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सुरक्षित उपायों के साथ मनाएं त्योहार, राज्यों ने जारी किए दिशानिर्देश

पूरी दुनिया कोरोना काल से जूझ रही है. भारत में भी कोरोना का भारी संकट है. कोरोना काल में आगामी त्योहार के मद्देनजर सावधानी बरतने की जरूरत है. कोरोना किसी चुनौती से कम नहीं है इसके चलते त्योहारों की रौनक भी फीकी पड़ रही है. साथ ही लोगों का त्योहार को मनाने का एक अलग आनंद होता है जो इस बार फीका पड़ रहा है. अब ऐसे माहौल में अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के साथ-साथ अच्छे से त्योहार मनाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

Upcoming festivals in the Corona time
कोरोना काल में आगामी त्योहार
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Published : Oct 7, 2020, 12:21 PM IST

नई दिल्ली : आज दुनिया एक ऐसे अदृश्य दुश्मन से लड़ रही है, जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है. अभी तक महामारी के कारण दुनिया भर में 10 लाख मौतें हो चुकी हैं, जबकि 3.5 करोड़ मामले अब तक सामने आ चुके हैं.

भारत में अब तक 66 लाख मामले और एक लाख मौतें हुई हैं. हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को एक अलर्ट जारी किया है, जिसमें उन्हें आगामी त्योहारों को देखते हुए सावधानी बरतने को कहा है. आमतौर पर भारत में त्योहार बड़ी भीड़ और सामुदायिक समारोहों का पर्याय हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते, शारीरिक दूरी बनाये रखना एक नया रिवाज सा हो गया है.

हमें आगामी उत्सव को कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए, कम से कम अभी के लिए ओणम 2020 के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों से केरलवासी समारोहों में शामिल होने के लिए भारत आये. दुर्भाग्य से त्योहार के कारण, कोरोना वायरस के मामलों में भी वृद्धि देखी गई.

केरल में 31 अक्टूबर तक धारा 144 लागू
महामारी के लिए दिए गए दिशानिर्देशों के पालन में की गई लापरवाही मलप्पुरम, इडुक्की, कोल्लम और पठानमथिट्टा के लिए विनाशकारी साबित हुई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को 31 अक्टूबर तक राज्य भर में धारा 144 लागू करना पड़ा है.

गरबा और डांडिया कार्यक्रम प्रतिबंधित
स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल में इसी तरह के परिणामों की चेतावनी दी है, क्योंकि यह राज्य अपने दुर्गा पूजा समारोहों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है जो बड़े पैमाने पर भीड़ को आकर्षित करते हैं. महाराष्ट्र सरकार ने नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया कार्यक्रमों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है.

दिशा-निर्देश लागू करने के लिए तैयार
उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तेलंगाना की सरकारें आवश्यक दिशा-निर्देश लागू करने के लिए तैयार कर रही हैं. लोगों को अपनी जिम्मेदारी को बराबर मानकर बथुकम्मा, दशहरा और दीपावली समारोह के दौरान एहतियाती उपायों को स्वेच्छा से पालन करना चाहिए.

एयरोसोल ट्रांसमिशन
शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि वायरस एक संक्रमित मेजबान के छींकने या खांसने पर बड़ी बूंदों के माध्यम से फैलता है. लेकिन बाद में यह पुष्टि की गई कि एयरोसोल ट्रांसमिशन यानि कि सूक्ष्म बूंदों से भी संभव हैं.

वायरस को लेकर लोगों में गंभीरता नहीं
भारत ने इस संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से पहले लॉकडाउन की घोषणा की. जैसे-जैसे देश ने चरणबद्ध तरीके से अनलॉक करना शुरू किया, जनता ने इस वायरस को गंभीरता से लेना छोड़ दिया.

पढ़ें:भारतीय कोविड-19 वैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण में बेहतर रिपोर्ट

मास्क न लगाने पर सजा का प्रावधान
केंद्र और राज्य सरकारों ने मास्क पहनने और सामाजिक दूरी का पालन करने के बारे में कई निर्देश जारी किए हैं. कई राज्यों ने मास्क नहीं पहनने पर दंड या कारावास का प्रावधान भी किया है, उसके बावजूद कई लोग बिना किसी मास्क के घुमते नजर आते हैं. वे खुद तो संक्रमण की चपेट में आने का खतरा उठाते हैं साथ ही दूसरों को खतरे में डाल रहे हैं.

तेजी से फैलता संक्रमण
महामारी अब छोटे शहरों और गांवों में फैल रही है. मानसून के दौरान संक्रामक रोग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. यदि ऐसे में लोग उत्सव में भाग लेने का निर्णय लेते हैं, तो कोई भी सरकार इस कदम के प्रतिकूल परिणामों को नियंत्रित नहीं कर सकती है.

सावधानी से कदम उठाने की जरूरत
हमें अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की बजटीय और कार्यात्मक सीमाओं को समझना चाहिए और सावधानी से कदम उठाने चाहिए. ओणम के त्योहार से सबक लेते हुए, हमें अपनी जिम्मेदारी और अधिक समझनी चाहिए. मास्क पहनना चाहिए. भीड़ और सभाओं से परहेज करना चाहिए. चूंकि अभी तक वैक्सीन के बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं है, इसलिए व्यक्तिगत सावधानी ही केवल एक बचाव है.

नई दिल्ली : आज दुनिया एक ऐसे अदृश्य दुश्मन से लड़ रही है, जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा है. अभी तक महामारी के कारण दुनिया भर में 10 लाख मौतें हो चुकी हैं, जबकि 3.5 करोड़ मामले अब तक सामने आ चुके हैं.

भारत में अब तक 66 लाख मामले और एक लाख मौतें हुई हैं. हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को एक अलर्ट जारी किया है, जिसमें उन्हें आगामी त्योहारों को देखते हुए सावधानी बरतने को कहा है. आमतौर पर भारत में त्योहार बड़ी भीड़ और सामुदायिक समारोहों का पर्याय हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते, शारीरिक दूरी बनाये रखना एक नया रिवाज सा हो गया है.

हमें आगामी उत्सव को कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए, कम से कम अभी के लिए ओणम 2020 के कारण दुनिया के विभिन्न हिस्सों से केरलवासी समारोहों में शामिल होने के लिए भारत आये. दुर्भाग्य से त्योहार के कारण, कोरोना वायरस के मामलों में भी वृद्धि देखी गई.

केरल में 31 अक्टूबर तक धारा 144 लागू
महामारी के लिए दिए गए दिशानिर्देशों के पालन में की गई लापरवाही मलप्पुरम, इडुक्की, कोल्लम और पठानमथिट्टा के लिए विनाशकारी साबित हुई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को 31 अक्टूबर तक राज्य भर में धारा 144 लागू करना पड़ा है.

गरबा और डांडिया कार्यक्रम प्रतिबंधित
स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल में इसी तरह के परिणामों की चेतावनी दी है, क्योंकि यह राज्य अपने दुर्गा पूजा समारोहों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है जो बड़े पैमाने पर भीड़ को आकर्षित करते हैं. महाराष्ट्र सरकार ने नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया कार्यक्रमों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है.

दिशा-निर्देश लागू करने के लिए तैयार
उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तेलंगाना की सरकारें आवश्यक दिशा-निर्देश लागू करने के लिए तैयार कर रही हैं. लोगों को अपनी जिम्मेदारी को बराबर मानकर बथुकम्मा, दशहरा और दीपावली समारोह के दौरान एहतियाती उपायों को स्वेच्छा से पालन करना चाहिए.

एयरोसोल ट्रांसमिशन
शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि वायरस एक संक्रमित मेजबान के छींकने या खांसने पर बड़ी बूंदों के माध्यम से फैलता है. लेकिन बाद में यह पुष्टि की गई कि एयरोसोल ट्रांसमिशन यानि कि सूक्ष्म बूंदों से भी संभव हैं.

वायरस को लेकर लोगों में गंभीरता नहीं
भारत ने इस संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से पहले लॉकडाउन की घोषणा की. जैसे-जैसे देश ने चरणबद्ध तरीके से अनलॉक करना शुरू किया, जनता ने इस वायरस को गंभीरता से लेना छोड़ दिया.

पढ़ें:भारतीय कोविड-19 वैक्सीन का क्लीनिकल परीक्षण में बेहतर रिपोर्ट

मास्क न लगाने पर सजा का प्रावधान
केंद्र और राज्य सरकारों ने मास्क पहनने और सामाजिक दूरी का पालन करने के बारे में कई निर्देश जारी किए हैं. कई राज्यों ने मास्क नहीं पहनने पर दंड या कारावास का प्रावधान भी किया है, उसके बावजूद कई लोग बिना किसी मास्क के घुमते नजर आते हैं. वे खुद तो संक्रमण की चपेट में आने का खतरा उठाते हैं साथ ही दूसरों को खतरे में डाल रहे हैं.

तेजी से फैलता संक्रमण
महामारी अब छोटे शहरों और गांवों में फैल रही है. मानसून के दौरान संक्रामक रोग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. यदि ऐसे में लोग उत्सव में भाग लेने का निर्णय लेते हैं, तो कोई भी सरकार इस कदम के प्रतिकूल परिणामों को नियंत्रित नहीं कर सकती है.

सावधानी से कदम उठाने की जरूरत
हमें अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की बजटीय और कार्यात्मक सीमाओं को समझना चाहिए और सावधानी से कदम उठाने चाहिए. ओणम के त्योहार से सबक लेते हुए, हमें अपनी जिम्मेदारी और अधिक समझनी चाहिए. मास्क पहनना चाहिए. भीड़ और सभाओं से परहेज करना चाहिए. चूंकि अभी तक वैक्सीन के बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं है, इसलिए व्यक्तिगत सावधानी ही केवल एक बचाव है.

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