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राज्यों ने आयातित प्याज से मुंह फेरा, केंद्र को स्टॉक खराब होने की आशंका

उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने प्याज की कीमतों को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्यों को 55 रुपये प्रति किलोग्राम की बंदरगाह पर बैठने वाली दर से प्याज की पेशकश कर रहा है और वह इन प्याजों के परिवहन की लागत भी वहन करने को तैयार है.

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रामविलास पासवान
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Published : Jan 14, 2020, 11:56 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 4:15 PM IST

नई दिल्ली : प्याज की कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने के लिए इसका आयात करने को बाध्य होने के बाद अब केंद्र सरकार को यह डर है कि प्याज कहीं गोदामों में पड़ी-पड़ी सड़ न जाए. इस आशंका का कारण यह है कि केंद्र द्वारा परिवहन लागत की पेशकश के बावजूद राज्यों ने इन्हें खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र, राज्यों को 55 रुपये प्रति किलोग्राम की बंदरगाह पर बैठने वाली दर से प्याज की पेशकश कर रहा है और वह इन प्याजों के परिवहन की लागत भी वहन करने को तैयार है.

केंद्र ही अकेले प्याज का आयात कर सकता है और उसके बाद यह राज्यों का जिम्मा बनता है कि वो उपभोक्ताओं को इसकी खुदरा बिक्री कर पहुंचाएं.

खुदरा प्याज की कीमतें सितंबर के अंत तक बढ़ने लगी थीं और दिसंबर में यह 170 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंची. इसके बाद केंद्र सरकार को तुर्की और मिस्र जैसे देशों से प्याज आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा. बाद के हफ्तों में, बाजार में नई खरीफ की फसल के आगमन के साथ दरें नरम होने लगीं.

पासवान ने संवाददाताओं से कहा, 'अभी तक, हमने 36,000 टन प्याज का अनुबंध (आयात) किया है. इसमें से, 18,500 टन शिपमेंट भारत में पहुंच गया है, लेकिन राज्यों ने केवल 2,000 टन लिया है. वो भी बहुत मान मनौव्वल के बाद. हम इन्हें खपाने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह खराब होने वाली वस्तु है.'

उन्होंने कहा, 'कल, कोई अदालत न चला जाए और कहे कि आयातित प्याज सड़ रही थी.'

पासवान ने कहा कि केंद्र आयातित प्याज को 55 रुपये प्रति किलो की औसत दर पर दे रहा है और पूरा परिवहन खर्च भी उठा रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकारें प्याज खरीदने के लिए आगे नहीं आ रही हैं.

यह पूछे जाने पर कि आयात के बावजूद कीमतें अब भी अधिक क्यों हैं, पासवान ने कहा, 'आयात, (प्याज का) घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. यदि राज्य सरकारें आयातित प्याज लेने को तैयार नहीं हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?'

पढ़ें : राज्यों को 50-60 रु. प्रति किलो प्याज उपलब्ध कराएगा केंद्र : पासवान

उन्होंने कहा कि अब तक आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकारों ने आयातित प्याज ली हैं. लेकिन कई अन्य राज्यों ने अपनी मांग वापस ले ली है.

सूत्रों ने कहा कि आयातित प्याज का स्वाद घरेलू प्याज से अलग है और घरेलू प्याज के समान दर पर उपलब्ध होने के कारण उपभोक्ता उन्हें (आयातित प्याज) नहीं खरीद रहे हैं.

सरकार, सरकारी एजेंसी एमएमटीसी के माध्यम से प्याज आयात कर रही है. तुर्की, अफगानिस्तान और मिस्र से प्याज का आयात किया जा रहा है. खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है.

पासवान ने यह भी कहा कि मंत्रालय अन्य वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य तेलों और दालों की कीमतों पर कड़ी नजर रख रहा है. सरकार उचित समय पर कार्रवाई करेगी.

नई दिल्ली : प्याज की कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने के लिए इसका आयात करने को बाध्य होने के बाद अब केंद्र सरकार को यह डर है कि प्याज कहीं गोदामों में पड़ी-पड़ी सड़ न जाए. इस आशंका का कारण यह है कि केंद्र द्वारा परिवहन लागत की पेशकश के बावजूद राज्यों ने इन्हें खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र, राज्यों को 55 रुपये प्रति किलोग्राम की बंदरगाह पर बैठने वाली दर से प्याज की पेशकश कर रहा है और वह इन प्याजों के परिवहन की लागत भी वहन करने को तैयार है.

केंद्र ही अकेले प्याज का आयात कर सकता है और उसके बाद यह राज्यों का जिम्मा बनता है कि वो उपभोक्ताओं को इसकी खुदरा बिक्री कर पहुंचाएं.

खुदरा प्याज की कीमतें सितंबर के अंत तक बढ़ने लगी थीं और दिसंबर में यह 170 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंची. इसके बाद केंद्र सरकार को तुर्की और मिस्र जैसे देशों से प्याज आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा. बाद के हफ्तों में, बाजार में नई खरीफ की फसल के आगमन के साथ दरें नरम होने लगीं.

पासवान ने संवाददाताओं से कहा, 'अभी तक, हमने 36,000 टन प्याज का अनुबंध (आयात) किया है. इसमें से, 18,500 टन शिपमेंट भारत में पहुंच गया है, लेकिन राज्यों ने केवल 2,000 टन लिया है. वो भी बहुत मान मनौव्वल के बाद. हम इन्हें खपाने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह खराब होने वाली वस्तु है.'

उन्होंने कहा, 'कल, कोई अदालत न चला जाए और कहे कि आयातित प्याज सड़ रही थी.'

पासवान ने कहा कि केंद्र आयातित प्याज को 55 रुपये प्रति किलो की औसत दर पर दे रहा है और पूरा परिवहन खर्च भी उठा रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकारें प्याज खरीदने के लिए आगे नहीं आ रही हैं.

यह पूछे जाने पर कि आयात के बावजूद कीमतें अब भी अधिक क्यों हैं, पासवान ने कहा, 'आयात, (प्याज का) घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. यदि राज्य सरकारें आयातित प्याज लेने को तैयार नहीं हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?'

पढ़ें : राज्यों को 50-60 रु. प्रति किलो प्याज उपलब्ध कराएगा केंद्र : पासवान

उन्होंने कहा कि अब तक आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकारों ने आयातित प्याज ली हैं. लेकिन कई अन्य राज्यों ने अपनी मांग वापस ले ली है.

सूत्रों ने कहा कि आयातित प्याज का स्वाद घरेलू प्याज से अलग है और घरेलू प्याज के समान दर पर उपलब्ध होने के कारण उपभोक्ता उन्हें (आयातित प्याज) नहीं खरीद रहे हैं.

सरकार, सरकारी एजेंसी एमएमटीसी के माध्यम से प्याज आयात कर रही है. तुर्की, अफगानिस्तान और मिस्र से प्याज का आयात किया जा रहा है. खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है.

पासवान ने यह भी कहा कि मंत्रालय अन्य वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य तेलों और दालों की कीमतों पर कड़ी नजर रख रहा है. सरकार उचित समय पर कार्रवाई करेगी.

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राज्यों ने आयातित प्याज से मुंह फेरा, केन्द्र को प्याज स्टॉक के खराब होने की आशंका

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) प्याज कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने के लिए इस सब्जी का आयात करने को बाध्य होने के बाद अब केंद्र सरकार को यह डर है कि प्याज कहीं गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ न जाये. इस आशंका का कारण यह है कि केन्द्र द्वारा परिवहन लागत की पेशकश के बावजूद राज्यों ने इन्हें खरीदने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है.



उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र, राज्यों को 55 रुपये प्रति किलोग्राम की बंदरगाह पर बैठने वाली दर से प्याज की पेशकश कर रहा है और वह इन प्याजों के परिवहन की लागत भी वहन करने को तैयार है.



केंद्र ही अकेले प्याज का आयात कर सकता है और उसके बाद यह राज्यों का जिम्मा बनता है कि वो उपभोक्ताओं को इसकी खुदरा बिक्री कर पहुंचायें.



खुदरा प्याज की कीमतें सितंबर के अंत तक बढ़ने लगीं और दिसंबर में 170 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर जा पहुंची. इसके बाद केंद्र सरकार को तुर्की और मिस्र जैसे देशों से प्याज आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा. बाद के हफ्तों में, बाजार में नई खरीफ की फसल के आगमन के साथ दरें नरम होने लगीं.



पासवान ने संवाददाताओं से कहा, 'अभी तक, हमने 36,000 टन प्याज का अनुबंध (आयात) किया है. इसमें से, 18,500 टन शिपमेंट भारत में पहुंच गया है, लेकिन राज्यों ने केवल 2,000 टन लिया है. वो भी बहुत मान मनौव्वल के बाद. हम इन्हें खपाने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह खराब होने वाली वस्तु है.' उन्होंने कहा, 'कल, कोई अदालत न चला जाये और कहे कि आयातित प्याज सड़ रहे थे.' पासवान ने कहा कि केंद्र आयातित प्याज को 55 रुपये प्रति किलो की औसत दर पर दे रहा है और पूरा परिवहन खर्च भी उठा रहा है. इसके बावजूद राज्य सरकारें प्याज खरीदने के लिए आगे नहीं आ रही हैं.

यह पूछे जाने पर कि आयात के बावजूद कीमतें अभी भी अधिक क्यों हैं, पासवान ने कहा, 'आयात, (प्याज का) घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. यदि राज्य सरकारें आयातित प्याज लेने को तैयार नहीं हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?' 

उन्होंने कहा कि अब तक आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने आयातित प्याज लिये हैं. कई राज्यों ने अपनी मांग वापस ले ली है.

सूत्रों ने कहा कि आयातित प्याज का स्वाद घरेलू प्याज से अलग है और घरेलू प्याज के समान दर पर उपलब्ध होने के कारण उपभोक्ता उन्हें (आयातित प्याज) नहीं खरीद रहे हैं.

सरकार, सरकारी एजेंसी एमएमटीसी के माध्यम से प्याज आयात कर रही है. तुर्की, अफगानिस्तान और मिस्र से प्याज का आयात किया जा रहा है. खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है.

पासवान ने यह भी कहा कि मंत्रालय अन्य वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य तेलों और दालों की कीमतों पर कड़ी नजर रख रहा है. सरकार उचित समय पर कार्रवाई करेगी.


Conclusion:
Last Updated : Jan 15, 2020, 4:15 PM IST
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