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पालघर मामला सीबीआई को सौंपने की मांग, सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में हिंसक भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की कथित रूप से पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और एनआईए से कराने के लिए दायर याचिकाओं पर गुरुवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा.

supreme court in palghar case
पालघर लिंचिंग केस
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Published : Jun 11, 2020, 12:09 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 3:39 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में हिंसक भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की कथित रूप से पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और एनआईए से कराने के लिए दायर याचिकाओं पर गुरुवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया.

पहली याचिका 'पंच दशबन जूना अखाड़ा' के साधुओं और मृतक साधुओं के परिजनों ने दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पालघर जिले में 18 अप्रैल को हुई इस घटना की जांच राज्य पुलिस दुर्भावनापूर्ण तरीके से कर रही है.

दूसरी याचिका इस घटना की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने के लिए घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है.

भीड़ द्वारा कथित रूप से दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले में पालघर जिले के कासा थानांतर्गत 18 अप्रैल को प्राथिमकी दर्ज की गई थी.

क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पालघर जिले में ग्रामीणों के एक समूह ने चोर होने के संदेह पर तीन व्यक्तियों को कार से बाहर खींच पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी. तीनों किसी व्यक्ति की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके, क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की.

कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले के अनुसार यह वीभत्स घटना 16 अप्रैल को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई. यह घटना ऐसे समय में हुई, जब कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि घटना में तीनों की पहचान, उत्तरी मुंबई के कांधीवली निवासी चिकने महाराज कल्पवृक्षागिरि, सुशीलगिरि महाराज और उनके कार चालक निलेश तेलगाड़े के रूप में हुई है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में हिंसक भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की कथित रूप से पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और एनआईए से कराने के लिए दायर याचिकाओं पर गुरुवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से दो याचिकाओं पर सुनवाई के बाद महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया.

पहली याचिका 'पंच दशबन जूना अखाड़ा' के साधुओं और मृतक साधुओं के परिजनों ने दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पालघर जिले में 18 अप्रैल को हुई इस घटना की जांच राज्य पुलिस दुर्भावनापूर्ण तरीके से कर रही है.

दूसरी याचिका इस घटना की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने के लिए घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है.

भीड़ द्वारा कथित रूप से दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले में पालघर जिले के कासा थानांतर्गत 18 अप्रैल को प्राथिमकी दर्ज की गई थी.

क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पालघर जिले में ग्रामीणों के एक समूह ने चोर होने के संदेह पर तीन व्यक्तियों को कार से बाहर खींच पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी. तीनों किसी व्यक्ति की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके, क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की.

कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले के अनुसार यह वीभत्स घटना 16 अप्रैल को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई. यह घटना ऐसे समय में हुई, जब कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू था. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि घटना में तीनों की पहचान, उत्तरी मुंबई के कांधीवली निवासी चिकने महाराज कल्पवृक्षागिरि, सुशीलगिरि महाराज और उनके कार चालक निलेश तेलगाड़े के रूप में हुई है.

Last Updated : Jun 11, 2020, 3:39 PM IST
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