नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की पिछले हफ्ते पांच रोहिंग्या विस्थापितों के बारे में भारत की भूमिका की आलोचना की है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) की तरफ से इस बयान को खारिज किया है. विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि भारत ने कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की है.
एमईए के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'अवैध अप्रवासियों का उनके देश में स्थानांतरण भारत के कानून के अनुसार है. ये कार्रवाई भारत की अदालतों के निर्देशों के बाद की गई है. जिसके तहत भारत सरकार को अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें पकड कर वापस भेजने की बाध्यता है.'
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने दावा किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अभी भी अपनी जाति और धार्मिक पहचान के कारण हमलों विद्रोह और उत्पीड़न का खतरा है.
यही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में जानकारी दी है कि भारत में सुरक्षा बलों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिए जाने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.