अंबिकापुर: केंद्रीय जेल की महिला बंदी इन दिनों गोदना आर्ट में पारंगत हो रही हैं. इन महिलाओं का ज्यादातर समय सिलाई, कढ़ाई सहित ऐसी कक्षाओं में बीतता है, जो जेल इंपोरियम का आकर्षण है. इसमें इन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है. गोदना आर्ट की कला की बारीकी से अवगत होने के बाद ये महिलाएं इसमें इतना रम गई है कि पेंट ब्रश से नाता बन गया है.
आर्ट को कपड़ों पर उतार कर दे रहे स्वरोजगार
गोदना आर्ट के बारे में सभी जानते हैं. महिलाएं अपने शरीर पर गोदना बनवाती थी और उनका मानना था कि उनके मरने के बाद गोदना ही वह गहना होगा जो उनके साथ जाएगा. लेकिन आज यह पूरी तरह से विलुप्त होता जा रहा है. अब इस गोदना आर्ट को कपड़े में उतार कर महिला बंदियों को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है.
वंदना ने उठाया शिल्प में माहिर करने का बीड़ा
समाज सेविका वंदना दत्ता ने महिला बंदियों को गोदना शिल्प में माहिर करने का बीड़ा उठाया है. महिलाओं के उत्थान की दिशा में अग्रसर रहने वाली वंदना दत्ता बंदी महिलाओं के बीच पहुंकर इन्हें गोदना आर्ट सिखाती हैं. सप्ताह में दो दिन उनके आने का इंतजार जेल में बंद महिलाओं को रहता है.
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किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहती महिलाएं
बंदी महिलाओं की सोच है कि जाने अनजाने में हुए अपराध को लेकर समाज के बीच लोगों की जो भी सोच हो, वह यहां से बाहर निकलने के बाद किसी के रहमो-करम पर आश्रित नहीं रहना चाहती हैं.
सामानों को ऑनलाइन बेचने की भी सुविधा
बता दें, जेल के इंपोरियम में रखे इन सामानों को बेचने के लिए ऑनलाइन सिस्टम पर भी जोर दिया जा रहा है. इसमें इन पेंटिग्स को ऑनलाइन बेचने की प्रक्रिया भी शुरू की जाने वाली है. अब दूर बैठे लोग भी अंबिकापुर की जेल में बने इन सामानों को ऑनलाइन खरीद सकेंगे.