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तलाक नोटिस के खिलाफ SC पहुंची मुस्लिम महिला, याचिका पर नहीं होगा विचार

कोर्ट ने दिल्ली निवासी मुस्लिम महिला याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. महिला ने उसके पति द्वारा दिए गए तलाक के नोटिस को लेकर नोटिस को चुनौती दी थी. जानें पूरा मामला

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Published : Jul 4, 2019, 12:09 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मुस्लिम महिला की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने उसे तलाक के लिए पति की ओर से दिए गए नोटिस को चुनौती दी थी.

न्यायालय ने कहा है कि वो इस मामले में रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकता है. न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने इस टिप्पणी के साथ ही मुस्लिम महिला की याचिका का निबटारा कर दिया.

पीठ ने कहा कि इस न्यायालय में तलाक के नोटिस को चुनौती नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने उसे राहत के लिए उचित मंच पर जाने की छूट दे दी.

महिला के वकील एम एम कश्यप ने कहा कि पर्सनल लॉ के तहत तलाक-ए-अहसन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.

पीठ ने कहा कि वह याचिका के गुण-दोष में नहीं जा सकती है और याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाना चाहिए.

पढ़ें - सुनें, आरिफ मोहम्मद खान ने तीन तलाक़ बिल पर राजीव गांधी के बारे में क्या कहा

बता दें कि दिल्ली निवासी इस महिला का दावा है कि वह इस व्यक्ति के साथ उसका 22 फरवरी, 2009 को मुस्लिम रीतियों से विवाह हुआ था और इस समय उसके नौ और छह साल के दो बच्चे हैं.

महिला ने इस तरह की नोटिस देने के लिये पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी अनुरोध किया था. पति ने पहला नोटिस 25 मार्च को और दूसरा नोटिस सात मई को दिया है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मुस्लिम महिला की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने उसे तलाक के लिए पति की ओर से दिए गए नोटिस को चुनौती दी थी.

न्यायालय ने कहा है कि वो इस मामले में रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकता है. न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने इस टिप्पणी के साथ ही मुस्लिम महिला की याचिका का निबटारा कर दिया.

पीठ ने कहा कि इस न्यायालय में तलाक के नोटिस को चुनौती नहीं दी जा सकती. न्यायालय ने उसे राहत के लिए उचित मंच पर जाने की छूट दे दी.

महिला के वकील एम एम कश्यप ने कहा कि पर्सनल लॉ के तहत तलाक-ए-अहसन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.

पीठ ने कहा कि वह याचिका के गुण-दोष में नहीं जा सकती है और याचिकाकर्ता को उचित मंच पर जाना चाहिए.

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बता दें कि दिल्ली निवासी इस महिला का दावा है कि वह इस व्यक्ति के साथ उसका 22 फरवरी, 2009 को मुस्लिम रीतियों से विवाह हुआ था और इस समय उसके नौ और छह साल के दो बच्चे हैं.

महिला ने इस तरह की नोटिस देने के लिये पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी अनुरोध किया था. पति ने पहला नोटिस 25 मार्च को और दूसरा नोटिस सात मई को दिया है.

Intro:The Supreme Court today disposed a Muslim woman's plea challenging two notices of Talaq given by her husband saying it cannot entertain a writ petition on the issue. But the bench also gave her the liberty to move to an appropriate forum for relief.


Body:The council appearing for the woman said the process of Talaq Hasan under personal law was not allowed.

The woman who claimed to have been married to the man for 9 years has also sort registration of FIR against the husband for giving her the notice, the first on March 25th and second on May 7th. She also contended that on August 17, 2017 , held the practice of Triple Talaq among Muslims as unconstitutional and the notice is given by husband violative of that order. She said her husband and in laws started harassing, assaulting her after the marriage for want of additional dowry . She said the Muslim Women (protection of rights on marriage )ordnance 2019 which was promulgated in January 12th is in her favour.


Conclusion:
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