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'मालदीव से चीन को हटाना आसान नहीं, पर प्राथमिकता में अब भारत नंबर वन है'

अपने दूसरे कार्यकाल में पीएम मोदी विदेश दौरे की शुरुआत मालदीव से करेंगे. इसके जरिए भारत दो संदेश देना चाहता है. पहला यह कि वह अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध रखना चाहता है और दूसरा संदेश चीन के लिए है. इस मामले पर हमने मालदीव में भारत के पूर्व राजदूत से बात की. पढ़ें, क्या कहना उन्होंने.

मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत के पल.
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Published : Jun 7, 2019, 7:35 PM IST

नई दिल्ली: पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत पड़ोसी देश मालदीव की यात्रा से कर रहे हैं. इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की इंडिया फर्स्ट योजना और सकारात्मक रवैये को देखते हुए पीएम मोदी ने मालदीव जाने का नर्णय लिया है.

पीएम मोदी के मालदीव दौरे के बाद भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानने के लिए ETV भारत ने मालदीव में भारत के पूर्व राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत की. राजीव शाहरे राष्ट्रपति यामीन के कार्यकाल के दौरान मालदीव में भारत का नेतृत्व कर चुके हैं.

शाहरे का कहना है कि मालदीव और भारत के रिश्ते की एक नई शुरुआत हो रही है. उन्होंने कहा कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति की वजह से भारत के साथ रिश्तों में खटास पैदा हुई थी. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भारत का साथ छोड़ चीन के साथ जाना बेहतर समझा था, जिसके बाद से ही भारत से संबंध बिगड़े.

उन्होंने कहा कि यामीन सरकार ने चीन के साथ उन रणनीतिक परियोजनाओं पर विचार किया, जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था को हानि पहुंचा रही थी. भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए वे कहीं न कहीं मालदीव की यामीन सरकार को कसूरवार मानते हैं.

राष्ट्रपति सोलिह के भारत की ओर झुकाव की तारीफ करते हुए राजीव कहते हैं कि जैसे भारत का कहना है कि पड़ोसी पहले, वैसे ही मालदीव का कहना है कि भारत पहले.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत-मालदीव की रणनीतिक साझेदारी के चलते मालदीव के चीन से रिश्ते कम हो जाएंगे? इस सवाल का उन्होंने जवाब दिया, 'चीन को बाहर निकालना आसान नहीं है. वे मालदीव की अर्थव्यवस्था में बड़े साझेदार हैं. चीन के कामों का मलदीव की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है.'

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वर्तमान मालदीव सरकार की योजना यामीन के कार्यकाल के दौरान चीन के साथ हुए प्रमुख सौदों की जांच करने की है.

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.

इस बार भारत का दृष्टिकोण कितना अलग होना चाहिए? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'भारत यामीन की सरकार के साथ भी लगातार बातचीत की पेशकश करता रहा है, लेकिन उनका रुख चीन की ओर था. मुझे लगता है कि इसबार सरकार को पता है कि मालदीव सरकार के साथ संबंध कैसे स्थापित किया जाए. यही वजह है कि पीएम ने विदेश दौरों में मालदीव दौरा सबसे पहले चुना है.

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.

नई दिल्ली: पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत पड़ोसी देश मालदीव की यात्रा से कर रहे हैं. इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की इंडिया फर्स्ट योजना और सकारात्मक रवैये को देखते हुए पीएम मोदी ने मालदीव जाने का नर्णय लिया है.

पीएम मोदी के मालदीव दौरे के बाद भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानने के लिए ETV भारत ने मालदीव में भारत के पूर्व राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत की. राजीव शाहरे राष्ट्रपति यामीन के कार्यकाल के दौरान मालदीव में भारत का नेतृत्व कर चुके हैं.

शाहरे का कहना है कि मालदीव और भारत के रिश्ते की एक नई शुरुआत हो रही है. उन्होंने कहा कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति की वजह से भारत के साथ रिश्तों में खटास पैदा हुई थी. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भारत का साथ छोड़ चीन के साथ जाना बेहतर समझा था, जिसके बाद से ही भारत से संबंध बिगड़े.

उन्होंने कहा कि यामीन सरकार ने चीन के साथ उन रणनीतिक परियोजनाओं पर विचार किया, जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था को हानि पहुंचा रही थी. भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए वे कहीं न कहीं मालदीव की यामीन सरकार को कसूरवार मानते हैं.

राष्ट्रपति सोलिह के भारत की ओर झुकाव की तारीफ करते हुए राजीव कहते हैं कि जैसे भारत का कहना है कि पड़ोसी पहले, वैसे ही मालदीव का कहना है कि भारत पहले.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत-मालदीव की रणनीतिक साझेदारी के चलते मालदीव के चीन से रिश्ते कम हो जाएंगे? इस सवाल का उन्होंने जवाब दिया, 'चीन को बाहर निकालना आसान नहीं है. वे मालदीव की अर्थव्यवस्था में बड़े साझेदार हैं. चीन के कामों का मलदीव की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है.'

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वर्तमान मालदीव सरकार की योजना यामीन के कार्यकाल के दौरान चीन के साथ हुए प्रमुख सौदों की जांच करने की है.

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.

इस बार भारत का दृष्टिकोण कितना अलग होना चाहिए? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'भारत यामीन की सरकार के साथ भी लगातार बातचीत की पेशकश करता रहा है, लेकिन उनका रुख चीन की ओर था. मुझे लगता है कि इसबार सरकार को पता है कि मालदीव सरकार के साथ संबंध कैसे स्थापित किया जाए. यही वजह है कि पीएम ने विदेश दौरों में मालदीव दौरा सबसे पहले चुना है.

ETV भारत ने पूर्व मालदीव में भारत के राजदूत राजीव शाहरे से बातचीत.
Intro:After his thumping re-election, PM Modi chose Maldives as the first country for his official visit. To understand the significance of this visit, ETV Bharat team approached Ambassador Rajeev Shahare who headed the Indian Mission in Maldives during President Yameen's tenure.


Body:Claiming it to be a new chapter in India-Maldives relations, Rajeev Shahare blamed former Maldivian President for deliberately going the China way and spoiling ties with India.

Not only this, the former Indian Ambassador to Maldives accused Yameen's government of contemplating strategic projects with China which would have impinged India's security.

Applauding President Solih's government approach towards India, Rajeev Shahare said, 'Like India is saying neighbourhood first. Maldives is saying India-First.'



Conclusion:When asked whether China will be left fumed by India-Maldives nexus, he responded, 'it's not easy to take China out. They are deeply entrenched into Maldivian economy.'

Though he also pointed out saying that the current Maldivian government's plans to probe major deals inked with China during Yameen's tenure.

On the question of how different India's approach should be this time, he said, 'India was continuously engaging with Yameen's government as well. But he went the China way. I think this government knows how to re-establish relationship with this government which is the reason why PM has chosen it as the first country to visit.'

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