भुवनेश्वर : कभी 'धान के कटोरे' के रूप में विख्यात ओडिशा का बरगढ़ आज कैंसर का भयावह क्षेत्र बन गया है. यहां हर दूसरे दिन, किसी न किसी शख्स में कैंसर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है. बरगढ़ में कैंसर के मरीजों की संख्या पूरे राज्य में सबसे ज्यादा है. संदेह है कि खेती के दौरान बड़ी मात्रा में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग इसका प्रमुख कारण है.
विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण, दूषित जल और खाद्य पदार्थों में घातक अवयवों के कारण जिलेभर में ट्यूमर और कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं. 1950 के बाद से जिले में धान की फसलों और सब्जियों की खेती में वृद्धि देखी गई, जब हीराकुंड जलाशय से इस क्षेत्र को सिंचित किया गया.
आंध्र प्रदेश जैसे पानी की कमी वाले राज्यों के कई किसान इस जिले में बस गए और पानी की उपलब्धता के सहारे खेती शुरू की. किसानों ने फसलों की बेहतर पैदावार के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का अधिक मात्रा में उपयोग किया, जबकि जिलों में भूजल भंडार साल दर साल प्रदूषित होता गया और अब ओडिशा में कैंसर के कुल मामलों का 26.3 प्रतिशत अकेले बरगढ़ से रिपोर्ट किया जा रहा है.
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जिले में केवल एक सरकारी अस्पताल है. कैंसर का प्रहार गरीब राज्यों के निवासियों के बजट को खत्म कर देता है. बरगढ़ में कैंसर से जंग जीते लोगों ने 'फाइटर्स ग्रुप' नाम का एक संगठन बनाकर कई कैंसर रोगियों की सहायता के लिए हाथ बढ़ाया. यह संगठन 2017 से बरगढ़ में कैंसर अस्पताल स्थापित करने की मांग कर रहा है. सरकार इस पर कब तक जवाब देगी, लोगों को इंतजार है.