नई दिल्ली : लद्दाख में जिस फॉल्ट लाइन पर भारत और एशियाई प्लेटें जुड़ी हैं, उसे टेक्टोनिक रूप से सक्रिय पाया गया है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की परत और सबसे ऊपर वाले आवरण का हिस्सा होती हैं.
नए अध्ययन में 'इंडस सूचर जोन (आईएसजेड)' में दूर तक फॉल्ट की बात सामने आई है जो हाल ही में टेक्टोनिक रूप से सक्रिय हुआ है. इसके बाद नई तकनीकों और व्यापक भूवैज्ञानिक डेटाबेस का इस्तेमाल करते हुए मौजूदा मॉडलों पर गंभीरता से पुनर्विचार की जरूरत महसूस की गई है.
यह अध्ययन भूकंप के अध्ययन, पूर्वानुमान और पर्वतीय श्रृंखलाओं के भूकंपीय ढांचे को समझने में भी बड़े प्रभाव डाल सकता है.
'इंडस-सांगपो सूचर जोन' भारतीय प्लेट की वह सीमा है, जहां वह एशियाई प्लेट से मिलती है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के एक समूह ने पता लगाया है कि जिस जोड़ या 'सूचर' को परंपरागत तरीके से बंद समझा जाता था, वह टेक्टोनिक रूप से सक्रिय है.
वैज्ञानिकों ने हिमालय के भीतरी क्षेत्र में स्थित लद्दाख के दूरदराज के इलाकों का मानचित्रण किया. अध्ययन का प्रकाशन हाल ही में पत्रिका 'टेक्नोफिजिक्स' में किया गया है.
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शोधपत्र के सह-लेखक कौशिक सेन ने कहा, 'हमने देखा कि इस इलाके में फॉल्ट बहुत सक्रिय है, इसलिए फॉल्ट क्षेत्रों में चट्टानें बहुत कमजोर हैं. इसलिए भूस्खलन के लिहाज से इसका बहुत प्रभाव है. यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से भी सक्रिय है, लेकिन यह सक्रियता बहुत कम से मध्यम स्तर की है.'
उन्होंने कहा, 'अगर सिंधु नदी के साथ-साथ चलने वाली इस फॉल्ट लाइन पर कभी भारी बारिश होती है तो भूस्खलन का खतरा अधिक होता है.'