ETV Bharat / bharat

सोशल मीडिया के दुरूपयोग से निबटने के लिये केन्द्र दिशानिर्देश तैयार करे: सुप्रीम कोर्ट

author img

By

Published : Sep 24, 2019, 2:41 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 7:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की समय सीमा बताने को कहा है. न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर बताये कि इसके लिये दिशानिर्देश तैयार करने के लिये कितना समय चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि टेक्नोलॉजी ने 'खतरनाक मोड़' ले लिया है. देश में सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने के लिये निश्चित समय के भीतर दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है.

दरअसल आज फेसबुक, ट्विटर समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आधार से लिंक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से योजना के बारे में जानकारी मांगी है.

न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर बताये कि इसके लिये दिशानिर्देश तैयार करने के लिये कितना समय चाहिए. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने किसी संदेश या आनलाइन विवरण के जनक का पता लगाने में कुछ सोशल मीडिया मंचों की असमर्थता पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि अब इसमें सरकार को दखल देना चाहिए.

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत या उच्च न्यायालय इस वैज्ञानिक मुद्दे पर निर्णय लेने में सक्षम नहीं है और इन मुद्दों से निबटने के लिये सरकार को ही उचित दिशानिर्देश बनाने होंगे.

इसे भी पढ़ें- SC में नया नियम, अब सिंगल जज की बेंच जमानत-अग्रिम जमानत के मामले देखेगी

बता दें, इसके पहले सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी दलील में कहा था कि सोशल मीडिया को आधार से जोड़ने से यह पता चलेगा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अपमानजनक लेख, अश्लील सामग्री, राष्ट्र विरोधी और आतंक समर्थित कंटेट कौन डाल रहा है, क्योंकि अभी सरकार यह पता नहीं कर पा रही है कि ऐसे कंटेंट कहां से आ रहे हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि यदि वह सोशल मीडिया खातों को आधार से जोड़ने के लिए किसी भी कदम पर विचार कर रही है तो इसकी क्या योजना है वो बताए.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि टेक्नोलॉजी ने 'खतरनाक मोड़' ले लिया है. देश में सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर अंकुश लगाने के लिये निश्चित समय के भीतर दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है.

दरअसल आज फेसबुक, ट्विटर समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आधार से लिंक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से योजना के बारे में जानकारी मांगी है.

न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह तीन सप्ताह के भीतर बताये कि इसके लिये दिशानिर्देश तैयार करने के लिये कितना समय चाहिए. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने किसी संदेश या आनलाइन विवरण के जनक का पता लगाने में कुछ सोशल मीडिया मंचों की असमर्थता पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि अब इसमें सरकार को दखल देना चाहिए.

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत या उच्च न्यायालय इस वैज्ञानिक मुद्दे पर निर्णय लेने में सक्षम नहीं है और इन मुद्दों से निबटने के लिये सरकार को ही उचित दिशानिर्देश बनाने होंगे.

इसे भी पढ़ें- SC में नया नियम, अब सिंगल जज की बेंच जमानत-अग्रिम जमानत के मामले देखेगी

बता दें, इसके पहले सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी दलील में कहा था कि सोशल मीडिया को आधार से जोड़ने से यह पता चलेगा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अपमानजनक लेख, अश्लील सामग्री, राष्ट्र विरोधी और आतंक समर्थित कंटेट कौन डाल रहा है, क्योंकि अभी सरकार यह पता नहीं कर पा रही है कि ऐसे कंटेंट कहां से आ रहे हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि यदि वह सोशल मीडिया खातों को आधार से जोड़ने के लिए किसी भी कदम पर विचार कर रही है तो इसकी क्या योजना है वो बताए.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 7:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.