नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय वित्त विधेयक 2017 के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दलीलों पर बुधवार को फैसला सुनाएगा, जो विभिन्न न्यायाधिकरणों की रचना और कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं.
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने वित्त अधिनियम 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ वित्त अधिनियम, 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दलीलों पर बुधवार को फैसला सुनाएगी, जिसे संसद ने धन विधेयक के रूप में पारित किया था.
केन्द्र ने वित्त विधेयक, 2017 के धन विधेयक के रूप में प्रमाणीकरण को सुप्रीम कोर्ट में न्यायोचित ठहराया था और कहा था कि इसके प्रावधानों में न्यायाधिकरणों के सदस्यों को भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि से आते हैं.
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गौरतलब है कि पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे, जिन्होंने 2 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था.
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.