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जानें, कोरोनिल के ट्रायल पर आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार ने क्या कहा

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Published : Jun 27, 2020, 4:24 AM IST

लॉन्च के बाद ही विवादों में आई पतंजलि की कोरोनिल दवा को लेकर निम्स के चेयरमैन ने बताया कि इसके ट्रायल के लिए उनके पास निम्स की विंग सीटीआरआई का प्रमाणपत्र था, जिसके आधार पर उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल किया. वहीं, जब इस मामले में आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर डीसी कटोच से बातचीत की गई तो उन्होंने भी कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए सीटीआरआई की अनुमति जरूरी होती है.

senior advisor of ayush ministry
आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार

जयपुर: पतंजलि की ओर से कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया है. राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में इस दवा का ट्रायल किया गया था. हालांकि, लॉन्चिंग के बाद से ही दवा विवादों में घिरती नजर आई और इसके क्लीनिकल ट्रायल को लेकर भी सवाल उठने लगे.

जयपुर के निम्स मेडिकल कॉलेज में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल करीब 100 मरीजों पर किया गया था. जब यह जानकारी बाहर आई तो हड़कंप मचा और केंद्र के साथ ही राज्य सरकार ने इस दवा को बैन कर दिया. इसके बाद राजस्थान सरकार के चिकित्सा विभाग ने निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी से जवाब भी मांगा है कि आखिर किस आधार पर उन्होंने इस दवा का ट्रायल किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें- निम्स के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर का आरोप आयुष मंत्रालय ने बोला झूठ, क्लिनिकल ट्रायल की ली थी अनुमति

इसे लेकर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने कहा कि उनके पास आईसीएमआर की विंग क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री-भारत (सीटीआरआई) का प्रमाणपत्र था, जिसके आधार पर उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल किया है. इस मामले में जब आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर डीसी कटोच से ईटीवी भारत ने फोन पर बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए आयुष मंत्रालय की नहीं बल्कि आईसीएमआर के सीटीआरआई की अनुमति जरूरी होती है.

senior advisor of ayush ministry
आयुष मंत्रालय की ओर से भेजा गया पत्र

डीसी कटोच ने यह भी कहा कि यह गाइडलाइन है, अनुमति नहीं. इसके तहत क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार की ओर से जारी किए गए एक नोटिफिकेशन को लेकर भी डॉ. डीसी कटोच ने कहा कि गाइडलाइन जारी की गई थी और उसमें नियमों का उल्लेख भी किया गया था.

पढ़ें- Exclusive: NIMS के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर से सुनिए किस तरह किया गया 'कोरोनिल' का क्लिनिकल ट्रायल

हालांकि, निम्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉक्टर बीएफ तोमर ने भी दावा किया है कि उनके पास आईसीएमआर की ओर से जारी किया गया प्रमाणपत्र है, जिसके आधार पर ही यह क्लिनिकल ट्रायल किया गया है.

जयपुर: पतंजलि की ओर से कोरोना की दवा बनाने का दावा किया गया है. राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में इस दवा का ट्रायल किया गया था. हालांकि, लॉन्चिंग के बाद से ही दवा विवादों में घिरती नजर आई और इसके क्लीनिकल ट्रायल को लेकर भी सवाल उठने लगे.

जयपुर के निम्स मेडिकल कॉलेज में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल करीब 100 मरीजों पर किया गया था. जब यह जानकारी बाहर आई तो हड़कंप मचा और केंद्र के साथ ही राज्य सरकार ने इस दवा को बैन कर दिया. इसके बाद राजस्थान सरकार के चिकित्सा विभाग ने निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी से जवाब भी मांगा है कि आखिर किस आधार पर उन्होंने इस दवा का ट्रायल किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें- निम्स के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर का आरोप आयुष मंत्रालय ने बोला झूठ, क्लिनिकल ट्रायल की ली थी अनुमति

इसे लेकर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने कहा कि उनके पास आईसीएमआर की विंग क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री-भारत (सीटीआरआई) का प्रमाणपत्र था, जिसके आधार पर उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल किया है. इस मामले में जब आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर डीसी कटोच से ईटीवी भारत ने फोन पर बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के लिए आयुष मंत्रालय की नहीं बल्कि आईसीएमआर के सीटीआरआई की अनुमति जरूरी होती है.

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आयुष मंत्रालय की ओर से भेजा गया पत्र

डीसी कटोच ने यह भी कहा कि यह गाइडलाइन है, अनुमति नहीं. इसके तहत क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार की ओर से जारी किए गए एक नोटिफिकेशन को लेकर भी डॉ. डीसी कटोच ने कहा कि गाइडलाइन जारी की गई थी और उसमें नियमों का उल्लेख भी किया गया था.

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हालांकि, निम्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉक्टर बीएफ तोमर ने भी दावा किया है कि उनके पास आईसीएमआर की ओर से जारी किया गया प्रमाणपत्र है, जिसके आधार पर ही यह क्लिनिकल ट्रायल किया गया है.

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