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बच्चों पर भी हो सकता है कोरोना का गंभीर असर : अध्ययन

जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट बच्चों पर कोरोना वायरस के प्रभाव की व्याख्या करती है. इस रिपोर्ट में एक महीने से लेकर 21 साल के बीच के 46 कोरोना संक्रमितों की तुलना की गई है, जिन्हें या तो सामान्य इकाई पर अथवा सीएचएम में बाल चिकित्सा क्रिटिकल केयर यूनिट (PCCU) में देखभाल मिली.

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Published : May 23, 2020, 4:11 PM IST

हैदराबाद : बाल चिकित्सा अस्पताल, मोंटेफोर (सीएचएएम) और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के बाल रोग विशेषज्ञों, संक्रामक रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों के एक नवीनतम अध्ययन ने बच्चों में कोरोना वायरस के प्रभाव के बारे में बताया है.

जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित, रिपोर्ट में एक महीने से लेकर 21 साल के बीच के 46 कोरोना संक्रमितों की तुलना की गई है, जिन्हें या तो एक सामान्य यूनिट या फिर में पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर यूनिट (पीसीसीयू) में देखभाल मिली. अस्पताल में भर्ती बच्चों में कोविड-19 रोग के पूर्ण स्पेक्ट्रम के बारे में विस्तार से वर्णन करने के लिए यह संयुक्त राज्य अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा एकल-केंद्र अध्ययन है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि गहन देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों में उच्च स्तर की सूजन थी और सामान्य इकाई पर इलाज करने वालों की तुलना में उन्हें अतिरिक्त श्वास सहायता की आवश्यकता थी. पीसीसीयू में देखभाल में रखे बच्चों में से लगभग 80% में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआडीएस) था, जो आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार वयस्क COVID-19 रोगियों से जुड़ा होता है. और उनमें से लगभग 50% बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था.

मुख्य लेखक, एम. डी., एम.एससी, बाल रोग विशेषज्ञ, सीएचएएम और एनेस्थिसियोलॉजी आइंस्टीन के सहायक प्रोफेसर जैरी वाई चाओ ने कहा, 'हम जानते हैं कि वयस्कों में, मोटापा अधिक गंभीर बीमारी के जोखिम का कारक है. हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, हमारे अध्ययन में पाया गया कि आईसयू में भर्ती बच्चे सामान्य इकाई में भर्ती बच्चों की तुलना में कम मोटे थे.'

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि आधे से अधिक बच्चों का कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के साथ कोई ज्ञात संपर्क नहीं था. यह इस तथ्य को दर्शाता है कि वायरस एसिम्पटोमैटिक लोगों द्वारा भी फैलाया जा सकता है और कोविड-19 एक उच्च जनसंख्या घनत्व वाले समुदायों में अधिक तेजी से फैल सकता है.

पढ़ें-कोरोना संकट : स्कूल जाने वाले छात्रों और छोटे बच्चों पर संक्रमण का प्रभाव

एफएएपी के वरिष्ठ चिकित्सक एमडी शिवानंद एस. मेदर ने कहा, 'शुक्र है कि कोरोना से अधिकतर बच्चे ठीक हो चुके हैं और कुछ में तो इसके लक्षण पता ही नहीं चलते हैं. लेकिन यह शोध इस बात की याद दिलाता है कि बच्चे इस वायरस के प्रति प्रतिरक्षित नहीं हैं और कुछ को उच्च स्तर की देखभाल की आवश्यकता होती है.'

उन्होंने कहा, 'ये प्रारंभिक निष्कर्ष बाल रोगियों में कोविड​​-19 की हमारी समझ में योगदान करते हैं, लेकिन यह निर्धारित करने के लिए कि वायरस वास्तव में बच्चों को कैसे प्रभावित करता है, हमें और अधिक शोध की आवश्यकता है.

हैदराबाद : बाल चिकित्सा अस्पताल, मोंटेफोर (सीएचएएम) और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के बाल रोग विशेषज्ञों, संक्रामक रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों के एक नवीनतम अध्ययन ने बच्चों में कोरोना वायरस के प्रभाव के बारे में बताया है.

जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित, रिपोर्ट में एक महीने से लेकर 21 साल के बीच के 46 कोरोना संक्रमितों की तुलना की गई है, जिन्हें या तो एक सामान्य यूनिट या फिर में पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर यूनिट (पीसीसीयू) में देखभाल मिली. अस्पताल में भर्ती बच्चों में कोविड-19 रोग के पूर्ण स्पेक्ट्रम के बारे में विस्तार से वर्णन करने के लिए यह संयुक्त राज्य अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा एकल-केंद्र अध्ययन है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि गहन देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों में उच्च स्तर की सूजन थी और सामान्य इकाई पर इलाज करने वालों की तुलना में उन्हें अतिरिक्त श्वास सहायता की आवश्यकता थी. पीसीसीयू में देखभाल में रखे बच्चों में से लगभग 80% में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआडीएस) था, जो आमतौर पर गंभीर रूप से बीमार वयस्क COVID-19 रोगियों से जुड़ा होता है. और उनमें से लगभग 50% बच्चों को वेंटिलेटर पर रखा गया था.

मुख्य लेखक, एम. डी., एम.एससी, बाल रोग विशेषज्ञ, सीएचएएम और एनेस्थिसियोलॉजी आइंस्टीन के सहायक प्रोफेसर जैरी वाई चाओ ने कहा, 'हम जानते हैं कि वयस्कों में, मोटापा अधिक गंभीर बीमारी के जोखिम का कारक है. हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, हमारे अध्ययन में पाया गया कि आईसयू में भर्ती बच्चे सामान्य इकाई में भर्ती बच्चों की तुलना में कम मोटे थे.'

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि आधे से अधिक बच्चों का कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के साथ कोई ज्ञात संपर्क नहीं था. यह इस तथ्य को दर्शाता है कि वायरस एसिम्पटोमैटिक लोगों द्वारा भी फैलाया जा सकता है और कोविड-19 एक उच्च जनसंख्या घनत्व वाले समुदायों में अधिक तेजी से फैल सकता है.

पढ़ें-कोरोना संकट : स्कूल जाने वाले छात्रों और छोटे बच्चों पर संक्रमण का प्रभाव

एफएएपी के वरिष्ठ चिकित्सक एमडी शिवानंद एस. मेदर ने कहा, 'शुक्र है कि कोरोना से अधिकतर बच्चे ठीक हो चुके हैं और कुछ में तो इसके लक्षण पता ही नहीं चलते हैं. लेकिन यह शोध इस बात की याद दिलाता है कि बच्चे इस वायरस के प्रति प्रतिरक्षित नहीं हैं और कुछ को उच्च स्तर की देखभाल की आवश्यकता होती है.'

उन्होंने कहा, 'ये प्रारंभिक निष्कर्ष बाल रोगियों में कोविड​​-19 की हमारी समझ में योगदान करते हैं, लेकिन यह निर्धारित करने के लिए कि वायरस वास्तव में बच्चों को कैसे प्रभावित करता है, हमें और अधिक शोध की आवश्यकता है.

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