सवाई माधोपुर : रणथंभौर टाइगर रिजर्व की तालड़ा रेंज के पादरा वन क्षेत्र में लगी भीषण आग पर दूसरे दिन सुबह तक काबू नहीं पाया जा सका है. वन कर्मी अपने पारम्परिक तरीकों और सीमित संसाधनों के साथ आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन आग का दायरा कई किलोमीटर में फैल चुका है, ऐसे में आग पर काबू पाना आसान नहीं हो रहा है.
जिस जगह आग लगी है वह क्षेत्र घने जंगल का है. पादरा और कठोली गांवों के विस्थापन के बाद प्लांटेशन से तैयार क्लोजर है, जहां रातभर अंधेरे में आग बुझाने के प्रयासों के बावजूद आग पर काबू पाने के प्रयास जारी हैं. आग की इस घटना पर कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. रणथंभौर के उन्हीं जंगलों में आग लगी है, जंहा भारत ही नहीं विश्वभर से पर्यटक बाघों की अठखेलियां देखने आते हैं. विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क में के पादरा वन क्षेत्र में भीषण आग लगी है.
पढ़ेंः लश्कर की योजना मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद के तौर पर पेश करने की थी
सूखी घास और पत्तों की वजह से आग का दायरा लगातार बढ़ रहा है. जिस जगह यह आग लगी है वह क्षेत्र सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर है और कठोली ओर पादरा गांवों कर बीच है. यह दोनों गांव यंहा से विस्थापित हो चुके हैं.
पढ़ेंः पुणे की आटोमोबाइल कंपनी में आग, कोई हताहत नहीं
बता दें कि डूंगरी पंचायत क्षेत्र में यह आग लगी है जो कि खंडार से लगभग 25 किलोमीटर दूर है. पादरा और कठोली गांवों का यह क्षेत्र प्लांटेशन क्षेत्र है और जंगल के बीचों बीच का हिस्सा है 10 किलोमीटर क्षेत्र में कोई आबादी नही है और इस क्षेत्र में टाइगर सहित जंगली जानवरों का मूवमेंट लगातार रहता है.
देर रात तक को वनकर्मी अपने तरीके से आग बुझाते रहे लेकिन सुबह होते ही दमकल को भी बुलाया गया.
सूत्रों के अनुसार, आग भीषण है और घने जंगल होने के साथ ही रास्तों का भी अभाव है. ऐसे में आग ज्यादा फैलने को संभावना बनी हुई है. वहीं, वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से करीब 60 करोड़ रुपये खर्च कर डिजिटल वाईल्ड लाईफ सर्विलांस ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया है. जिसके माध्यम से रणथम्भौर का पूरा जंगल डिजिटल कैमरों से लैस है. ऐसे में उन्हें भी नुकसान का खरता है.