नई दिल्ली : दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है. वहीं चीन सेना ने भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की. इस दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा भारत चीनी और भारतीय सेना में कई विवाद भी हुआ है. इस विवाद को लेकर शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने भारत की जनता से चीनी सामानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया. सोनम वांगचुक ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद कभी भी मल्टीनेशनल कंपनी की तरफ जाने का मन नहीं बनाया. उन्होंने अधिक पैसों पर काम करने के बजाय घर की ओर रूख किया. बाद में उनके जीवन पर ही बॉलीवुड की सुपर हिट फिल्म थ्री इडियट बनी.
चीनी सामान का बहिष्कार का आह्वान करने वाले सोनम से ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने कई सवाल किए, जिनका उन्होंने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया.
प्रश्न : चीन को परास्त करने के लिए आपके मन में यह बात कैसे आई कि बुलेट की जगह वॉलेट का इस्तेमाल किया जा सकता है.
सोनम वांगचुक : लद्दाख में रहते हुए चीन का दबदबा कहिए या घुसपैठ, यह देखते आया हूं. बहुत तकलीफ होती है यहां के लोगों को. खासकर चरवाहों को, जहां वे बकरियां चराने जाते हैं. वह जमीन कम होती जा रही है. यह सोचता रहा हूं कि इसका कुछ होना चाहिए. इस बार वह सिर्फ सीमा का उल्लंघन नहीं कर रहा है. वो भी उस दौरान, जब दुनियाभर में महामारी फैली हो. इससे यह पता चलता है कि वह अपनी आंतरिक समस्याओं को सुलझाने के लिए कर रहा है. कोरोना महामारी के दौरान हुई अर्थव्यवस्था की क्षति को लेकर चीन की जनता परेशान है. यदि वह अर्थव्यवस्था के लिए कर रहे हैं तो हम क्यों न अर्थव्यवस्था से चोट करें. यह सब भारत की जनता को करना होगा. जिसे बटुए से किया जा सकता है. इसके लिए चीनी समानों का बहिष्कार करना होगा.
प्रश्न : क्या यह आह्वान सोनम वांगचुक का प्रैक्टिकल है. क्योंकि चीनी सामान दुनियाभर में लोगों के जीवन में इंटीग्रेटेड (जुड़ गए) हो गए हैं, जिन्हें छोड़ना मुश्किल है.
सोनम वांगचुक : यह मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं. जब पथ के इरादे से कोई निकल पड़े तो माहौल उसे उस हिसाब से ढाल लेती है. यदि हम मुश्किल की तुलना करें तो आपको चीनी एप टिकटॉक न चलाने से कितनी कठिनाई होती और हमारे सैनिक को सीमा पर कड़ाके की ठंड में रहने में कितनी मुश्किल होती होगी. इतनी छोटी सी बात आप नहीं कर सकते हैं तो क्या कर सकते हैं.
प्रश्न : आपको लगता है कि भारतीयों का 'सब चलता है' वाला एटीट्यूड है, क्या आप इससे नाराज हैं.
सोनम वांगचुक : बहुत नाराज हूं. अगर कोई ले डूबेगा भारत को तो यह चलता ही है. चीन की मैं इज्जत करता हूं क्योंकि वह बारीकी से काम करता है, जिसमें वह सफल रहता है. कोरोना महामारी को लेकर हम बदनाम होंगे. पहले हमने इसे रोक लिया था और अब देखिए क्या स्थिति हो रही है. हमें इसके लिए सुरक्षात्मक कदम उठाना होगा. भारत के लोग यदि बीमार होंगे तो हम कैसे चीन का सामना करेंगे. इसलिए हमें नियमों का पालन करना होगा.
प्रश्न : हम चीन से पांच लाख करोड़ रुपये का सामान आयात करते हैं. उसमें करीब 41 फीसदी इलेक्ट्रिक सामान हैं. हम चीन को इस रास्ते से हटाकर कहां से सामान ले सकते हैं.
सोनम वांगचुक : जितना हो, देश में उत्पादन किया जाए. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार तो चलता रहेगा. जिनका रिकॉर्ड अच्छा है, हम उनसे सामान खरीदें. चीन सामान सस्ता बनाता है तो सामान क्यों सस्ता बनाता है. चीन होशियार है, इसलिए सामान सस्ता बना रहा है. वहां तमाम तरह के नियमों का उल्लंघन किया जाता है. वहां सरकार सब्सिडी ज्यादा देती है, जिससे पड़ोसी देश पर असर पड़े. हमारी दुश्मनी चीनी सरकार से है, चीनी जनता से नहीं है.
प्रश्न : जो आह्वान आपने देश के नागरिकों से किया, वह आप देश के व्यापारियों और कंपनियों से भी करेंगे.
सोनम वांगचुक : उनसे मैं बाद में करूंगा. पहले मैं नागरिकों से ही करूंगा. वह सामानों के सस्ते होने पर इन सामानों को न खरीदें. इसके बाद मैं सरकार और उद्योगपतियों से बात करूंगा कि भारत में बनी चीजों को प्रोत्साहित करें.
प्रश्न : आप ने देखा कि चीनी कंपनिया एफडीआई के माध्यम से निवेश करती थीं, जो खतरनाक था. हाल ही भारत सरकार ने इस पर लगाम लगाते हुए कहा कि हम चीन की तरफ से होने वाले सभी निवेश को देखेंगे.
सोनम वांगचुक : ऐसा होता है तो बहुत अच्छा है. यदि सरकार अपने व्यापार को सुरक्षित करने के लिए कर रही है. तो यह सरकार का बहुत अच्छा कदम है.
प्रश्न : क्या चीन की नजर पैंगाग झील के पानी पर है, क्योंकि यह झील उस क्षेत्र में है जहां पर पानी की कमी है.
सोनम वांगचुक : झील के पानी पर तो नहीं हो सकता क्योंकि झील बहुत नीचे है, लेकिन नालों पर उसकी नजर हो सकती है. ऐसे में हमें हर तरफ चौकन्ना रहना होगा. जब तक चीन न सुधरे, हम उसके सामानों का बहिष्कार करते रहेंगे. हमें यह मांग करनी चाहिए कि उसकी जो जगह 1962 में थी, वह वहां जाए.
प्रश्न : पीएम का लोकल से वोकल का नारा आपके इस नारे से मिलता है. आप ईटीवी भारत के करोड़ों दर्शकों को क्या संदेश देना चाहते हैं.
सोनम वांगचुक : कोई भी स्वाभिमानी नागरिक यही कहेगा कि अपने देश में निर्माण होना चाहिए और अपने देश की अर्थव्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. तो ऐसा आह्वान प्रधानमंत्री ने दिया है तो बहुत अच्छी बात है. वैसे ही हर नागरिक में होना चाहिए कि हम स्वावलंबी बनें. वैश्वीकरण के नाम पर बटर कहीं से ला रहे हैं और चम्मच कहीं से ला रहे हैं. यह पर्यावरण के लिए भी बहुत खराब है. मेरा जो आह्वान है, उसे भारत के स्तर पर ही नहीं विश्वस्तर पर ले जाने के लिए आपके दर्शकों से विनती करता हूं, जिसमें हमने चीन को बदलने में मदद करने के लिए कहा है. इस वीडियो को आप सब अपने संबंधियों से साझा करें, जिससे दुनियाभर से चीन पर दबाव पड़े.