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कोरोना का असर, अस्पतालों में मनुष्यों की जगह ले रहे हैं रोबोट

कोरोना वायरस के रोगी, जिन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है, की तीमारदारी के लिए यंत्र मानव (रोबोट) के प्रयोग करने का विचार सूझा. उन्होंने इस बारे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सामने प्रस्ताव रखा है.

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रोबोट
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Published : Apr 17, 2020, 3:58 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस प्रतिदिन फ़ैल रहा है. स्वास्थ्य सेवा देने वाले चिकित्सा कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर, अपने परिवारों से दूर एक अनजान शत्रु का मुकाबला करते हुए बीमारों की सेवा में लगे हैं. ऐसे में शहर के तीन युवक इनकी मदद में आगे आए हैं. उनके मन में कोरोना वायरस के रोगी, जिन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है, की तीमारदारी के लिए यंत्र मानव (रोबोट) के प्रयोग करने का विचार सूझा. उन्होंने इस बारे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सामने प्रस्ताव रखा है.

इन इंजीनियरिंग स्नातकों ने अपने वार्षिक शोध निबंध में 'चलते फिरते यन्त्र मानव' की परिकल्पना की थी. उन्होंने इस 'वाकिंग रोबोट' में अस्पतालों की वर्त्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कुछ फेरफार करके मंत्री के सामने उसका प्रदर्शन भी दिया. मंत्री ने अपने प्रत्युत्तर में सूचना प्रद्योगिकी सचिव जयेश रंजन को निर्देश दिया कि वे इन विद्यार्थियों के प्रस्ताव पर समुचित विचार करें और उन्हें इस बारे में रिपोर्ट दें. इस पार्श्व भूमिका के साथ इन तीन उत्साही युवक अशफाक, अब्दुल बरी और सलमान ने अपने विचार ईनाडु के साथ साझा किए.

इसका विचार कैसे आया

जब इन तीन युवकों को डॉक्टर तथा अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों को संक्रमण लगने की घटनाएं होने का पता चला, तब उन्होंने अपने उस रोबोट की परिकल्पना को संशोधित कर मूर्त रूप देने का विचार किया जो उन्होंने अपने वार्षिक योजना के रूप में तैयार किया था.

देश के कई महानगरों में काफी समय से रोबोट-संचालित रेस्तरां हैं. इनके बारे में जानकारी हासिल कर इन तीन युवकों ने अपनी टेक्नोलॉजी में सुधार ला कर अस्पतालों के लिए उपयोगी बनाने का काम किया. तीनों ने पिछले साल ही बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग का कोर्स शहर की एक इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरा किया. इसी दौरान अपने वार्षिक प्रोजेक्ट के लिए उन्हें 'वाकिंग रोबोट' बनाने का विचार आया.

रेस्तरां में उपयोग में लाने जाने वाले रोबोट विदेशों से लाखों रुपये में आयात किए जाते हैं. इन्हें कम कीमत पर मुहय्या कराने के लिए उन्होंने एक अनोखा उपाय सोचा. उन्होंने एक 6 इंच थर्मोकोल से अपना मॉडल डिजाईन किया. सरकार से मंजूरी मिलने पर, वे इस कम लागत के रोबोट को आठ दिनों में सरकार की मदद से बना सकते हैं.

इस रोबोट की खूबियां क्या हैं

ये रोबोट कोरोना वायरस के मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में बिना मानव सहायता के मेडिकल सेवाए दे सकते हैं. रोबोट एक ट्रे द्वारा दवाइयां, भोजन सामग्री जैसी जरूरत की चीजें मरीजों को पहुंचा सकते हैं. समय-समय पर रोबोट वार्ड को कीटाणुमुक्त कर सकते हैं.

यह रोबोट मोबाइल फोन द्वारा वाय-फाय से संचालित होता है. रोबोट वार्ड में घूम कर मरीज को मॉनिटर कर सकता है. रोबोट में लगे जासूसी कैमरा से डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी मरीज अपने कमरे में ही बैठ कर नज़र रख सकते हैं.

जो मरीज आइसोलेशन वार्ड में अकेलापन महसूस करते हो वे रोबोट पर लगे ऑडियो डिवाइस से अपनी मनपसंद के गाने और समाचार सुन सकते हैं. रोबोट में इस प्रकार की व्यवस्था लगाने की भी योजना है.

ओस्मानिया में कीटाणु मुक्त चैम्बर

ओस्मानिया हॉस्पिटल : कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए ओस्मानिया हॉस्पिटल में एक कीटाणु मुक्त चैम्बर बनाया जा रहा है.ओस्मानिया में मेडिकल स्टाफ की शिक्षा के लिए इस चैम्बर का निर्माण काम सोमवार से शुरू हो गया है. डॉक्टर यहाँ के मेडिकल, परा मेडिकल स्टाफ और मरीजों की देख भाल करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिए इस व्यवस्था को तैयार करने में लगे हुए हैं.

नई दिल्ली : कोरोना वायरस प्रतिदिन फ़ैल रहा है. स्वास्थ्य सेवा देने वाले चिकित्सा कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर, अपने परिवारों से दूर एक अनजान शत्रु का मुकाबला करते हुए बीमारों की सेवा में लगे हैं. ऐसे में शहर के तीन युवक इनकी मदद में आगे आए हैं. उनके मन में कोरोना वायरस के रोगी, जिन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है, की तीमारदारी के लिए यंत्र मानव (रोबोट) के प्रयोग करने का विचार सूझा. उन्होंने इस बारे में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सामने प्रस्ताव रखा है.

इन इंजीनियरिंग स्नातकों ने अपने वार्षिक शोध निबंध में 'चलते फिरते यन्त्र मानव' की परिकल्पना की थी. उन्होंने इस 'वाकिंग रोबोट' में अस्पतालों की वर्त्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कुछ फेरफार करके मंत्री के सामने उसका प्रदर्शन भी दिया. मंत्री ने अपने प्रत्युत्तर में सूचना प्रद्योगिकी सचिव जयेश रंजन को निर्देश दिया कि वे इन विद्यार्थियों के प्रस्ताव पर समुचित विचार करें और उन्हें इस बारे में रिपोर्ट दें. इस पार्श्व भूमिका के साथ इन तीन उत्साही युवक अशफाक, अब्दुल बरी और सलमान ने अपने विचार ईनाडु के साथ साझा किए.

इसका विचार कैसे आया

जब इन तीन युवकों को डॉक्टर तथा अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों को संक्रमण लगने की घटनाएं होने का पता चला, तब उन्होंने अपने उस रोबोट की परिकल्पना को संशोधित कर मूर्त रूप देने का विचार किया जो उन्होंने अपने वार्षिक योजना के रूप में तैयार किया था.

देश के कई महानगरों में काफी समय से रोबोट-संचालित रेस्तरां हैं. इनके बारे में जानकारी हासिल कर इन तीन युवकों ने अपनी टेक्नोलॉजी में सुधार ला कर अस्पतालों के लिए उपयोगी बनाने का काम किया. तीनों ने पिछले साल ही बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग का कोर्स शहर की एक इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरा किया. इसी दौरान अपने वार्षिक प्रोजेक्ट के लिए उन्हें 'वाकिंग रोबोट' बनाने का विचार आया.

रेस्तरां में उपयोग में लाने जाने वाले रोबोट विदेशों से लाखों रुपये में आयात किए जाते हैं. इन्हें कम कीमत पर मुहय्या कराने के लिए उन्होंने एक अनोखा उपाय सोचा. उन्होंने एक 6 इंच थर्मोकोल से अपना मॉडल डिजाईन किया. सरकार से मंजूरी मिलने पर, वे इस कम लागत के रोबोट को आठ दिनों में सरकार की मदद से बना सकते हैं.

इस रोबोट की खूबियां क्या हैं

ये रोबोट कोरोना वायरस के मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में बिना मानव सहायता के मेडिकल सेवाए दे सकते हैं. रोबोट एक ट्रे द्वारा दवाइयां, भोजन सामग्री जैसी जरूरत की चीजें मरीजों को पहुंचा सकते हैं. समय-समय पर रोबोट वार्ड को कीटाणुमुक्त कर सकते हैं.

यह रोबोट मोबाइल फोन द्वारा वाय-फाय से संचालित होता है. रोबोट वार्ड में घूम कर मरीज को मॉनिटर कर सकता है. रोबोट में लगे जासूसी कैमरा से डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी मरीज अपने कमरे में ही बैठ कर नज़र रख सकते हैं.

जो मरीज आइसोलेशन वार्ड में अकेलापन महसूस करते हो वे रोबोट पर लगे ऑडियो डिवाइस से अपनी मनपसंद के गाने और समाचार सुन सकते हैं. रोबोट में इस प्रकार की व्यवस्था लगाने की भी योजना है.

ओस्मानिया में कीटाणु मुक्त चैम्बर

ओस्मानिया हॉस्पिटल : कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए ओस्मानिया हॉस्पिटल में एक कीटाणु मुक्त चैम्बर बनाया जा रहा है.ओस्मानिया में मेडिकल स्टाफ की शिक्षा के लिए इस चैम्बर का निर्माण काम सोमवार से शुरू हो गया है. डॉक्टर यहाँ के मेडिकल, परा मेडिकल स्टाफ और मरीजों की देख भाल करने वाले अन्य कर्मचारियों के लिए इस व्यवस्था को तैयार करने में लगे हुए हैं.

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