लखनऊ : उत्तर प्रदेश के महोबा जिला मुख्यालय में अनवरत अनशन कर रहे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से खत लिखकर बुंदेली काला दिवस मनाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि उनसे बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाकर उस ऐतिहासिक भूल को सुधारने की मांग करेंगे, जो 1 नवंबर, 1956 को इसके दो टुकड़े कर की गई थी.
अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर पिछले 491 दिन से महोबा जिला मुख्यालय के आल्हा चौक पर अनशन कर रहे तारा पाटकर ने कहा कि सन् 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब बुंदेलखंड एक राज्य था और नौगांव (छतरपुर) इसकी राजधानी थी. उस समय चरखारी के कामता प्रसाद सक्सेना यहां मुख्यमंत्री थे, लेकिन 22 मार्च, 1948 को बुंदेलखंड का नाम बदलकर विंध्य प्रदेश कर दिया गया और इसमें बघेलखंड को भी जोड़ दिया गया था.
उन्होंने कहा, 'इसके अलावा 1 नवंबर, 1956 का दिन बुंदेलखंड के इतिहास का वह काला दिन है, जब इसके दो टुकड़े कर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में विभाजित कर इसे भारत के नक्शे से ही मिटा दिया गया था. तभी से बुंदेलखंड दो बड़े राज्यों के बीच पिस रहा है.'
तारा ने कहा कि केंद्र की तत्कालीन नेहरू सरकार ने प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य सरदार के.एम. पणिक्कर की बुंदेलखंड राज्य बनाए रखने की सिफारिश को दरकिनार कर यह फैसला लिया था. आयोग ने 30 दिसंबर, 1955 को जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी गई थी, उसमें बुंदेलखंड सहित 16 राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेश बनाना शामिल था, जिसमें आंशिक बदलाव कर नेहरू सरकार ने 14 राज्य व पांच केंद्र शासित राज्य बनाए. उसी दौरान बुंदेलखंड का विभाजन हो गया.
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से बुंदेलखंड के साथ लगातार भेदभाव होता चला आया है. इसीलिए 1 नवंबर को सैकड़ों बुंदेली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से खत लिखकर बुंदेलखंड के साथ 63 साल पहले किए गए अन्याय से उन्हें अवगत कराना चाहते हैं और उनसे अपील करना चाहते हैं कि जिस तरह जम्मू एवं कश्मीर राज्य से धारा-370 हटाकर उन्होंने एक ऐतिहासिक भूल सुधारी है, वैसे ही इसे फिर राज्य का दर्जा देकर एक दूसरी भूल का भी सुधार करें.