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उभरती पंचायती राज व्यवस्था जम्मू कश्मीर में बदलाव का अग्रदूत बनेगी : मलिक - नीति आयोग की संचालन परिषद

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने नीति आयोग की पांचवी बैठक जम्मू कश्मीर पर बात की. इस दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा जानें....

नीति आयोग की संचालन बैठक में सत्यपाल मलिक ने दिया भाषण
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Published : Jun 16, 2019, 10:38 PM IST

नई दिल्लीः नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवी बैठक पीएम की अध्यक्षता में संपन्न हुई. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बैठक में कहा, उभरती पंचायती राज व्यवस्था राज्य में बदलाव की अग्रदूत बनेगी जहां जमीनी लोकतंत्र के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण एक बहुत बड़ी उपलब्धि रहा है.

मलिक ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवीं बैठक में आये लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में उथल-पुथल के दौर में आम नागरिक परेशान हो रहे हैं और विकास तथा सक्षम शासन पर ध्यान दे रहे हैं.

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत ने जम्मू कश्मीर के लोगों को उम्मीद दी है कि केंद्र सरकार शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाएगी और राज्य को त्वरित विकास और समृद्धि के पथ पर लौटाएगी.

उन्होंने कहा, 'राज्य में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहा है. '

मलिक ने कहा कि राज्य में लंबे समय के बाद पिछले साल अक्टूबर में शहरी निकायों के चुनाव हुए थे और नवंबर-दिसंबर में अब तक के दूसरे पंचायत चुनाव हुए थे.

उन्होंने कहा, 'हमें विश्वास है कि उभरती पंचायती राज व्यवस्था भविष्य में जम्मू कश्मीर में बदलाव का अग्रदूत बनेगी.

राज्यपाल ने कहा कि मुख्यधारा के दलों और हुर्रियत द्वारा चुनाव के बहिष्कार के आह्वान और आतंकवादी संगठनों द्वारा जान से मारने की धमकी के बावजूद लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए वोट डाले.

पढ़ेंः पीएम मोदी ने 'एक देश एक चुनाव' पर चर्चा के लिए 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई

उन्होंने कहा, 'मतदान प्रतिशत 74 रहा. इसी राज्य में दो साल पहले एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हो सका था। इस चुनाव में किसी की जान नहीं गयी.

राज्यपाल ने कहा, 'आज राज्य में जीवंत पंचायती राज और नगर निकाय व्यवस्था है.'

मलिक ने कहा, 'जन आकांक्षाओं का यह उत्थान हमें भविष्य के लिए उम्मीद देता है.'

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पिछले 30 साल से सशस्त्र आतंकवाद से पीड़ित है जिसमें अधिकतर बाहरी तत्व हैं।

मलिक ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई आतंकियों के दरवाजे पर पहुंच गयी है जो अब बैकफुट पर हैं.

उन्होंने बताया कि पिछले साल कई आतंकवादियों को मार गिराने के बाद इस साल 110 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया गया। नये आतंकियों की भर्ती तेजी से कम हो रही है.

मलिक ने आगे कहा कि राज्य 20 जून से 27 जून तक सप्ताह भर लंबा 'बैक टू द विलेज सप्ताह आयोजित कर रहा है. राज्य के सभी राजपत्रित अधिकारी दो दिनों तक पंचायत में रहेंगे.'

नई दिल्लीः नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवी बैठक पीएम की अध्यक्षता में संपन्न हुई. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बैठक में कहा, उभरती पंचायती राज व्यवस्था राज्य में बदलाव की अग्रदूत बनेगी जहां जमीनी लोकतंत्र के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण एक बहुत बड़ी उपलब्धि रहा है.

मलिक ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवीं बैठक में आये लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में उथल-पुथल के दौर में आम नागरिक परेशान हो रहे हैं और विकास तथा सक्षम शासन पर ध्यान दे रहे हैं.

राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत ने जम्मू कश्मीर के लोगों को उम्मीद दी है कि केंद्र सरकार शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाएगी और राज्य को त्वरित विकास और समृद्धि के पथ पर लौटाएगी.

उन्होंने कहा, 'राज्य में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के माध्यम से लोगों का सशक्तीकरण सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहा है. '

मलिक ने कहा कि राज्य में लंबे समय के बाद पिछले साल अक्टूबर में शहरी निकायों के चुनाव हुए थे और नवंबर-दिसंबर में अब तक के दूसरे पंचायत चुनाव हुए थे.

उन्होंने कहा, 'हमें विश्वास है कि उभरती पंचायती राज व्यवस्था भविष्य में जम्मू कश्मीर में बदलाव का अग्रदूत बनेगी.

राज्यपाल ने कहा कि मुख्यधारा के दलों और हुर्रियत द्वारा चुनाव के बहिष्कार के आह्वान और आतंकवादी संगठनों द्वारा जान से मारने की धमकी के बावजूद लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए वोट डाले.

पढ़ेंः पीएम मोदी ने 'एक देश एक चुनाव' पर चर्चा के लिए 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई

उन्होंने कहा, 'मतदान प्रतिशत 74 रहा. इसी राज्य में दो साल पहले एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हो सका था। इस चुनाव में किसी की जान नहीं गयी.

राज्यपाल ने कहा, 'आज राज्य में जीवंत पंचायती राज और नगर निकाय व्यवस्था है.'

मलिक ने कहा, 'जन आकांक्षाओं का यह उत्थान हमें भविष्य के लिए उम्मीद देता है.'

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पिछले 30 साल से सशस्त्र आतंकवाद से पीड़ित है जिसमें अधिकतर बाहरी तत्व हैं।

मलिक ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई आतंकियों के दरवाजे पर पहुंच गयी है जो अब बैकफुट पर हैं.

उन्होंने बताया कि पिछले साल कई आतंकवादियों को मार गिराने के बाद इस साल 110 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया गया। नये आतंकियों की भर्ती तेजी से कम हो रही है.

मलिक ने आगे कहा कि राज्य 20 जून से 27 जून तक सप्ताह भर लंबा 'बैक टू द विलेज सप्ताह आयोजित कर रहा है. राज्य के सभी राजपत्रित अधिकारी दो दिनों तक पंचायत में रहेंगे.'

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JK-GUV-PANCHAYAT
Budding Panchayati Raj system will be 'harbinger of change' in J-K: Guv Malik
         New Delhi, Jun 16 (PTI) Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik has said that the budding Panchayati Raj system will be the "harbinger of change" in the state as the empowerment of people through grassroots democracy has been one of the biggest achievements.
         The common citizens in the state are getting tired of turmoil, and focusing on development and efficient governance, Malik said while addressing the dignitaries at the fifth meeting of the Governing Council of NITI Aayog at the Rashtrapati Bhavan on Saturday.
         The governor said that Prime Minister Narendra Modi's landslide victory has given hope to the people of Jammu and Kashmir that steps would be taken by the Centre to restore peace and normalcy and put the state back on the path of rapid development, growth and prosperity.
         He said that there is a sense of "fatigue and a yearning for change" all around the state.
         "One of the biggest achievements of the state has been the empowerment of people through grassroots democracy," Malik said.
         After a long gap, the state had elections to urban local bodies in October and the second-ever Panchayat elections in November-December, he said.
         "We are confident that the budding Panchayati Raj system will be the harbinger of change in Jammu and Kashmir in the future," Malik said.
         In spite of boycott calls by mainstream parties and the Hurriyat and death threats by militant organisations, people came out in droves to vote for local representatives, the governor said.
         "The turnout was 74 per cent. This was in a state which could not hold bye-elections to a Parliamentary seat two years earlier. All this was without any loss of life.
         "Today, the state has a vibrant Panchayat Raj and municipal system which is fully empowered with complete delegation of funds, functions and functionaries," he said.
         "It is this rise in people's aspirations that is giving us hope for the future," Malik said.
         There is an energy in the system which is palpable. People want to take charge of their development works at the local level and manage their affairs. The state is fully supporting this through legislative changes and administrative support, the governor said.
         "Jammu and Kashmir has been suffering from the ravages of armed militancy for almost 30 years now, mostly fed by external actors.
         "Violence had become a way of life in some parts of the state, with people living under constant fear of terrorists and the government having to provide for their security. At times, the state has had to take hard measures to ensure that there is peace and normalcy," he said, adding that the consequence of militancy and violence has been that the state has had to suffer on the development front.
         The battle against militancy has been taken to the door step of the militants who are now on the backfoot, he said.
         "After neutralising a record number of militants last year, the number of militants neutralised this year is over 110 and the pressure is palpable.
         "Recruitment of new militants is coming down rapidly. Last year, the Amarnath Yatra was conducted without any incident or death. We will, with the help of the Central Government, have an equally peaceful yatra this year as well," Malik said.
         People recognise the importance of peace for development. And as they gradually take things into their hands, matters will only improve, he said.
         "People's aspirations have, however, placed an onerous responsibility on all of us to deliver on the promise of development," Malik said.
         In order to further this effort, the state is organising a week long 'Back to the Village' programme from June 20 to 27. All gazetted officers of the state will stay in a Panchayat for two days.
         "They will connect with Panchayat representatives, attend Gram Sabhas, see how government services are at the bottom, understand local needs and identify potential areas for improvement. This is a first in Jammu and Kashmir.
         "We are new to this. But when I see the enthusiasm in my officers and the hope among the people, it gives me the assurance that the future is bright for grassroots democracy," Malik said.
         The state too has been taking initiatives on its own, outside of the Centre's assistance.
         "We have doubled the number of colleges in the state from 98 to 200, an expansion which will have a long term impact. We have added over 240 high and higher secondary schools. The number of medical seats in the state has gone up from 500 to over 1000 in one year, probably a first for any state.
         "We have set up 11 nursing colleges, two cancer institutes, children's super speciality hospitals, and so on," the governor said.
         "People are now enthusiastic about the future. The time has also come to reach out to the youth to enable them to enjoy the fruits of development fully," Malik added. PTI SKL
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