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कानून के मुताबिक है रोहिंग्या शरणार्थियों का स्थानांतरण : विदेश मंत्रालय - रोहिंग्या शरणार्थियों

भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा रोहिंग्या विस्थापितों के बारे में भारत की भूमिका की आलोचना को तथ्यों के विपरीत एवं गुमराह करने वाली करार दिया है और कहा है कि वह कानून कते मुताबिक अवैध प्रवासियों के खिलाफ कदम उठाता रहेगा.

प्रेस वार्ता के दौरान रवीश कुमार
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Published : Apr 4, 2019, 10:18 PM IST

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की पिछले हफ्ते पांच रोहिंग्या विस्थापितों के बारे में भारत की भूमिका की आलोचना की है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) की तरफ से इस बयान को खारिज किया है. विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि भारत ने कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की है.

रवीश कुमार की प्रेस वार्ता

एमईए के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'अवैध अप्रवासियों का उनके देश में स्थानांतरण भारत के कानून के अनुसार है. ये कार्रवाई भारत की अदालतों के निर्देशों के बाद की गई है. जिसके तहत भारत सरकार को अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें पकड कर वापस भेजने की बाध्यता है.'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने दावा किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अभी भी अपनी जाति और धार्मिक पहचान के कारण हमलों विद्रोह और उत्पीड़न का खतरा है.

यही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में जानकारी दी है कि भारत में सुरक्षा बलों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिए जाने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की पिछले हफ्ते पांच रोहिंग्या विस्थापितों के बारे में भारत की भूमिका की आलोचना की है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) की तरफ से इस बयान को खारिज किया है. विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि भारत ने कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की है.

रवीश कुमार की प्रेस वार्ता

एमईए के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'अवैध अप्रवासियों का उनके देश में स्थानांतरण भारत के कानून के अनुसार है. ये कार्रवाई भारत की अदालतों के निर्देशों के बाद की गई है. जिसके तहत भारत सरकार को अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें पकड कर वापस भेजने की बाध्यता है.'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने दावा किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अभी भी अपनी जाति और धार्मिक पहचान के कारण हमलों विद्रोह और उत्पीड़न का खतरा है.

यही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में जानकारी दी है कि भारत में सुरक्षा बलों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिए जाने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भारत में 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं.

Intro:After United Nations human rights experts criticised India over deportation of five Rohingya refugees last week and called a breach of international law, the Ministry of External Affairs has rejected their statement claiming that it followed due process of law in doing so.  










Body:The MEA spokesperson Raveesh Kumar said, 'the repatriation of illegal immigrants to their country of origin is in accordance with India law. These actions have been undertaken in response to the instructions of India's courts. It has required Indian government to detect, report and deport illegal immigrants.'


The UN rights experts jointly put their concerns to India in a statement claiming that they are dismayed by Government of India's  decision to continue forced returns of Rohingya to Myanmar. They even claimed that these refugees still face high risk of attacks, reprisals and other forms of persecution because of their ethnic and religious identity. 


Conclusion:Not only this, the UN rights experts in their statement also pointed towards increasing number of Rohingya refugees being detained by security forces in India. According to government records, there are 40,000 Rohingya refugees residing in India. 
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