नई दिल्ली: जयश्री राम के नारे लगाए जाने पर पुलिस द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं पर किए गए लाठीचार्ज को लेकर जहां भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को जय श्री राम लिखे दस लाख पोस्ट कार्ड भेजने का एलान किया. वहीं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ममता बनर्जी की कड़ी निंदा की है.
इस मामले पर बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक समूह को फटकार लगाने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को शरण दे रही है और हिंदी भाषी लोगों को बाहर निकालने की कोशिस कर रही हैं.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि 'जय श्री राम का नारा लगाने वाले लोगों को जिस तरीके से ममता बनर्जी ने फटकार लगाई और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया, उससे यह साफ है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को आश्रय दे रही तृणमूल सरकार उनके राज्य में रह रहे हिंदी भाषी लोगों को बाहर निकालने की साजिश में शामिल हैं.'
उन्होंने कहा कि 'ममता बनर्जी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या पश्चिम बंगाल में लोगों से ‘जय श्री राम का नारा लगाने का धार्मिक अधिकार छीन लिया गया है. उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या लोगों को उस राज्य में रहने से इसलिए रोका जा रहा है कि वे एक अलग भाषा बोलते हैं और एक अलग धर्म को मानते हैं.'
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता उत्तर 24 परगना जिले के कांचरापाडा में एकत्रित हुए थे ताकि पार्टी के उन कार्यालयों को फिर से वापस लेने की रणनीति बना सकें. तभी वहां भाजपा कार्यताओं ने नारेबाजी कर दी.
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तृणमूल कांग्रेस नेता एवं राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने दावा किया कि सिंह और भाजपा नेता मुकुल रॉय के पुत्र शुभ्रांशु रॉय ने क्षेत्र में कठिनाईं पैदा करने का षडयंत्र रचा.उन्होंने आरोप लगाया कि शुभ्रांशु गत मंगलवार को तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. उन्होंने कहा कि यह अभूतपूर्व है. हमने इस तरह की संस्कृति बंगाल में नहीं देखी है. यह भाजपा की संस्कृति है.
वहीं सिंह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता व्यर्थ की बातें कर रहे हैं.लोगों ने तृणमूल कांग्रेस को खारिज किया है और यह उनकी प्रतिक्रिया है.
पुलिस के अनुसार बैठक स्थल के बाहर एकत्रित लोगों ने नारेबाजी की और आरोप लगाया कि मलिक तथा मदन मित्रा, तपस रॉय और सुजीत बोस जैसे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की मौजूदगी क्षेत्र में शांति के लिए हानिकारक है.
पुलिस ने पहले तो प्रदर्शनकारियों बातचीत कर समझाने की कोशिश की लेकिन जब बात नहीं बनी तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया.