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हिमाचल : पूर्णाहुति डालने के बाद यहां होने लगती है बारिश, सूखा पड़ने पर महादेव ऐसे बरसाते हैं कृपा

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Published : Dec 15, 2019, 10:43 AM IST

मंडी के करसोग क्षेत्र में जहां मौजूद मंदिरों के गहरे रहस्य आज भी लोगों को अचंभित कर देते हैं, लेकिन करसोग से करीब 40 किलोमीटर दूर खील पंचायत में पड़ने वाला अशणी शिव मंदिर ऐसी जगह पर बनाया गया है, जहां तीन खड्ड आपस में मिलते हैं. इसलिए स्थानीय लोग इस क्षेत्र को अशणी त्रिवेणी के नाम से भी पुकारते हैं. पढे़ं पूरा विवरण..

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रहस्यमयी मंदिर

शिमला : हिमाचल को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद मंदिर अपने भीतर कई रहस्य और राज छिपाए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता चला आ रहा है. इसी कड़ी में आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्य से रूबरू कराएंगे, जहां पूजा करने के ढाई घंटों के भीतर बारिश होने लगती है.

प्रदेश के मंडी के करसोग क्षेत्र में मौजूद मंदिरों के गहरे रहस्य आज भी लोगों को अचंभित कर देते हैं, लेकिन करसोग से करीब 40 किलोमीटर दूर खील पंचायत में पड़ने वाला अशणी शिव मंदिर ऐसी जगह पर बनाया गया है, जहां तीन खड्ड आपस में मिलते हैं. इसलिए स्थानीय लोग इस क्षेत्र को अशणी त्रिवेणी के नाम से भी पुकारते हैं.

रहस्यमयी मंदिर

मान्यता है कि सूखा पड़ने पर करसोग की कई पंचायतों के लोग शिव मंदिर में बारिश के लिए रुद्राभिषेक का पाठ का आयोजन करते हैं. पूर्णाहुति के दिन दूर-दूर से लोग यहां ढोल नगाड़ों के साथ बारिश की मनोकामना लिए मंदिर में एकत्रित होते हैं.

बता दें कि यज्ञ में पूर्णाहुति डालने से पहले श्रद्धालु साथ बहते तीन खड्डों के पास मंदिर तक जाने वाले रास्ते के दोनों ओर लंबी कतारें बनाकर खड़े हो जाते हैं और साथ लगते स्त्रोत से पानी की बाल्टियां एक दूसरे को पकड़ाकर हर-हर महादेव के उच्चारण के साथ शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद यज्ञ में पूर्णाहुति डाली जाती है. मान्यता है कि यज्ञ संपन्न होने के बाद ढाई घंटे के भीतर आसमान में बादल उमड़ आते हैं और बारिश होने लगती है.

पूर्णाहुति वाले दिन अशणी शिव मंदिर में कई गांवों से आई महिलाएं भजन कीर्तन करती हैं. पुजारी गोविंद राम ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में रुद्राभिषेक का पाठ किया जाता है. उनका कहना है कि जब भी कभी क्षेत्र में किसी भी तरह की प्राकृतिक विपदा आती है तो अशनी मंदिर ही लोगों की रक्षा करता है.

करसोग में सूखा पड़ने पर सदियों से यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी विज्ञान के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है. आसमान में चाहे दूर-दूर तक बादल दिखाई न दे, लेकिन मंदिर में यज्ञ संपन्न हो जाने के चंद घंटों के भीतर ही करसोग में झमाझम बारिश होने लगती है.

ये भी पढ़ें : देवघर में शाह की चुनावी जनसभा, कांग्रेस, सोरेन पर जमकर साधा निशाना

शिमला : हिमाचल को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद मंदिर अपने भीतर कई रहस्य और राज छिपाए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता चला आ रहा है. इसी कड़ी में आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्य से रूबरू कराएंगे, जहां पूजा करने के ढाई घंटों के भीतर बारिश होने लगती है.

प्रदेश के मंडी के करसोग क्षेत्र में मौजूद मंदिरों के गहरे रहस्य आज भी लोगों को अचंभित कर देते हैं, लेकिन करसोग से करीब 40 किलोमीटर दूर खील पंचायत में पड़ने वाला अशणी शिव मंदिर ऐसी जगह पर बनाया गया है, जहां तीन खड्ड आपस में मिलते हैं. इसलिए स्थानीय लोग इस क्षेत्र को अशणी त्रिवेणी के नाम से भी पुकारते हैं.

रहस्यमयी मंदिर

मान्यता है कि सूखा पड़ने पर करसोग की कई पंचायतों के लोग शिव मंदिर में बारिश के लिए रुद्राभिषेक का पाठ का आयोजन करते हैं. पूर्णाहुति के दिन दूर-दूर से लोग यहां ढोल नगाड़ों के साथ बारिश की मनोकामना लिए मंदिर में एकत्रित होते हैं.

बता दें कि यज्ञ में पूर्णाहुति डालने से पहले श्रद्धालु साथ बहते तीन खड्डों के पास मंदिर तक जाने वाले रास्ते के दोनों ओर लंबी कतारें बनाकर खड़े हो जाते हैं और साथ लगते स्त्रोत से पानी की बाल्टियां एक दूसरे को पकड़ाकर हर-हर महादेव के उच्चारण के साथ शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद यज्ञ में पूर्णाहुति डाली जाती है. मान्यता है कि यज्ञ संपन्न होने के बाद ढाई घंटे के भीतर आसमान में बादल उमड़ आते हैं और बारिश होने लगती है.

पूर्णाहुति वाले दिन अशणी शिव मंदिर में कई गांवों से आई महिलाएं भजन कीर्तन करती हैं. पुजारी गोविंद राम ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में रुद्राभिषेक का पाठ किया जाता है. उनका कहना है कि जब भी कभी क्षेत्र में किसी भी तरह की प्राकृतिक विपदा आती है तो अशनी मंदिर ही लोगों की रक्षा करता है.

करसोग में सूखा पड़ने पर सदियों से यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी विज्ञान के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है. आसमान में चाहे दूर-दूर तक बादल दिखाई न दे, लेकिन मंदिर में यज्ञ संपन्न हो जाने के चंद घंटों के भीतर ही करसोग में झमाझम बारिश होने लगती है.

ये भी पढ़ें : देवघर में शाह की चुनावी जनसभा, कांग्रेस, सोरेन पर जमकर साधा निशाना

Intro:पूर्णाहुति के दिन दूर दूर से लोग यहां ढोल नगाड़ों के साथ बारिश की मनोकामना लिए मंदिर में एकत्रित होते हैं। इसके बाद यज्ञ में पूर्णाहुति डालने से पहले साथ बहती तीन खड्डों के पास मंदिर तक जाने वाले रास्ते के दोनों ओर लंबी कतारें बनाकर खड़े होते हैं और साथ लगते स्त्रोत से पानी से भरी बाल्टियों से एक दूसरे को पकड़कर हर हर महादेव का उच्चारण के साथ शिवलिंग की जलहरी को बरते हैं। इसके बाद सभी लोग यज्ञ में पूर्णाहुति डालते हैं। जिसके बाद ढाई घन्टे के अंदर ही आसमान पर बादल उमड़ आते हैं और देखते ही देखते मेघ झमाझम बरसने लगते हैं। Body:
बारिश न होने पर इस मंदिर में लोग करते हैं महादेव की पूजा, झमाझम बरसने लगते हैं मेघ
करसोग
जिला मंडी के करसोग क्षेत्रों में मंदिरों के गहरे रहस्य आज भी लोगों को अचंभित करते है। यहां ऐसा ही एक अशणी में सदियों पुराना शिव मंदिर है। करसोग से करीब 40 किलोमीटर पीछे खील पंचायत में पड़ने वाला अशणी में ये शिव मंदिर ऐसी जगह पर बनाया गया है, जहां तीन आपस मे तीन खड्डे मिलती है। इसलिए स्थानीय लोग अशणी त्रिवेणी के नाम से भी पुकारते हैं। यहां इलाके में सुखा पड़ने पर सदियों से चली आ रही मान्यता आज भी बरकरार है। यहां सूखा पड़ने पर करसोग की कई पंचायतों के लोग शिव मंदिर में बारिश के लिए रुद्रा पाठ करते हैं। पूर्णाहुति के दिन दूर दूर से लोग यहां ढोल नगाड़ों के साथ बारिश की मनोकामना लिए मंदिर में एकत्रित होते हैं। इसके बाद यज्ञ में पूर्णाहुति डालने से पहले साथ बहती तीन खड्डों के पास मंदिर तक जाने वाले रास्ते के दोनों ओर लंबी कतारें बनाकर खड़े होते हैं और साथ लगते स्त्रोत से पानी से भरी बाल्टियों से एक दूसरे को पकड़कर हर हर महादेव का उच्चारण के साथ शिवलिंग की जलहरी को बरते हैं। इसके बाद सभी लोग यज्ञ में पूर्णाहुति डालते हैं। जिसके बाद ढाई घन्टे के अंदर ही आसमान पर बादल उमड़ आते हैं और देखते ही देखते मेघ झमाझम बरसने लगते हैं।

दिनभर भजन कीर्तन:
पूर्णाहुति को दिन भर महादेव मंदिर में कई गांवों से आई महिलाएं भजन कीर्तन करती है। पुजारी गोविंद राम का कहना है रुद्रापाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। उनका कहना है कि जब भी कभी क्षेत्र में किसी भी तरह की प्राकृतिक विपदा आती है। अशनी मंदिर में रुद्रा पाठ करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है। उनका कहना है कि करसोग में जब भी बारिश नहीं होती है। चारों दिशाओं में बसे गांवों से लोग वाद्ययंत्रों के साथ हर हर महादेव के उच्चारण करते हुए मंदिर में पहुंचते है। इसके बाद सभी लोग जलहेरी भरने के बाद यज्ञ में आहूति डालते हैं और इसी दौरान आसमान में घनघोर बादल धिर आते हैं और झमाझम बरसात शुरू हो जाती है।

Conclusion:चारों दिशाओं में बसे गांवों से लोग वाद्ययंत्रों के साथ हर हर महादेव के उच्चारण करते हुए मंदिर में पहुंचते है। इसके बाद सभी लोग जलहेरी भरने के बाद यज्ञ में आहूति डालते हैं और इसी दौरान आसमान में घनघोर बादल धिर आते हैं और झमाझम बरसात शुरू हो जाती है।

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