नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी0 पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बधाई देते हुए इसे साहसिक कदम बताया.
जोशी ने यहां पत्रकारों से कहा कि सभी को अपनी राजनीतिक मजबूरियों से ऊपर उठकर विधेयक का स्वागत करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आरएसएस का हमेशा से यह पक्ष रहा है कि जो हिन्दू दूसरे देशों से प्रताड़ना के बाद भारत आते हैं, उन्हें घुसपैठिया नहीं बल्कि शरणार्थी के रूप में देखा जाना चाहिए.
इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है और यह राज्यसभा से बुधवार को पारित हो चुका है. लोकसभा से यह विधेयक सोमवार को पारित हो गया था.
जोशी ने इस विधेयक के पारित होने को ‘साहसिक कदम’ बताया और भाजपा नीत केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा, 'आरएसएस का हमेशा यह पक्ष रहा है कि जो हिन्दू दूसरे देशों में उत्पीड़न की वजह से भारत आते हैं, उन्हें घुसपैठिया नहीं बल्कि शरणार्थी माना जाना चाहिए और यह जरूरी है कि इन शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन तथा समान अधिकार मिले. लेकिन काफी समय बीत गया और शरणार्थियों को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी.'
जोशी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने बेहतरीन कदम उठाया है. उन्होंने कहा, 'जब देश का विभाजन हुआ था, तब धार्मिक आधार पर विभाजन की मांग की जा रही थी. हालांकि, भारत को धार्मिक देश बनाने का कोई विचार नहीं था. लेकिन, इस मुद्दे पर देश का विभाजन हो गया था और नेताओं ने तब इसे स्वीकार कर लिया था.'
उन्होंने कहा कि अगर धार्मिक आधार पर विभाजन नहीं हुआ होता, तो उसके बाद कई घटनाएं नहीं हुई होतीं.
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जोशी ने कहा, 'इसके बाद, पाकिस्तान और बांग्लादेश ने खुद को इस्लामिक देशों के रूप में घोषित किया और ऐसा संदेह था कि वहां रहने वाले अल्पसंख्यकों को क्या स्थान मिलेगा...क्योंकि समझौते के अनुसार, यह कहा गया था कि अल्पसंख्यकों को किसी भी अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा.'
उन्होंने कहा कि समय-समय पर की गई जनगणना को देखा जाए तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं की संख्या में भारी कमी आई.
उन्होंने कहा, 'सवाल उठता है कि ये लोग कहां गए और यह सामने आया कि उनमें से कई भारत आए थे.'
जोशी ने कहा कि इन देशों में उत्पीड़ित हिन्दुओं के पास भारत से अलग जाने के लिए ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां वे सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन व्यतीत कर सकते थे और इसलिए वे भारत आते रहे.
उन्होंने कहा कि हालांकि, कानून में प्रावधानों की कमी के कारण, ये लोग कई वर्षों तक भारत की नागरिकता से वंचित रहे.
जोशी ने कहा, 'इस बात की जरूरत थी कि इन शरणार्थियों के पास हमारे देश में सम्मानजनक जीवन और आम अधिकार हो. लेकिन बहुत समय बीत गया और इन शरणार्थियों को इंतजार करना पड़ा. फिलहाल वर्तमान सरकार ने एक बहुत अच्छा कदम उठाया है और अब पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में सम्मानजनक स्थान मिलेगा.'
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जोशी ने कहा कि सभी को राजनीतिक मजबूरियों से ऊपर उठकर इस विधेयक का स्वागत करना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'गृह मंत्री ने कई बार कहा है कि इस विधेयक से हमारे देश में मुस्लिम समुदाय को कोई खतरा नहीं है और किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा.'
इस विधेयक के पारित होने के बाद कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शनों पर जोशी ने कहा, 'कुछ राज्यों में अशांति देखी गई है, लेकिन मुझे विश्वास है कि केंद्र पूर्वोत्तर में अफवाहों को रोकने और वहां के लोगों के संदेहों को दूर करने के लिए कदम उठाएगा.'
जोशी ने यह भी उम्मीद जताई कि भारतीय नागरिकता पाने वाले शरणार्थी शांति से रह सकेंगे.