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कोरोना महामारी में योद्धाओं को खुश रखने की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट

कोरोना के दौरान डॉक्टरों को वेतन का भुगतान न किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक तरह का युद्ध है और आप सैनिकों को युद्ध के दौरान दुखी नहीं रख सकते. इसलिए कोरोना योद्धाओं को सुरक्षित महसूस कराने के लिए और अधिक प्रयास करें.

supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 12, 2020, 10:51 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 'युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए. थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए.'

न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है.

पीठ ने कहा, 'हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं .दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए.'

न्यायालय इस संबंध में एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोरोना के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है.

इस चिकित्सक ने 14 दिन के क्वारंटाइन की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे.

पीठ ने कहा, 'युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते. थोड़ा आगे बढ़िए और शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए. कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता.'

केंद्र की ओर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जाएगा.

पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा. आप सुनिश्चित कीजिए कि उनकी चिंताओं का समाधान हो. न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

पढ़ें : लॉकडाउन में पूरा वेतन देने के मामले में निजी कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत

केंद्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए निकट भविष्य में उनके लिए बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा.

केंद्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है, लेकिन कोरोना से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

केंद्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का क्वारंटाइन अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 'युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए. थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए.'

न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है.

पीठ ने कहा, 'हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं .दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए.'

न्यायालय इस संबंध में एक डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोरोना के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है.

इस चिकित्सक ने 14 दिन के क्वारंटाइन की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे.

पीठ ने कहा, 'युद्ध में आप सैनिकों को नाराज नहीं करते. थोड़ा आगे बढ़िए और शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए. कोरेाना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता.'

केंद्र की ओर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जाएगा.

पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा. आप सुनिश्चित कीजिए कि उनकी चिंताओं का समाधान हो. न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.

पढ़ें : लॉकडाउन में पूरा वेतन देने के मामले में निजी कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत

केंद्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए निकट भविष्य में उनके लिए बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा.

केंद्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है, लेकिन कोरोना से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

केंद्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का क्वारंटाइन अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है.

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