श्रीनगर : प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में मशहूर श्रीनगर में एक ऐतिहासिक मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया गया है. श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर को जल्द ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की तैयारियां की जा रही हैं.
श्रीनगर का ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर फिर से खोला जाएगा. मंदिर की इमारत को एक नई शैली में बनाया जाएगा. प्रशासन द्वारा पुरानी ऐतिहासिक इमारतों को फिर से बनाया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक मंदिर का पुनर्निर्माण एक साल पहले किया गया था. बाद में इसका पुनर्निर्माण किया गया था. आज से लगभग 40 साल पहले मंदिर की मरम्मत की गई थी.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रघुनाथ मंदिर के अलावा संबंधित विभाग ने श्रीनगर के दर्गजन क्षेत्र में एक चर्च, एचएमटी जीना कोट क्षेत्र में एक गुरुद्वारा और हसनाबाद क्षेत्र में एक इमामबाड़ा के पुनर्वास कार्य किया जाना है.
उन्होंने कहा कि रघुनाथ मंदिर, इमामबाड़ा और चर्च का जीर्णोद्धार किया जाना है, जबकि गुरुद्वारा को फिर से बनाया जाना है, फिलहाल इसकी भूमि के एक हिस्से पर सड़क बनाई गई है.
इस बीच, रघुनाथ मंदिर पर काम करने वाले एक मजदूर अब्दुल रशीद ने कहा कि मंदिर की मरम्मत का काम शुरू हो गया है और यहां हर दिन कम से कम 15 मजदूर काम करते हैं.
रशीद ने कहा कि मंदिर की मरम्मत का काम पूरा होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे और इस समय मजदूर मलबे को उठाने, सफाई करने में लगे हुए हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान, हम इसे उसके मूल स्वरूप में पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि प्राचीन कला देखने को मिल सके. उन्होंने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार में अनुमानित रूप से 70 लाख रुपये की लागत आएगी.
महाराजा गुलाब सिंह ने रघुनाथ मंदिर के लिए 1835 में आधारशिला रखी थी. उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे महाराजा रणबीर सिंह ने 1860 में मंदिर का कार्य पूरा करवाया था.
स्थानीय लोगों का कहना है कि 1990 के दशक में कश्मीर में पैदा हुईं दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के बाद मंदिर की स्थिति बिगड़ती चली गई. इसे वर्षों तक बंद भी रखा गया. अब दोबारा शुरू की गई निर्माण गतिविधियों के पूरा होने के बाद इस स्थान को श्रद्धालुओं के लिए दोबारा खोल दिया जाएगा.
जम्मू के रघुनाथ मंदिर से जुड़े तथ्य
श्रीनगर स्थित रघुनाथ मंदिर के अलावा जम्मू जिले में भी रघुनाथ मंदिर स्थित है. इसे रघुनाथ मंदिर कॉम्पलेक्स के रूप में जाना जाता है, जिसमें सात अलग-अलग मंदिर हैं. यह उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में एक है. इसमें 33 करोड़ देवी देवताओं का वास माना जाता है.
- लोकश्रुति के मुताबिक इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराए जाने के पहले रहस्यमय आग लगातार देखी जाती रही. जिससे हवनकुंड का आभास हुआ.
- सन् 1822-1860 की अवधि में जामवाल राजपूत वंश के महाराजा गुलाब सिंह और उनके पुत्र महाराजा रणबीर सिंह ने इसका निर्माण कराया.
- जम्मू-कश्मीर के पहले डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह खुद को भगवान राम के वंशज बताते थे.
- रघुनाथ मंदिर में मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है.
- मंदिर में कई देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं, लेकिन मुख्य रूप से भगवान राम की उपासना की जाती है.
- भगवान राम के गर्भगृह के गुंबद पर सिख वास्तुकला की झलक मिलती है.
- मंदिर के अन्य गुंबदों पर सोने की परत चढ़ाई गई थी.
- देवताओं की 300 प्रतिमाओं से मंदिर की दीवारों को सजाया गया है.
- मुख्य मंदिर के 15 खंभों पर रामायण, महाभारत और भगवद्गीता के विषयों पर आधारित चित्रकारी की गई है.
- वर्ष 2002 में आतंकियों ने मंदिर को निशाना बनाया था.
- लश्कर-ए-तैयबा आत्मघाती हमलावरों ने दो हमले किए थे, जिसमें ग्रेनेड हमला और अंधाधुंध गोलीबारी की गई थी. हमले में कई श्रद्धालु मारे गए थे, जबकि कई लोगों को चोटें भी आईं थी.