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सिंदूर लगाने से मना करना शादी की उपेक्षा दर्शाता है : गुवाहाटी हाईकोर्ट - neglect of marriage

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को तलाक की मंजूरी दे दी, जिसकी पत्नी ने देश के पूर्वी हिस्से में प्रचलित हिंदू संस्कृति का पालन करने से इनकार कर दिया था. महिला ने मांग में सिंदूर लगाने और शंख कड़ा पहनने से इंकार किया था. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jul 1, 2020, 5:39 AM IST

गुवाहाटी : गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को तलाक की मंजूरी दे दी, जिसकी पत्नी ने देश के पूर्वी हिस्से में प्रचलित हिंदू संस्कृति का पालन करने से इनकार कर दिया था. महिला ने मांग में सिंदूर लगाने और शंख कड़ा पहनने से इंकार किया था.

असम की शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू विवाहित महिला के बीच परंपरा और रिवाज के रूप में 'शंख' (शंख कड़ा) पहनने और 'सिंदूर' लगाने का प्रचलन है। याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा ऐसा न करना एक तरह से शादी को अस्वीकार करने जैसा है.

मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने कहा, 'एक महिला जो हिंदू रीति-रिवाजों अनुसार विवाह में प्रवेश करती है, और जिसे उसके प्रमाण में उत्तरदायी (महिला) द्वारा इनकार नहीं किया गया है, उसके द्वारा शंख कड़ा पहनने और सिंदूर लगाने से मना करना उसे अविवाहित की तरह दर्शाएगा / या अपीलकर्ता (पुरुष) के साथ शादी को स्वीकार करने से इनकार को दर्शाएगा.'

इसने कहा कि महिला का यह रुख स्पष्ट संकेत है कि वह याचिकाकर्ता के साथ अपनी शादीशुदा जिदंगी को आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं है.

अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में पत्नी के साथ शादी के बंधन में बंधे रहने के लिए मजबूर करना उसके लिए तकलीफदेह होगा.

जोड़े ने 17 फरवरी 2012 को शादी की थी, लेकिन थोड़े समय बाद ही दोनों में झगड़े होने लगे और महिला ने पति और उसके परिवार वालों के साथ रहने से मना कर दिया। दोनों 30 जून 2013 से अलग रह रहे हैं.

पढ़ें : देसी एप डेवलपर्स ने कहा- चीनी एप बैन होने से भारत बनेगा डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर

महिला ने पति और उसके परिवार के खिलाफ प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में कई शिकायतें भी दर्ज कराई, लेकिन अदालत ने इस दावे को नहीं माना.

गुवाहाटी : गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को तलाक की मंजूरी दे दी, जिसकी पत्नी ने देश के पूर्वी हिस्से में प्रचलित हिंदू संस्कृति का पालन करने से इनकार कर दिया था. महिला ने मांग में सिंदूर लगाने और शंख कड़ा पहनने से इंकार किया था.

असम की शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू विवाहित महिला के बीच परंपरा और रिवाज के रूप में 'शंख' (शंख कड़ा) पहनने और 'सिंदूर' लगाने का प्रचलन है। याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा ऐसा न करना एक तरह से शादी को अस्वीकार करने जैसा है.

मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने कहा, 'एक महिला जो हिंदू रीति-रिवाजों अनुसार विवाह में प्रवेश करती है, और जिसे उसके प्रमाण में उत्तरदायी (महिला) द्वारा इनकार नहीं किया गया है, उसके द्वारा शंख कड़ा पहनने और सिंदूर लगाने से मना करना उसे अविवाहित की तरह दर्शाएगा / या अपीलकर्ता (पुरुष) के साथ शादी को स्वीकार करने से इनकार को दर्शाएगा.'

इसने कहा कि महिला का यह रुख स्पष्ट संकेत है कि वह याचिकाकर्ता के साथ अपनी शादीशुदा जिदंगी को आगे बढ़ाने की इच्छुक नहीं है.

अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में पत्नी के साथ शादी के बंधन में बंधे रहने के लिए मजबूर करना उसके लिए तकलीफदेह होगा.

जोड़े ने 17 फरवरी 2012 को शादी की थी, लेकिन थोड़े समय बाद ही दोनों में झगड़े होने लगे और महिला ने पति और उसके परिवार वालों के साथ रहने से मना कर दिया। दोनों 30 जून 2013 से अलग रह रहे हैं.

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महिला ने पति और उसके परिवार के खिलाफ प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में कई शिकायतें भी दर्ज कराई, लेकिन अदालत ने इस दावे को नहीं माना.

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