अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर विवाद खड़ा हो गया है. इस रिपोर्ट में विशाखापट्टनम को राज्य की तीन राजधानियों में से एक राजधानी बनाने का विरोध किया गिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विशाखापट्टनम पर चक्रवात, बाढ़ और समुद्री स्तरों में वृद्धि के संभावित खतरा रहता है.
विपक्ष ने आरोप लगाया कि जगन मोहन रेड्डी सरकार ने पैनल की रिपोर्ट को गुप्त रखा और कार्यकारी शहर के रूप में तटीय शहर को पीछे ढकेल दिया, सरकार ने दावा किया कि मीडिया के एक वर्ग ने रिपोर्ट को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है और विशाखापट्टनम राजधानी बनने के लिए उपयुक्त है.
विशेषज्ञों वाली छह सदस्यीय समिति ने पिछले महीने सरकार को 147 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी थी. मीडिया के एक वर्ग द्वारा आई खबरों के मुताबिक, पैनल ने विभिन्न आधारों पर राजधानी के रूप में विशाखापट्टनम पर सहमति नहीं जताई.
पैनल के अनुसार, विशाखापट्टनम पर गंभीर चक्रवात, बाढ़ और समुद्री स्तरों में वृद्धि के संभावित खतरे के रहता है. इसके अलावा बंदरगाह के कई हिस्सों में तेल रिसाव देखा गया है. इस्पात संयंत्र और बंदरगाह से संबंधित गतिविधियों सहित औद्योगिक प्रदूषण के मुद्दे हैं.
पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है किसी भी नए गवर्नेंस एक्टिविटी के लिए न तो सेटलमेंट पैटर्न के नजरिए से जरूरी है और न ही जरूरी बाधाओं पर चर्चा की गई है.
पूर्व आईएएस अधिकारी जी.एन. राव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि विशाखापट्टनम मेट्रोपॉलिटन रीजन 2041 के लिए मास्टर प्लान की चल रही तैयारी में कुछ महत्वपूर्ण विचारों को नजरअंदाज किया गया है.