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कभी यहां डकैतों की बोलती थी तूती, अब पिकनिक के लिए मशहूर

राजस्थान के करौली जिले के मंडरायल इलाके में टपका की खोह एक बेहद मनमोहक जगह है. कभी डैकेतों के बसेरे के लिए प्रसिद्ध इस जगह पर अब भारी संख्या में सैलानी खींचे चले आते हैं.

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Published : Sep 18, 2020, 7:12 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 7:43 PM IST

टपका की खोह
टपका की खोह

जयपुर : राजस्थान का करौली जिला अपने आप में प्राकृतिक सौंदर्य समेटे हुए है. यह स्थान घने जंगल में होने के कारण बड़ा ही मोहक और सुंदर है. घने जंगलों के कारण यह इलाका डांग क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक डांग क्षेत्र के डकैतों के लिए यह स्थान शरणस्थली के रूप में उपयुक्त रहा है. डांग क्षेत्र जप-तप के लिए साधु-संतों का भी पसंदीदा स्थान था.

डकैतों के आतंक के कारण इस घने जंगल में लोग कभी आने की सोचते भी नहीं थे. यहां प्राचीन समय में काफी संख्या में जंगली जानवर भी पाए जाते थे. आज इस स्थान पर आज सैलालियों का रेला लगा रहता है. यहां आकर इंसान को शांति और सुकून की अनुभूति होती है. कई ऋषि-मुनियों ने यहां पर साधना भी की थी. यहां झरने से निरंतर जल धारा बहती रहती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

इस कारण यहां पर अधिकतर डकैतों ने भी शरण लेकर लंबा समय व्यतीत किया था लेकिन, वर्तमान समय में सैलानियों और लोगों की आवाजाही बनी रहने के कारण धीरे-धीरे यह स्थान पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित होता जा रहा है.पिछले कुछ सालों में यह स्थान पिकनिक स्पॉट बन गया है. करौली जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर मंडरायल इलाके के पास स्थित है. ईटीवी भारत की टीम जब मंडरायल क्षेत्र में स्थित टपका की खोह पहुंची तो, वहां का नजारा अद्भुत था.

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चारों ओर फैली है मनोरम हरियाली

मंडरायल कस्बे से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों में स्थित टपका की खोह में पहले डकैतों का डेरा रहता था. लोग वहां जाना तो दूर नाम सुनकर ही कांप जाते थे. यहां पर वर्तमान में एक ओर सिद्ध बाबा का स्थान है तो, दूसरी ओर कलकल बहता झरना. जिसका मोहक दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है.

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जलप्रपात के सौंदर्य से खिंचे आते हैं पर्यटक

साथ ही खोह के अंदर पहुंचते ही आज भी डकैतों की कहानियां और प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों के द्वारा की गई तपस्या की यादें ताजा होती है.

दूर-दूर से आते हैं सैलानी

टपका की खोह में ऊंचाई से बहने वाले झरने को देखने के लिए सैलानी बड़ी दूर-दूर से यात्राएं कर पहुंचते हैं. सैलानी झरने पर स्नान का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाते हैं. दिनभर झरने के नीचे सैलानियों का जमावड़ा रहता है.

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पिकनिक स्पॉट के रूप में मशहूर हो रहे इस स्थान पर बड़ी संख्या में जुटते हैं लोग

वे सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं. झरने की खास बात यह है कि बारिश हो या अकाल लेकिन बारह मास कलकल करता हुआ ये झरना बहता रहता है. जिसमें साल भर लोग लुप्त उठाते है, लेकिन बारिश के समय में सैलानियों की रेलमपेल बहुत ज्यादा देखने को मिलती है.

सैलानियों के लिए बना पिकनिक स्पॉट

टपका की खोह पर रहने वाले महात्मा मुरारी दास से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की तो, मुरारी दास ने कहा कि टपका की खोह मंडरायल क्षेत्र का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है.

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आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी आते हैं लोग

यहां पर बारिश के दिनों में हजारों की तादाद में दर्शनार्थी सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यहां पर आने वाला हर भक्त यहां पर ऊंचाई से बहने वाले झरने का आनंद लेने के लिए झरने के नीचे नहाता है. इस झरने का दृश्य देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

पढ़ें: किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

सैलानी यहां पर आकर मनपसंद पकवान बनाकर खाने का आनंद लेते हैं. हर रोज सैलानियों की पार्टी और रसोई का आयोजन होता है. टपका की खोह पर बहने वाले झरने को देखने के लिए लोग दूरदराज के गांवों सहित मध्य प्रदेश के ग्वालियर और राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित जयपुर तक के दर्शनार्थी प्रसिद्ध सिद्ध बाबा के मंदिर पर दर्शन करने पहुंचते हैं.

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करौली के टपका की खोह का मनमोहक नजारा

बाबा की भभूति से हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी

यहां पर एक ओर बजरंगबली का स्थान है तो, दूसरी और भोले बाबा का भी स्थान है. इसके अलावा मुख्य स्थान जो सिद्ध बाबा के नाम से प्रसिद्ध है, वह सदियों पुराना है. बुजुर्ग लोगों और यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि सिद्ध बाबा की भभूति से ही यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.

जयपुर : राजस्थान का करौली जिला अपने आप में प्राकृतिक सौंदर्य समेटे हुए है. यह स्थान घने जंगल में होने के कारण बड़ा ही मोहक और सुंदर है. घने जंगलों के कारण यह इलाका डांग क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक डांग क्षेत्र के डकैतों के लिए यह स्थान शरणस्थली के रूप में उपयुक्त रहा है. डांग क्षेत्र जप-तप के लिए साधु-संतों का भी पसंदीदा स्थान था.

डकैतों के आतंक के कारण इस घने जंगल में लोग कभी आने की सोचते भी नहीं थे. यहां प्राचीन समय में काफी संख्या में जंगली जानवर भी पाए जाते थे. आज इस स्थान पर आज सैलालियों का रेला लगा रहता है. यहां आकर इंसान को शांति और सुकून की अनुभूति होती है. कई ऋषि-मुनियों ने यहां पर साधना भी की थी. यहां झरने से निरंतर जल धारा बहती रहती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

इस कारण यहां पर अधिकतर डकैतों ने भी शरण लेकर लंबा समय व्यतीत किया था लेकिन, वर्तमान समय में सैलानियों और लोगों की आवाजाही बनी रहने के कारण धीरे-धीरे यह स्थान पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित होता जा रहा है.पिछले कुछ सालों में यह स्थान पिकनिक स्पॉट बन गया है. करौली जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर मंडरायल इलाके के पास स्थित है. ईटीवी भारत की टीम जब मंडरायल क्षेत्र में स्थित टपका की खोह पहुंची तो, वहां का नजारा अद्भुत था.

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चारों ओर फैली है मनोरम हरियाली

मंडरायल कस्बे से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों में स्थित टपका की खोह में पहले डकैतों का डेरा रहता था. लोग वहां जाना तो दूर नाम सुनकर ही कांप जाते थे. यहां पर वर्तमान में एक ओर सिद्ध बाबा का स्थान है तो, दूसरी ओर कलकल बहता झरना. जिसका मोहक दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है.

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जलप्रपात के सौंदर्य से खिंचे आते हैं पर्यटक

साथ ही खोह के अंदर पहुंचते ही आज भी डकैतों की कहानियां और प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों के द्वारा की गई तपस्या की यादें ताजा होती है.

दूर-दूर से आते हैं सैलानी

टपका की खोह में ऊंचाई से बहने वाले झरने को देखने के लिए सैलानी बड़ी दूर-दूर से यात्राएं कर पहुंचते हैं. सैलानी झरने पर स्नान का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाते हैं. दिनभर झरने के नीचे सैलानियों का जमावड़ा रहता है.

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पिकनिक स्पॉट के रूप में मशहूर हो रहे इस स्थान पर बड़ी संख्या में जुटते हैं लोग

वे सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं. झरने की खास बात यह है कि बारिश हो या अकाल लेकिन बारह मास कलकल करता हुआ ये झरना बहता रहता है. जिसमें साल भर लोग लुप्त उठाते है, लेकिन बारिश के समय में सैलानियों की रेलमपेल बहुत ज्यादा देखने को मिलती है.

सैलानियों के लिए बना पिकनिक स्पॉट

टपका की खोह पर रहने वाले महात्मा मुरारी दास से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की तो, मुरारी दास ने कहा कि टपका की खोह मंडरायल क्षेत्र का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है.

karauli
आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी आते हैं लोग

यहां पर बारिश के दिनों में हजारों की तादाद में दर्शनार्थी सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यहां पर आने वाला हर भक्त यहां पर ऊंचाई से बहने वाले झरने का आनंद लेने के लिए झरने के नीचे नहाता है. इस झरने का दृश्य देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

पढ़ें: किसानों से जुड़े विधेयक पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश, जानिए पक्ष-विपक्ष

सैलानी यहां पर आकर मनपसंद पकवान बनाकर खाने का आनंद लेते हैं. हर रोज सैलानियों की पार्टी और रसोई का आयोजन होता है. टपका की खोह पर बहने वाले झरने को देखने के लिए लोग दूरदराज के गांवों सहित मध्य प्रदेश के ग्वालियर और राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित जयपुर तक के दर्शनार्थी प्रसिद्ध सिद्ध बाबा के मंदिर पर दर्शन करने पहुंचते हैं.

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करौली के टपका की खोह का मनमोहक नजारा

बाबा की भभूति से हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी

यहां पर एक ओर बजरंगबली का स्थान है तो, दूसरी और भोले बाबा का भी स्थान है. इसके अलावा मुख्य स्थान जो सिद्ध बाबा के नाम से प्रसिद्ध है, वह सदियों पुराना है. बुजुर्ग लोगों और यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि सिद्ध बाबा की भभूति से ही यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.

Last Updated : Sep 18, 2020, 7:43 PM IST
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