कानपुर: बिकरू कांड की जांच में एक और बड़ा तथ्य सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक गैंगस्टर विकास दुबे का भाई दीपक जिस सेमी ऑटोमैटिक राइफल को अपने पास रखता था, उसे कानपुर शहर के मेस्टन रोड स्थित गन हाउस से खरीदा गया था. वहीं गवर्नर की मंजूरी के बिना ऐसी राइफल किसी को नहीं बेची जा सकती है. अब पुलिस ने गन हाउस के मालिक को भी बिकरू कांड जांच के दायरे में लिया है.
बिकरू कांड के दौरान प्रयोग में लाइ गई राइफल को मेस्टन रोड स्थित नेशनल गन हाउस से साल 2010 में खरीदा गया था. उल्लखेनीय है कि ऐसी सेमी ऑटोमेटिक राइफल को राज्यपाल की मंजूरी के बिना नहीं बेचा जा सकता. इसीलिए इस मामले में और जांच में नया मोड़ भी आ गया है. जांच का विषय यह है कि गन हाउस मालिक ने सामान्य राइफल के लाइसेंस पर सेमी ऑटोमैटिक राइफल कैसे दे दी ? फिलहाल, पुलिस ने गन हाउस मालिक को भी जांच का हिस्सा बनाया है और विकास दुबे से कनेक्शन और राइफल बेचने के कारणों की जांच में जुटी है. वहीं जल्द ही गन हाउस मालिक से भी पूछताछ की जाएगी.
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि सामान्य राइफल के लाइसेंस पर दीपक दुबे ने सेमी ऑटोमैटिक राइफल खरीदी थी. राइफल का लाइसेंस भले ही दीपक के नाम पर था, लेकिन उसका इस्तेमाल विकास दुबे ही करता था. 2 जुलाई की रात पुलिसकर्मियों पर इस राइफल से भी गोलियां चलाई गई थीं. सामान्य राइफल के लाइसेंस पर सेमी ऑटोमैटिक राइफल खरीदना गैरकानूनी है. वहीं पुलिस ने इससे संबंधित सभी दस्तावेज भी जुटा लिए हैं.
बिकरू कांड में शहीद हो गए थे 8 पुलिस वाले
गौरतलब है कि कानपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई की रात को गोलीकांड हुआ था, जहां 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. यहां पुलिस गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, जहां पहले से घात लगाए बैठे विकास दुबे के गुर्गों ने पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इस हमले में 8 पुलिस वालों की जान चली गई और विकास दुबे फरार हो गया.
मुठभेड़ में मारा गया विकास दुबे
गैंगस्टर विकास दुबे को उज्जैन पुलिस ने महाकाल मंदिर में पकड़ा था. इस दौरान वापस कानपुर लाते समय विकास और यूपी एसटीएफ की मुठभेड़ हो गई, जिसमें विकास दुबे मारा गिराया गया था.
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