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सर्वोच्च न्यायालय ने 'बॉम्बे हाईकोर्ट' का नाम बदलने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा - बॉम्बे हाईकोर्ट

एक याचिका की सुनवाई में 'बॉम्बे हाईकोर्ट' का नाम बदलकर महाराष्ट्र उच्च न्यायालय करने पर सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. जानें विस्तार से...

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सर्वोच्च न्यायालय
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Published : Jun 4, 2020, 4:24 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई में 'बॉम्बे हाईकोर्ट' का नाम बदलकर महाराष्ट्र उच्च न्यायालय करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. न्यायालय ने लेबर कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीपी पाटिल द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य से जवाब देने के लिए आज नोटिस जारी किया.

सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के साथ-साथ, देश के अन्य उच्च न्यायालयों के लिए भी निर्देश दिए कि वे उन्हें उन राज्यों के नाम के अनुसार बदलने की समीक्षा है. सरकार को दिशा-निर्देशों लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ता ने मौलिक अधिकार का उल्लेख करते हुए दलील दी कि महाराष्ट्र के कानून के अनुकूलन (राज्य का समवर्ती विषय) के खंड 4 (1), 1960, महाराष्ट्र राज्य के लोगों की विशिष्ट संस्कृति, विरासत और परंपराओं के संरक्षण के लिए शीर्ष अदालत को यह विचार करना चाहिए. क्षेत्रीय और भौगोलिक पहचान की अभिव्यक्ति संविधान की धारा 19 के तहत स्वतंत्रता का हिस्सा है. इस प्रकार महाराष्ट्र शब्द पर जोर देते हुए दलील में कहा गया है कि यह लोगों को गर्व करने और मराठा/महाराष्ट्र और जीने के अधिकार के साथ गरिमा को जोड़ने में मदद करेगा. जीवन के अधिकार के तहत गरिमा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आती है. उनका कहना है कि उच्च न्यायालय का नाम बदलना लोगों की एक लंबी मांग है, लेकिन 'उच्च न्यायालय (नामों का परिवर्तन) बिल, 2016' नाम से विधेयक संसद में लंबित है.

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याचिका में कहा गया है कि यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत है कि नाम बदलना महाराष्ट्र के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है और विधायी कदम की अनुपस्थिति में माननीय अदालत यह कदम उठा सकती है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई में 'बॉम्बे हाईकोर्ट' का नाम बदलकर महाराष्ट्र उच्च न्यायालय करने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. न्यायालय ने लेबर कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीपी पाटिल द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य से जवाब देने के लिए आज नोटिस जारी किया.

सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के साथ-साथ, देश के अन्य उच्च न्यायालयों के लिए भी निर्देश दिए कि वे उन्हें उन राज्यों के नाम के अनुसार बदलने की समीक्षा है. सरकार को दिशा-निर्देशों लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ता ने मौलिक अधिकार का उल्लेख करते हुए दलील दी कि महाराष्ट्र के कानून के अनुकूलन (राज्य का समवर्ती विषय) के खंड 4 (1), 1960, महाराष्ट्र राज्य के लोगों की विशिष्ट संस्कृति, विरासत और परंपराओं के संरक्षण के लिए शीर्ष अदालत को यह विचार करना चाहिए. क्षेत्रीय और भौगोलिक पहचान की अभिव्यक्ति संविधान की धारा 19 के तहत स्वतंत्रता का हिस्सा है. इस प्रकार महाराष्ट्र शब्द पर जोर देते हुए दलील में कहा गया है कि यह लोगों को गर्व करने और मराठा/महाराष्ट्र और जीने के अधिकार के साथ गरिमा को जोड़ने में मदद करेगा. जीवन के अधिकार के तहत गरिमा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आती है. उनका कहना है कि उच्च न्यायालय का नाम बदलना लोगों की एक लंबी मांग है, लेकिन 'उच्च न्यायालय (नामों का परिवर्तन) बिल, 2016' नाम से विधेयक संसद में लंबित है.

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याचिका में कहा गया है कि यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत है कि नाम बदलना महाराष्ट्र के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है और विधायी कदम की अनुपस्थिति में माननीय अदालत यह कदम उठा सकती है.

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