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आईपीसी के प्रावधानों में ट्रांसजेंडर्स को शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए आईपीसी के प्रावधानों में ट्रांसजेंडर को शामिल करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है, जिससे सजेंडर्स की रक्षा हो सके.

SUPREME COURT
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 26, 2020, 1:04 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 2:05 PM IST

नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों में ट्रांसजेंडर्स को शामिल करने की मांग की गई. जिसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

यह याचिका आईपीसी की धारा 354-ए की उपधारा (1) के खंड (i), (ii) और (iv) को चुनौती देती है. दलील यह भी कहती है कि ट्रांसजेंडर्स का बहिष्कार उनके अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव को रोकना) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है.

पढ़ें - उप्र : अब ट्रांसजेंडर होंगे परिवार का हिस्सा, संपत्ति में मिलेगा अधिकार

याचिका में यह भी कहा गया है कि इसमें दिशानिर्देश होंगे, जिससे सजेंडर्स की रक्षा हो और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो सके.

नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों में ट्रांसजेंडर्स को शामिल करने की मांग की गई. जिसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.

यह याचिका आईपीसी की धारा 354-ए की उपधारा (1) के खंड (i), (ii) और (iv) को चुनौती देती है. दलील यह भी कहती है कि ट्रांसजेंडर्स का बहिष्कार उनके अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव को रोकना) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है.

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याचिका में यह भी कहा गया है कि इसमें दिशानिर्देश होंगे, जिससे सजेंडर्स की रक्षा हो और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो सके.

Last Updated : Sep 26, 2020, 2:05 PM IST
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