वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय का आर्कोलॉजी विभाग और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी पिछले 13 सालों से देश की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु सभ्यता पर रिसर्च कर रहा है. शोध में ये बात सामने आईं कि सिंधु घाटी सभ्यता के ज्यादातर लोग शाकाहारी थे. आर्यों के हमले से नहीं, बल्कि मानसून की कमी के कारण भारत की इस प्राचीन सभ्यता का पतन हुआ था.
बर्तनों पर की गई रिसर्च
बीएचयू के प्रोफेसर आरएन सिंह ने बताया कि शोध के दौरान कुछ पुराने बर्तन मिले हैं. बर्तनों पर रिसर्च में यह पता चला कि सिंधु सभ्यता के लोग पूरी तरह से शाकाहारी थे. वे गेहूं, चावल, मिर्च जैसी चीजों की खेती करते थे. खुदाई के दौरान मिले बर्तनों की कार्बन डेटिंग के बाद यह तथ्य सामने आए हैं.
कुछ ही लोग थे मांसाहारी
प्रोफेसर आरएन सिंह ने बताया कि कुछ दावों में कहा गया कि सिंधु घाटी सभ्यता में लोग मांसाहारी थे, लेकिन वे गलत हैं. कुछ फीसदी लोग ही इस दौरान मांसाहारी थे. खुदाई के दौरान मिले मिट्टी के बर्तनों की कार्बन डेटिंग में कम ही सैंपल में मांस पकाने के सबूत मिले हैं.
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सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण
प्रोफेसर आरएन सिंह ने बताया कि सिंधु घाटी सभ्यता का पतन आर्यों के हमले से नहीं, बल्कि 200 सालों तक मानसून की कमी की वजह से हुआ है. 1900 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व तक मानसून की बेहद कमी रही, जिसके कारण इस संस्कृति का पतन हो गया.
बीएचयू और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी कर रही शोध
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन को जानने के लिए 2007 से बीएचयू और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज रिसर्च कर रहा है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉक्टर कैमरा एन पैंट्री और बीएचयू के आर्कोलॉजी विभाग में इसके बीच समझौता हुआ है. अब तक डेढ़ सौ बर्तनों की रिसर्च सैम्पलिंग हो चुकी है.