नई दिल्ली : देश-दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. हर कोई इससे उबरने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ रहा है. इसी प्रकार यदि भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक बढ़ता है तो केंद्र सरकार ट्रेनों को ही मोबाइल अस्पताल में तब्दील कर सकती है और इस योजना पर विचार मंथन चल रहा है.
एक आधिकारिक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, 'यह कदम सैन्य ट्रेन एम्बुलेंस के रूप में शुरू हो चुका है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते मंगलवार को आधी रात से देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा के बाद सभी ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी गई है. ऐसी हजारों ट्रेनें हैं, जो पूरे देश में बेकार खड़ी हैं. इस उद्देश्य के लिए एसी 2 टियर कोच का चयन किया गया है.
इन डिब्बों का इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के रूप में भी किया जा सकता है, जहां संक्रमित मरीजों ठीक होने तक रखा जा सकता है.
एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह ट्रेनों के उपयोग का दूसरा बड़ा फायदा यह है कि उन्हें उन जगहों पर भी ले जाया जा सकता है, जहां संक्रमण के ज्यादा मामले हैं और जिन जगहों पर संगरोध सुविधाएं नहीं हैं.
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सैन्य एम्बुलेंस कोचों को छोड़कर, देश की सभी ट्रेनें भारतीय रेलवे और सरकार की संपत्ति हैं. भारतीय रेलवे लगभग 13,452 ट्रेनें चलाती है, जो 7,350 स्टेशनों में 1,23,200 किमी से अधिक के रेल नेटवर्क पर चलती है. एक एकल ट्रेन रोगियों के लिए कम से कम 800 बिस्तर उपलब्ध करा सकती है.
गौरतलब है कि यह विचार सेना का हो सकता है. युद्ध के दौरान हताहतों के इलाज के लिए सेना इस तरह के एम्बुलेंस कोचों को रखती है. बता दें कि 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान इस तरह की सैन्य रेल एम्बुलेंस को बड़े पैमाने पर जुटाया गया था, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच एक सैन्य गतिरोध देखा गया था.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत कोरोना वायरस खतरे से निबटने के लिए अधिकतर शीर्ष सरकारी बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं.
गुरुवार को भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बैठक की, जिसमें जनरल रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के अलावा शीर्ष रक्षा मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे.
सशस्त्र बल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं. भारतीय वायुसेना चीन, जापान और ईरान से भारतीयों को लाने के लिए उड़ान भर चुकी है. वर्तमान में, 1,073 व्यक्ति सशस्त्र बलों की चिकित्सा देखभाल के अधीन हैं, जबकि 389 को मानेश्वर, हिंडन, जैसलमेर, जोधपुर और मुंबई में सुविधाओं से छुट्टी दी गई है.
(संजीव बरुआ)