नई दिल्लीः देश की शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही आरएसएस से जुड़ी संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने यूजीसी को कोरोना काल में मिश्रित शिक्षण व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया है. न्यास ने कहा है कि एक हफ्ते में अगर पांच दिन पढ़ाई हो तो उसमें दो दिन ऑनलाइन, दो दिन ऑफलाइन और एक दिन प्रोजेक्ट या प्रैक्टिकल के लिए हो. आरएसएस से जुड़ी इस संस्था ने कॉलेजों को दो शिफ्ट में चलाने सहित ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कई अहम सुझाव शिक्षा मंत्रालय से लेकर यूजीसी को दिए हैं.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संघ परिवार की ऐसी संस्था है, जिसकी कई सिफारिशों को नई शिक्षा नीति में जगह भी मिली है. संस्था का कहना है कि नई शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों के अनुसार बनी है, आने वाले समय में इससे बहुत सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे.
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा, कोरोना काल ने शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलावों की जरूरत पर बल दिया है. औसतन 40 प्रतिशत विद्यार्थी कॉलेजों में आते हैं. अगर कॉलेजों को दो शिफ्टों में चलाएंगे, तो फिर सोशल डिस्टेंसिंग खुद मेंटेन हो जाएगी. दो दिन ऑनलाइन और दो दिन ऑफलाइन पढ़ाई होने से न कॉलेजों में भीड़ होगी और न ही सड़क पर. जिससे कॉलेज खुलने पर भी कोरोना की चुनौती से पार पाया जा सकता है.
आरएसएस प्रचारक अतुल कोठारी ने ऑनलाइन एजूकेशन को लेकर बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने कोरोना काल में शिक्षाविदों के साथ दर्जनों ई-संगोष्ठियां कर उनके सुझाव लेकर एक प्रारूप तैयार किया था, जिसे सरकार को भेजा जा चुका है, जिसमें ऑनलाइन एजुकेशन की सफलता के लिए शिक्षण-व्यवस्था में बड़े बदलावों की जरूरत बताई गई है.
मसलन, ऑनलाइन एजूकेशन में विद्यार्थियों के लिए शिक्षकों के लंबे-लंबे लेक्चर सुविधाजनक नहीं हैं. इससे छात्रों को परेशानी होती है. ऑनलाइन एजूकेशन को इंटरैक्टिव (परस्पर संवाद) करना होगा. जिससे छात्र और शिक्षक दोनों बोर नहीं होंगे. शिक्षा के तीन आयाम होते हैं-छात्र, शिक्षक और अभिभावक. ऑनलाइन एजूकेशन में अभिभावकों की भी सहभागिता बढ़ानी होगी.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मुताबिक, ऑनलाइन पढ़ाई तब और सफल होगी, जब ऑनलाइन कोर्सेज भी संचालित होंगे. अतुल कोठारी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में ऐसे विश्वविद्यालयों को भी मान्यता दी जाएगी, जो ऑनलाइन कोर्स का संचालन करेंगे. जिससे गांवों और शहरों में रहने वाले विद्यार्थी घर बैठे पढ़ाई कर सकेंगे. नौकरी करने वाले भी ऑनलाइन कोर्स का लाभ उठा सकेंगे.
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ऑनलाइन एजुकेशन की सफलता की राह में देश के सुदूर गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी चुनौती है. संघ से जुड़ी संस्था का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 15 अगस्त पर लाल किले की प्राचीर से तीन साल के अंदर छह लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से लैस होने की बात कही है. इससे गांवों में कनेक्टिविटी होने से ग्रामीण परिवेश के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी.
(आईएएनएस)