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जानिए टिड्डी के हमले से लेकर समाधान की पूरी कहानी

देश के कई हिस्सों में पाकिस्तान से आए टिड्डी दलों ने आंतक मचा रखा है. इन टिड्डियों के हमलों से किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी हैं. टिड्डी दलों ने अब तक राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में हमला किया है, जिसके कारण अब टिड्डी दलों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. पढे़ं खबर विस्तार से....

locusts-attack in rajasthan
राजस्थान टिड्डियों के आतंक में
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Published : May 31, 2020, 2:06 PM IST

जयपुर. भारत में कोरोना वायरस के खतरे के बीच कई राज्य एक नए संकट से गुजर रहे हैं. टिड्डियों ने बड़े पैमाने पर फसलों की तबाही मचा रखी है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब और यूपी समेत कई राज्यों के किसान त्रस्त हो चुके हैं. अब इन टिड्डियों का खतरा कुछ अन्य राज्यों पर भी मंडराने लगा है. मतलब खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

मामूली से कीड़े की तरह दिखने वाली इन टिड्डियों का दल बहुत ताकतवार है. यह टिड्डियां एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती हैं. इनकी उड़ान की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है. हर एक टिड्डी दो ग्राम तक फसल को खा सकती है. एक वर्ग किलोमीटर के दायरे में करीब चार करोड़ टिड्डियां हो सकती हैं और इन टिड्डियों का बड़ा झुंड एक दिन में 35 हजार लोग, 20 ऊंट या 10 हाथी के बराबर फसल खा सकता है. अगर सिर्फ राजस्थान की बात करें तो.

टिड्डी हमले से राजस्थान का कौन सा जिला कितना प्रभावितः

जिलेप्रभावित क्षेत्र
बीकानेर1345 हेक्टेयर
चूरू500 हेक्टेयर
जोधपुर 455 हेक्टेयर
जयपुर 397 हेक्टेयर
श्रीगंगानगर200 हेक्टेयर
बाड़मेर170 हेक्टेयर
दौसा55 हेक्टेयर
नागौर 25 हेक्टेयर
सीकर 20 हेक्टेयर
बारां3 हेक्टेयर

क्या हैं टिड्डियां और कहां से आईं?

पूरी दुनिया में रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से लगभग तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. इतने क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरब देशों, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत सहित करीब 64 देश शामिल हैं. सामान्य दिनों में जब इनका प्रभाव कम होता है तब भी यह 30 देशों के एक करोड़ 60 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में पाई जाती हैं.

रेगिस्तानी टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला राजस्थान के जैसलमेर में 16 मई 2019 के बाद देखा गया. उस समय यह छितरी हुई अवस्था में थी. भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, मई 2019 में 246 जगहों पर सर्वे किया गया था, जिनमें से 46 स्थानों पर टिड्डी पाई गई थी. बीकानेर जिले के कुछ इलाकों में भी टिड्डी दल देखे गए थे.

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

टिड्डियों का ज्यादा प्रभाव इसलिए बढ़ा, क्योंकि केन्या, सोमालिया, इथोपिया, दक्षिण ईरान और पाकिस्तान के एक हिस्से में डेजर्ट पार्ट है. यहां पर तूफान की वजह से भारी बारिश हुई और डेजर्ट में पानी के तालाब बन गए, जिससे इन टिड्डियों को प्रजनन का एक अनुकूल वातावरण मिल गया.

किसानों का दर्द:

किसानों का कहना है कि खेत में टिड्डी दल ने अटैक किया तो पूरा परिवार देखता रह गया. उससे निपटने के लिए परिवार के सभी लोग तालियां और चम्मच बजाकर फसल को बचाने में लग गया. अपनी जिंदगी में पहली बार इस तरीके की तबाही देखी है. नागौर के रहने वाले किसान सीताराम का कहना है कि कपास के पौधे आठ से 12 इंच लंबे हो गए थे और हर पौधे पर सात से 10 पत्ते आ चुके थे, लेकिन टिड्डी के हमले में सारी फसल चौपट हो गई. खेजड़ी, नीम और पीपल जैसे बड़े पेड़ भी टिड्डी दल के हमले से गुम हो गए हैं. वहीं किसान पूनाराम का कहना है कि पशुओं के लिए रंजका उगाया था, उसमें टिड्डियों ने नुकसान किया है. इसके अलावा बाजरा, मूंगफली की फसल में टिड्डियों के हमले से नुकसान हुआ है. सब्जी की फसल तो टिड्डियों ने पूरी तरह से ही खत्म कर दी है. नई फसल को भी नुकसान पहुंचाया है.

क्या कहना है केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का?

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का कहना है कि केंद्र सरकार टिड्डी से नियंत्रण के लिए लगातार काम कर रही है. केंद्र सरकार ने यूके की 60 कंपनियों को हैंडओवर दे दिया है, साथ ही पांच हेलिकॉप्टर मशीनों से भी छिड़काव के लिए आदेश दे दिया गया है. टिड्डी प्रभावित इलाकों में हवाई छिड़काव के साथ-साथ ड्रोन से भी छिड़काव की व्यवस्था की जा रही है और इसका भी टेंडर करवा दिया गया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को केंद्र सरकार की ओर से 14 करोड़ रुपए टिड्डी नियंत्रण के लिए स्वीकृत कर दिया गया है. साथ ही 800 ट्रैक्टरों के माध्यम से भी छिड़काव करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है.

क्या कहना है राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का?

राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि कल्टीवेटर के जरिए हम टिड्डियों के अंडों को खत्म कर सकते हैं, लेकिन अडल्ट टिड्डियों को मारने के लिए टिड्डी महकमा माइक्रोनर का इस्तेमाल करता है और इस तरह से 96 प्रतिशत टिड्डियों को मारा जाता है. पिछले साल राजस्थान के किसानों ने डस्ट के माध्यम से टिड्डियों को रोका था. अब राजस्थान सरकार ने भी इसकी इजाजत दे दी है. इसके आलावा हमने ड्रोन के माध्यम से भी दवा का छिड़काव किया है और इसमें केंद्र की भी मदद ली जा रही है.

क्या कहना है राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट का?

राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि पहली बार टिड्डी दल इतना आगे आ गया है. इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार का अलग से विभाग होता है. राजस्थान सरकार ने पहले भी केंद्र सरकार से सहायता के लिए कहा है ताकि टिड्डियों से प्रदेश में ज्यादा नुकसान नहीं हो. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि टिड्डी दल जयपुर तक पहुंच जाए. यह चिंता की बात है और इसका कोई ना कोई रास्ता निकालना चाहिए.

इन माध्यमों से किया जा रहा है टिड्डियों का खात्मा:

किसान खेतों से बर्तन, थाली, ढ़ोल बजाकर भगा रहे हैं टिड्डियों को.

ट्रैक्टर के माध्यम से पेस्टीसाइड का छिड़काव कर टिड्डी पर नियंत्रण .

टिड्डियों पर पेस्टीसाइड का स्प्रे करके भी मारा जा रहा है.

कल्टीवेटर के जरिए टिड्डी महकमा टिड्डियों के अंडों को खत्म कर रहा है.

इन्हें मारने के लिए टिड्डी महकमा माइक्रोनर का भी इस्तेमाल कर रहा है.

पिछले साल राजस्थान के किसानों ने डस्ट का भी उपयोग किया था.

राजस्थान सरकार ने इस साल डस्ट के माध्यम से टिड्डियों के खात्मे की मंजूरी दे दी है.

ड्रोन और हेलिकॉप्टर से दवा के छिड़काव के लिए केंद्र सरकार ने दी मंजूरी.

यह भी पढ़ें- कोरोना : भारत में टिड्डी दल का प्रवेश मध्य जुलाई तक जारी रहेगा : डॉ. केएल गुर्जर

आने वाले दिनों में टिड्डी से खतरा:

जयपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अर्जुन सिंह का कहना है कि टिड्डियों का दल अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ सकता है. हम दशकों में अब तक के सबसे खराब मरुस्थलीय टिड्डी हमले की स्थिति का सामना कर रहे हैं. मौजूदा वक्त में टिड्डियों का हमला केन्या, सोमालिया, इथोपिया, दक्षिण ईरान और पाकिस्तान के कई हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है.

उन्होंने कहा कि जून में यह केन्या से इथोपिया के साथ ही सूडान और संभवत: पश्चिमी अफ्रीका तक फैलेगी. यह अरब सागर को पार करके भारत और पाकिस्तान जाएगी. अफ्रीका में टिड्डियों का प्रजनन हो रहा है, यह जून में भारत आ सकती है. टिड्डी दल का यह हमला इस बार ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले जब साल 1993 में टिड्डी दल ने फसलों को चौपट किया था तो उस समय अक्टूबर में ठंड की वजह से टिड्डियां मर गई थी, लेकिन इस बार मौसम बदलाव होने के बावजूद टिड्डी दल ना केवल सक्रिय है बल्कि उनका हमला और ज्यादा खतरनाक है.

जयपुर. भारत में कोरोना वायरस के खतरे के बीच कई राज्य एक नए संकट से गुजर रहे हैं. टिड्डियों ने बड़े पैमाने पर फसलों की तबाही मचा रखी है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब और यूपी समेत कई राज्यों के किसान त्रस्त हो चुके हैं. अब इन टिड्डियों का खतरा कुछ अन्य राज्यों पर भी मंडराने लगा है. मतलब खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

मामूली से कीड़े की तरह दिखने वाली इन टिड्डियों का दल बहुत ताकतवार है. यह टिड्डियां एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती हैं. इनकी उड़ान की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है. हर एक टिड्डी दो ग्राम तक फसल को खा सकती है. एक वर्ग किलोमीटर के दायरे में करीब चार करोड़ टिड्डियां हो सकती हैं और इन टिड्डियों का बड़ा झुंड एक दिन में 35 हजार लोग, 20 ऊंट या 10 हाथी के बराबर फसल खा सकता है. अगर सिर्फ राजस्थान की बात करें तो.

टिड्डी हमले से राजस्थान का कौन सा जिला कितना प्रभावितः

जिलेप्रभावित क्षेत्र
बीकानेर1345 हेक्टेयर
चूरू500 हेक्टेयर
जोधपुर 455 हेक्टेयर
जयपुर 397 हेक्टेयर
श्रीगंगानगर200 हेक्टेयर
बाड़मेर170 हेक्टेयर
दौसा55 हेक्टेयर
नागौर 25 हेक्टेयर
सीकर 20 हेक्टेयर
बारां3 हेक्टेयर

क्या हैं टिड्डियां और कहां से आईं?

पूरी दुनिया में रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से लगभग तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. इतने क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरब देशों, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत सहित करीब 64 देश शामिल हैं. सामान्य दिनों में जब इनका प्रभाव कम होता है तब भी यह 30 देशों के एक करोड़ 60 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में पाई जाती हैं.

रेगिस्तानी टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला राजस्थान के जैसलमेर में 16 मई 2019 के बाद देखा गया. उस समय यह छितरी हुई अवस्था में थी. भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, मई 2019 में 246 जगहों पर सर्वे किया गया था, जिनमें से 46 स्थानों पर टिड्डी पाई गई थी. बीकानेर जिले के कुछ इलाकों में भी टिड्डी दल देखे गए थे.

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

टिड्डियों का ज्यादा प्रभाव इसलिए बढ़ा, क्योंकि केन्या, सोमालिया, इथोपिया, दक्षिण ईरान और पाकिस्तान के एक हिस्से में डेजर्ट पार्ट है. यहां पर तूफान की वजह से भारी बारिश हुई और डेजर्ट में पानी के तालाब बन गए, जिससे इन टिड्डियों को प्रजनन का एक अनुकूल वातावरण मिल गया.

किसानों का दर्द:

किसानों का कहना है कि खेत में टिड्डी दल ने अटैक किया तो पूरा परिवार देखता रह गया. उससे निपटने के लिए परिवार के सभी लोग तालियां और चम्मच बजाकर फसल को बचाने में लग गया. अपनी जिंदगी में पहली बार इस तरीके की तबाही देखी है. नागौर के रहने वाले किसान सीताराम का कहना है कि कपास के पौधे आठ से 12 इंच लंबे हो गए थे और हर पौधे पर सात से 10 पत्ते आ चुके थे, लेकिन टिड्डी के हमले में सारी फसल चौपट हो गई. खेजड़ी, नीम और पीपल जैसे बड़े पेड़ भी टिड्डी दल के हमले से गुम हो गए हैं. वहीं किसान पूनाराम का कहना है कि पशुओं के लिए रंजका उगाया था, उसमें टिड्डियों ने नुकसान किया है. इसके अलावा बाजरा, मूंगफली की फसल में टिड्डियों के हमले से नुकसान हुआ है. सब्जी की फसल तो टिड्डियों ने पूरी तरह से ही खत्म कर दी है. नई फसल को भी नुकसान पहुंचाया है.

क्या कहना है केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का?

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का कहना है कि केंद्र सरकार टिड्डी से नियंत्रण के लिए लगातार काम कर रही है. केंद्र सरकार ने यूके की 60 कंपनियों को हैंडओवर दे दिया है, साथ ही पांच हेलिकॉप्टर मशीनों से भी छिड़काव के लिए आदेश दे दिया गया है. टिड्डी प्रभावित इलाकों में हवाई छिड़काव के साथ-साथ ड्रोन से भी छिड़काव की व्यवस्था की जा रही है और इसका भी टेंडर करवा दिया गया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को केंद्र सरकार की ओर से 14 करोड़ रुपए टिड्डी नियंत्रण के लिए स्वीकृत कर दिया गया है. साथ ही 800 ट्रैक्टरों के माध्यम से भी छिड़काव करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है.

क्या कहना है राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का?

राजस्थान के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि कल्टीवेटर के जरिए हम टिड्डियों के अंडों को खत्म कर सकते हैं, लेकिन अडल्ट टिड्डियों को मारने के लिए टिड्डी महकमा माइक्रोनर का इस्तेमाल करता है और इस तरह से 96 प्रतिशत टिड्डियों को मारा जाता है. पिछले साल राजस्थान के किसानों ने डस्ट के माध्यम से टिड्डियों को रोका था. अब राजस्थान सरकार ने भी इसकी इजाजत दे दी है. इसके आलावा हमने ड्रोन के माध्यम से भी दवा का छिड़काव किया है और इसमें केंद्र की भी मदद ली जा रही है.

क्या कहना है राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट का?

राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि पहली बार टिड्डी दल इतना आगे आ गया है. इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार का अलग से विभाग होता है. राजस्थान सरकार ने पहले भी केंद्र सरकार से सहायता के लिए कहा है ताकि टिड्डियों से प्रदेश में ज्यादा नुकसान नहीं हो. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि टिड्डी दल जयपुर तक पहुंच जाए. यह चिंता की बात है और इसका कोई ना कोई रास्ता निकालना चाहिए.

इन माध्यमों से किया जा रहा है टिड्डियों का खात्मा:

किसान खेतों से बर्तन, थाली, ढ़ोल बजाकर भगा रहे हैं टिड्डियों को.

ट्रैक्टर के माध्यम से पेस्टीसाइड का छिड़काव कर टिड्डी पर नियंत्रण .

टिड्डियों पर पेस्टीसाइड का स्प्रे करके भी मारा जा रहा है.

कल्टीवेटर के जरिए टिड्डी महकमा टिड्डियों के अंडों को खत्म कर रहा है.

इन्हें मारने के लिए टिड्डी महकमा माइक्रोनर का भी इस्तेमाल कर रहा है.

पिछले साल राजस्थान के किसानों ने डस्ट का भी उपयोग किया था.

राजस्थान सरकार ने इस साल डस्ट के माध्यम से टिड्डियों के खात्मे की मंजूरी दे दी है.

ड्रोन और हेलिकॉप्टर से दवा के छिड़काव के लिए केंद्र सरकार ने दी मंजूरी.

यह भी पढ़ें- कोरोना : भारत में टिड्डी दल का प्रवेश मध्य जुलाई तक जारी रहेगा : डॉ. केएल गुर्जर

आने वाले दिनों में टिड्डी से खतरा:

जयपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अर्जुन सिंह का कहना है कि टिड्डियों का दल अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ सकता है. हम दशकों में अब तक के सबसे खराब मरुस्थलीय टिड्डी हमले की स्थिति का सामना कर रहे हैं. मौजूदा वक्त में टिड्डियों का हमला केन्या, सोमालिया, इथोपिया, दक्षिण ईरान और पाकिस्तान के कई हिस्सों में सबसे अधिक गंभीर है.

उन्होंने कहा कि जून में यह केन्या से इथोपिया के साथ ही सूडान और संभवत: पश्चिमी अफ्रीका तक फैलेगी. यह अरब सागर को पार करके भारत और पाकिस्तान जाएगी. अफ्रीका में टिड्डियों का प्रजनन हो रहा है, यह जून में भारत आ सकती है. टिड्डी दल का यह हमला इस बार ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले जब साल 1993 में टिड्डी दल ने फसलों को चौपट किया था तो उस समय अक्टूबर में ठंड की वजह से टिड्डियां मर गई थी, लेकिन इस बार मौसम बदलाव होने के बावजूद टिड्डी दल ना केवल सक्रिय है बल्कि उनका हमला और ज्यादा खतरनाक है.

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