नई दिल्ली : 28 सितंबर को नई संसद और सचिवालय के निर्माण के लिए केंद्रीय विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा और केंद्र उस दिन अपनी दलीलें पेश करेगा.
न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ के सामने कहा गया कि भारतीयों के लिए उस क्षेत्र में बहुत सी ऐतिहासिक विरासतें हैं जहां परियोजना का विस्तार किया जाना है. किसी भी तरीके का बदलाव अगर इस क्षेत्र में किया जाता है तो इसके लिए एक प्रभावी जन सुनवाई होनी चाहिए और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.
सीपीडब्ल्यूडी ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि मौजूदा इमारतें असुरक्षित हैं. याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने तर्क दिया कि सवाल यह नहीं है कि सरकार क्या करना चाहती है, बल्कि यह है कि सरकार कैसे कर रही है. पिछले साल सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना की घोषणा की थी जिसे 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
क्या है सेंट्रल विस्टा परियोजना
संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और इसके आस-पास राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले हरित क्षेत्र में सेंट्रल विस्टा योजना पर काम चल रह है. इसके लिए आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय जमीन भी चिह्नित कर चुका है. इस योजना के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट के बीच लगभग तीन किमी क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें - 14 सितंबर से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, बरती जाएंगी विशेष सावधानियां