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उपचुनाव प्रचार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उपचुनाव को लेकर केवल वर्चुअल रैलियों की अनुमति दी थी. कोरोना महामारी के कारण जारी दिशानिर्देशों के मद्देनजर हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. बता दें कि इस संबंध में निर्वाचन आयोग भी दिशानिर्देश जारी कर चुका है.

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Published : Oct 26, 2020, 12:29 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 3:36 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें राजनीतिक दलों से कहा गया था कि कोविड-19 के मद्देनजर वे तीन नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्यक्ष रैलियां करने के बजाय ऑनलाइन प्रचार करें.

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से कहा कि कोविड-19 के दिशा-निर्देशों और कानून को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक रैलियों के संबंध में उचित निर्णय लिया जाए.

शीर्ष अदालत में आयोग तथा मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की याचिकाओं की सुनवाई हो रही थी जिनमें उच्च न्यायालय के 20 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई थी.

शीर्ष अदालत ने तोमर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि वह ईसीआई को बताएं कि उच्च न्यायालय के आदेश के चलते चुनाव प्रचार का कितना वक्त बरबाद हुआ.

चुनाव आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेश की पृष्ठभूमि में कहा कि संविधान के तहत चुनावों के आयोजन और प्रबंधन की देखरेख का जिम्मा उसका है और संविधान के अनुच्छेद 329 के तहत चुनावी प्रक्रिया के मध्य में न्यायिक दखल पर रोक है.

पढ़ें: 'टू प्लस टू' वार्ता : माइक पोम्पियो और टी एस्पर आज भारत पहुंचेंगे
याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 25 सितंबर को चुनावी रैली या सभाओं के बारे में कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे.

इसमें कहा गया कि उनके दिशा-निर्देशों तथा राज्य सरकार की मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के मुताबिक सुरक्षा उपायों के साथ राजनीतिक सभाओं में 100 से अधिक लोगों के एकत्रित होने की अनुमति दी जा सकती है.

मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होना है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें राजनीतिक दलों से कहा गया था कि कोविड-19 के मद्देनजर वे तीन नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्यक्ष रैलियां करने के बजाय ऑनलाइन प्रचार करें.

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से कहा कि कोविड-19 के दिशा-निर्देशों और कानून को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक रैलियों के संबंध में उचित निर्णय लिया जाए.

शीर्ष अदालत में आयोग तथा मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की याचिकाओं की सुनवाई हो रही थी जिनमें उच्च न्यायालय के 20 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई थी.

शीर्ष अदालत ने तोमर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि वह ईसीआई को बताएं कि उच्च न्यायालय के आदेश के चलते चुनाव प्रचार का कितना वक्त बरबाद हुआ.

चुनाव आयोग ने उच्च न्यायालय के आदेश की पृष्ठभूमि में कहा कि संविधान के तहत चुनावों के आयोजन और प्रबंधन की देखरेख का जिम्मा उसका है और संविधान के अनुच्छेद 329 के तहत चुनावी प्रक्रिया के मध्य में न्यायिक दखल पर रोक है.

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याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 25 सितंबर को चुनावी रैली या सभाओं के बारे में कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए थे.

इसमें कहा गया कि उनके दिशा-निर्देशों तथा राज्य सरकार की मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के मुताबिक सुरक्षा उपायों के साथ राजनीतिक सभाओं में 100 से अधिक लोगों के एकत्रित होने की अनुमति दी जा सकती है.

मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होना है.

Last Updated : Oct 26, 2020, 3:36 PM IST
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