पहला दौरा था. बुधवार की सुबह बांग्लादेश के विदेश सचिव मसूद बिन मोमिन के साथ बैठक की. इसके बाद मीडिया से श्रृंगला ने कहा कि भारत प्राथमिकता के आधार पर बांग्लादेश को कोविड-19 का वैक्सीन देगा, जो तीसरे स्तर के परीक्षण के दौर में है.

श्रृंगला के हवाले से यह कहा गया है, जब कोई वैक्सीन विकसित हुआ है तो दोस्तों, साझीदारों और पड़ोसियों को बगैर कुछ कहे मिलेगा. बांग्लादेश हम लोगों के लिए हमेशा से एक प्राथमिकता है. अपने अचानक हुए इस दौरे को श्रृंगला ने बहुत संतोषजनक बताया.

बांग्लादेश में उच्चायुक्त रह चुके भारत के विदेश सचिव ने कहा कि भारत दुनिया का 60 प्रतिशत वैक्सीन बनाता है. अब वैक्सीन परीक्षण के चरण वाली स्थिति में पहुंच गया है, जिसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर उत्पादन करना है. अपनी ओर से मोमिन के कहा कि बांग्लादेश वैक्सीन के शुरुआती परीक्षण में भारत को सहयोग करने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि भारत ने हमसे कहा है कि वैक्सीन को केवल भारत के लिए ही नहीं बनाया जाएगा, उसे शुरुआती चरण में बांग्लादेश को भी उपलब्ध कराया जाएगा.

महामारी फैलने के बाद भारत ने निजी रक्षात्मक सामग्री (पीपीई), स्वास्थ्य से जुड़े अन्य सामान और टेबलेट बांग्लादेश को मुहैया कराए थे. मोमिन के कहा था कि बांग्लादेश जो भी वैक्सीन हैं उन सभी को अपने यहां चाहता है चाहे वह चीन का, रूस का या अमेरिका का हो.

ढाका पहुंचने के बाद श्रृंगला ने दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा करने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री से उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के एक निजी संदेश के साथ मुलाकात की.

मोमिन के साथ बैठक के बाद श्रृंगला ने प्रधानमंत्री हसीना के साथ घंटे भर चली अपनी बैठक के संदर्भ में कहा कि मोदी ने उन्हें महामारी काल में भी भारत-बांग्लादेश के बेहतरीन रिश्ते को आगे ले जाने के लिए ढाका भेजा. उन्होंने कहा कि इस कारण से मैं यहां आया कि हमारे प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि कोविड के समय में बहुत अधिक संपर्क नहीं है, लेकिन रिश्तेदारी हर हाल में चलती रहनी चाहिए.

भारत बांग्लादेश को विकास के लिए सहायता देने वाला प्रमुख साझीदार है. दोनों पक्ष एक दूसरे के यहां के व्यक्ति से व्यक्ति के संबंध को बढ़ावा देने के अलावा दोनों देशों संपर्क बढ़ाने वाली प्रमुख परियोजनाओं पर मिलकर काम कर रहे हैं.

दोनों देशों ने बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान के 100 वीं जयंती पर वर्ष 2020-21 को मुजीब वर्ष के रूप में मनाने के लिए कार्यक्रमों की श्रृंखला की एक रूपरेखा तैयार की है. इसके अलावा दोनों देश अगले वर्ष अपने कूटनीतिक रिश्ते के 50 साल पूरा होने का जश्न भी मनाएंगे.

हालांकि श्रृंगला के दौरे के केंद्र में कोविड-19 का वैक्सीन बनाने में दोनों पक्षों के बीच सहयोग था, लेकिन बहुत कयास लगाए जा रहे हैं कि लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रही कशमकश के बीच बीजिंग का बांग्लादेश पर बढ़ते जा रहे प्रभाव को देखते हुए उनका यह अचानक दौरा था.

बांग्लादेश की सरकारी मेडिकल रिसर्च एजेंसी ने इससे पहले चीन की सिनोवेक बायोटेक लिमिटेड की ओर से विकसित कोविड-19 की संभावित वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण की स्वीकृति दे दी थी, लेकिन उसपर अभी रोक लगा दी गई है.

भारत के लिए ताजा सिरदर्द चीन का ढाका को तीस्ता नदी जल प्रबंधन के लिए करीब एक अरब डॉलर का कर्ज देने का निर्णय है. यह पहला अवसर है जब चीन दक्षिण एशियाई देश के जल प्रबंधन में शामिल हुआ है. हालांकि, बांग्लादेश भारत का एक सबसे करीबी पड़ोसी है लेकिन तीस्ता नदी जल की साझेदारी दोनों देशों के बीच दशकों से सबसे बड़े विवाद का मुद्दा बना हुआ है.

मनमोहन सिंह जब वर्ष 2011 में प्रधानमंत्री के रूप में ढाका दौरे पर गए थे, तब भारत और बांग्लादेश ने तीस्ता नदी जल बंटवारे पर एक समझौते पर लगभग हस्ताक्षर कर दिया था लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण अंतिम क्षण में इसे हटा दिया गया.

तीस्ता नदी का उद्गम स्थल पूर्वी हिमालय है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल से गुजरती है. यह नदी बांग्लादेश के मैदानी इलाकों में बाढ़ की एक स्रोत है लेकिन सर्दियों में लगभग दो महीने सूखी रहती है.

बांग्लादेश गंगा नदी जल बंटवारे के 1996 के समझौते की तरह भारत से तीस्ता नदी जल के न्यायोचित बंटवारे की मांग करता रहा है. दोनों देशों की लगभग सीमा पर स्थित फरक्का बराज से गंगा जल के बंटवारे का करार है. तीस्ता नदी जल के बारे में ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

सीमा पार समझौते में विशेष रूप से भारतीय राज्यों का बहुत अधिक प्रभाव है. पश्चिम बंगाल तीस्ता समझौते को सहमति देने से परहेज करता रहा है इसलिए विदेश नीति बनाने में बाधा आती है.

अब बांग्लादेश ने ग्रेटर रंगपुर क्षेत्र में तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और बहाली (तीस्ता रिवर कम्प्रहेंसिव मैनेंजमेंट एंड रीस्टोरेशन) परियोजना बनाई है और चीन से 85.3 करोड़ डॉलर कर्ज की मांग की है, जिस पर चीन ने सहमति जता दी है. इस परियोजना पर 98.3 करोड़ डॉलर खर्च होने हैं. इससे तीस्ता नदी के जल को संचित करने के एक बहुत बड़े जलाशय का निर्माण किया जाना है.

पर्यवेक्षक का कहना है कि यदि भारत महसूस करता है कि यह (चीन के पैसे से चलने वाली तीस्ता जल परियोजना) का हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो, नई दिल्ली को उसके लिए जवाबी उपायों पर विचार करना होगा.

चीन भारत के पूर्वी क्षेत्र में अपनी रक्षा परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है. इसके तहत वह बांग्लादेश के कोक्स के बाजार पेकुआ में बीएनएस शेख हसीना पनडुब्बी बेस तैयार करने के साथ बांग्लादेश की नौसेना को दो पनडुब्बी भी दे रहा है.

भारत के लिए एक और चिंता की बात यह है प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिन के मनपसंद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को भी स्वीकार कर लिया है. भारत उसकी एक प्रमुख परियोजनाओं में शामिल बीआरआई का हिस्सा बनने से इनकार कर चुका है. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.

भारत का दक्षिण एशियाई देशों के बीच बांग्लादेश के साथ सबसे करीबी संबंध है, फिर भी ढाका ने बंगाल की खाड़ी में चीन को समुद्री प्रबंधन परियोजनाओं में मदद करने पर सहमति जताई है.

ईटीवी भारत से बात करने वाले व्यक्ति ने कहा कि मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि बांग्लादेश पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और अब ढाका चीन का कार्ड खेल रहा है.

(अरूणिम भुयान)

नई दिल्ली : विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला का अचानक हुआ बांग्लादेश का दो दिवसीय दौरा समाप्त हो गया. भारत की ओर से यह भरोसा देने के बावजूद कि कोविड-19 वायरस के खिलाफ बने टीके (वैक्सीन) के प्रारंभिक स्तर के परीक्षण को बांग्लादेश प्राथमिकता देगा. कम से कम एक पर्यवेक्षक का मानना है कि तीस्ता नदी जल प्रबंधन के लिए बीजिंग की ओर से ढाका को करीब एक अरब डॉलर कर्ज देने का निर्णय हो सकता है कि इस दौरे के एजेंडा में शामिल रहा हो.

भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर बारीकी से नजर रखने वाले उस पर्यवेक्षक ने ईटीवी भारत से नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि श्रृंगला के दौरे के एजेंडे में तीस्ता जल का मुद्दा निश्चित रूप से रहा होगा. भारत ने हो सकता है कि बांग्लादेश से कहा होगा कि हमें चिंता है.

श्रृंगला मंगलवार को ढाका पहुंचे थे. मार्च में जब से महामरी से जुड़ी पाबंदियां लागू की गईं तब से विदेश का उनका यह पहला दौरा था. बुधवार की सुबह बांग्लादेश के विदेश सचिव मसूद बिन मोमिन के साथ बैठक की. इसके बाद मीडिया से श्रृंगला ने कहा कि भारत प्राथमिकता के आधार पर बांग्लादेश को कोविड-19 का वैक्सीन देगा, जो तीसरे स्तर के परीक्षण के दौर में है.

श्रृंगला के हवाले से यह कहा गया है, जब कोई वैक्सीन विकसित हुआ है तो दोस्तों, साझीदारों और पड़ोसियों को बगैर कुछ कहे मिलेगा. बांग्लादेश हम लोगों के लिए हमेशा से एक प्राथमिकता है. अपने अचानक हुए इस दौरे को श्रृंगला ने बहुत संतोषजनक बताया.

बांग्लादेश में उच्चायुक्त रह चुके भारत के विदेश सचिव ने कहा कि भारत दुनिया का 60 प्रतिशत वैक्सीन बनाता है. अब वैक्सीन परीक्षण के चरण वाली स्थिति में पहुंच गया है, जिसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर उत्पादन करना है. अपनी ओर से मोमिन के कहा कि बांग्लादेश वैक्सीन के शुरुआती परीक्षण में भारत को सहयोग करने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि भारत ने हमसे कहा है कि वैक्सीन को केवल भारत के लिए ही नहीं बनाया जाएगा, उसे शुरुआती चरण में बांग्लादेश को भी उपलब्ध कराया जाएगा.

महामारी फैलने के बाद भारत ने निजी रक्षात्मक सामग्री (पीपीई), स्वास्थ्य से जुड़े अन्य सामान और टेबलेट बांग्लादेश को मुहैया कराए थे. मोमिन के कहा था कि बांग्लादेश जो भी वैक्सीन हैं उन सभी को अपने यहां चाहता है चाहे वह चीन का, रूस का या अमेरिका का हो.

ढाका पहुंचने के बाद श्रृंगला ने दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा करने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री से उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के एक निजी संदेश के साथ मुलाकात की.

मोमिन के साथ बैठक के बाद श्रृंगला ने प्रधानमंत्री हसीना के साथ घंटे भर चली अपनी बैठक के संदर्भ में कहा कि मोदी ने उन्हें महामारी काल में भी भारत-बांग्लादेश के बेहतरीन रिश्ते को आगे ले जाने के लिए ढाका भेजा. उन्होंने कहा कि इस कारण से मैं यहां आया कि हमारे प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि कोविड के समय में बहुत अधिक संपर्क नहीं है, लेकिन रिश्तेदारी हर हाल में चलती रहनी चाहिए.

भारत बांग्लादेश को विकास के लिए सहायता देने वाला प्रमुख साझीदार है. दोनों पक्ष एक दूसरे के यहां के व्यक्ति से व्यक्ति के संबंध को बढ़ावा देने के अलावा दोनों देशों संपर्क बढ़ाने वाली प्रमुख परियोजनाओं पर मिलकर काम कर रहे हैं.

दोनों देशों ने बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान के 100 वीं जयंती पर वर्ष 2020-21 को मुजीब वर्ष के रूप में मनाने के लिए कार्यक्रमों की श्रृंखला की एक रूपरेखा तैयार की है. इसके अलावा दोनों देश अगले वर्ष अपने कूटनीतिक रिश्ते के 50 साल पूरा होने का जश्न भी मनाएंगे.

हालांकि श्रृंगला के दौरे के केंद्र में कोविड-19 का वैक्सीन बनाने में दोनों पक्षों के बीच सहयोग था, लेकिन बहुत कयास लगाए जा रहे हैं कि लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रही कशमकश के बीच बीजिंग का बांग्लादेश पर बढ़ते जा रहे प्रभाव को देखते हुए उनका यह अचानक दौरा था.

बांग्लादेश की सरकारी मेडिकल रिसर्च एजेंसी ने इससे पहले चीन की सिनोवेक बायोटेक लिमिटेड की ओर से विकसित कोविड-19 की संभावित वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण की स्वीकृति दे दी थी, लेकिन उसपर अभी रोक लगा दी गई है.

भारत के लिए ताजा सिरदर्द चीन का ढाका को तीस्ता नदी जल प्रबंधन के लिए करीब एक अरब डॉलर का कर्ज देने का निर्णय है. यह पहला अवसर है जब चीन दक्षिण एशियाई देश के जल प्रबंधन में शामिल हुआ है. हालांकि, बांग्लादेश भारत का एक सबसे करीबी पड़ोसी है लेकिन तीस्ता नदी जल की साझेदारी दोनों देशों के बीच दशकों से सबसे बड़े विवाद का मुद्दा बना हुआ है.

मनमोहन सिंह जब वर्ष 2011 में प्रधानमंत्री के रूप में ढाका दौरे पर गए थे, तब भारत और बांग्लादेश ने तीस्ता नदी जल बंटवारे पर एक समझौते पर लगभग हस्ताक्षर कर दिया था लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण अंतिम क्षण में इसे हटा दिया गया.

तीस्ता नदी का उद्गम स्थल पूर्वी हिमालय है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल से गुजरती है. यह नदी बांग्लादेश के मैदानी इलाकों में बाढ़ की एक स्रोत है लेकिन सर्दियों में लगभग दो महीने सूखी रहती है.

बांग्लादेश गंगा नदी जल बंटवारे के 1996 के समझौते की तरह भारत से तीस्ता नदी जल के न्यायोचित बंटवारे की मांग करता रहा है. दोनों देशों की लगभग सीमा पर स्थित फरक्का बराज से गंगा जल के बंटवारे का करार है. तीस्ता नदी जल के बारे में ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

सीमा पार समझौते में विशेष रूप से भारतीय राज्यों का बहुत अधिक प्रभाव है. पश्चिम बंगाल तीस्ता समझौते को सहमति देने से परहेज करता रहा है इसलिए विदेश नीति बनाने में बाधा आती है.

अब बांग्लादेश ने ग्रेटर रंगपुर क्षेत्र में तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और बहाली (तीस्ता रिवर कम्प्रहेंसिव मैनेंजमेंट एंड रीस्टोरेशन) परियोजना बनाई है और चीन से 85.3 करोड़ डॉलर कर्ज की मांग की है, जिस पर चीन ने सहमति जता दी है. इस परियोजना पर 98.3 करोड़ डॉलर खर्च होने हैं. इससे तीस्ता नदी के जल को संचित करने के एक बहुत बड़े जलाशय का निर्माण किया जाना है.

पर्यवेक्षक का कहना है कि यदि भारत महसूस करता है कि यह (चीन के पैसे से चलने वाली तीस्ता जल परियोजना) का हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो, नई दिल्ली को उसके लिए जवाबी उपायों पर विचार करना होगा.

चीन भारत के पूर्वी क्षेत्र में अपनी रक्षा परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है. इसके तहत वह बांग्लादेश के कोक्स के बाजार पेकुआ में बीएनएस शेख हसीना पनडुब्बी बेस तैयार करने के साथ बांग्लादेश की नौसेना को दो पनडुब्बी भी दे रहा है.

भारत के लिए एक और चिंता की बात यह है प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिन के मनपसंद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को भी स्वीकार कर लिया है. भारत उसकी एक प्रमुख परियोजनाओं में शामिल बीआरआई का हिस्सा बनने से इनकार कर चुका है. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.

भारत का दक्षिण एशियाई देशों के बीच बांग्लादेश के साथ सबसे करीबी संबंध है, फिर भी ढाका ने बंगाल की खाड़ी में चीन को समुद्री प्रबंधन परियोजनाओं में मदद करने पर सहमति जताई है.

ईटीवी भारत से बात करने वाले व्यक्ति ने कहा कि मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि बांग्लादेश पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और अब ढाका चीन का कार्ड खेल रहा है.

(अरूणिम भुयान)

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