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रेलवे में अप्रिय घटनाओं के कारण लगभग 30,000 लोगों की जान गई

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Published : Aug 20, 2020, 10:04 PM IST

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि रेलवे में मृत्यु के आंकड़ों को तीन रूपों में रखा जाता है. यानी अनधिकृत प्रवेश, अप्रिय घटनाएं और परिणामी मौतें. पिछले वित्तीय वर्ष में कोई भी परिणामी मौत नहीं हुई हैं. परिणामी मौतों से तात्पर्य डिरेलमेंट, ट्रेन कोलिजन, ट्रेन में आग लग जाना इत्यादि से है.

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव

नई दिल्ली : रेलवे पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश और अप्रिय घटनाओं के कारण पिछले 3 वर्षों में लगभग 30,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यह जानकारी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने दी.

ये बयान उन्होंने तब दिया जब नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत ने उन्हें चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में उन्होंने उस दावे पर चिंता व्यक्त की, जिसमें ये कहा जा रहा था कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर में शून्य मौतें हुईं.

अपने पत्र में कांत ने वीके यादव को यह जांचने के लिए कहा कि क्या डेटा सही है. उन्होंने यह भी कहा कि हर साल 2,000 से अधिक लोग मुंबई उपनगरीय ट्रेनों में अपना जीवन खो देते हैं. इस तरह की मौतें भी कुल मृत्यु रिकॉर्ड का एक हिस्सा होना चाहिए.

यादव ने कहा कि रेलवे में मृत्यु के आंकड़ों को तीन रूपों में रखा जाता है. यानी अनधिकृत प्रवेश, अप्रिय घटनाएं और परिणामी मौतें. पिछले वित्तीय वर्ष में कोई भी परिणामी मौत नहीं हुई है. परिणामी मौतों से तात्पर्य डिरेलमेंट, ट्रेन कोलिजन, ट्रेन में आग लग जाना इत्यादि से है.


यादव ने यह भी बताया कि रेलवे ने वर्ष 2016-17 में 195 मौतों को दर्ज किया जो 2017-18 में घटकर 28 और 2018-19 में 16 हो गई, जिसमें ट्रैक के आस-पास अनधिकृत प्रवेश और अप्रिय घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि यह डेटा नीती आयोग को भी दिया जाएगा.

यादव ने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे के पास अभी भी अपनी ट्रेनों में स्वचालित ब्रेक प्रणाली नहीं है, जिसे मंत्रालय आने वाले वर्षों में स्थापित करने की योजना बना रहा है ताकि रेलवे पटरियों पर हर साल होने वाली मौतों की संख्या कम हो सके.

यह भी पढ़ें - यूपी रोडवेज की बसों को चलाएंगी महिला ड्राइवर

नई दिल्ली : रेलवे पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश और अप्रिय घटनाओं के कारण पिछले 3 वर्षों में लगभग 30,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. यह जानकारी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने दी.

ये बयान उन्होंने तब दिया जब नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत ने उन्हें चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में उन्होंने उस दावे पर चिंता व्यक्त की, जिसमें ये कहा जा रहा था कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर में शून्य मौतें हुईं.

अपने पत्र में कांत ने वीके यादव को यह जांचने के लिए कहा कि क्या डेटा सही है. उन्होंने यह भी कहा कि हर साल 2,000 से अधिक लोग मुंबई उपनगरीय ट्रेनों में अपना जीवन खो देते हैं. इस तरह की मौतें भी कुल मृत्यु रिकॉर्ड का एक हिस्सा होना चाहिए.

यादव ने कहा कि रेलवे में मृत्यु के आंकड़ों को तीन रूपों में रखा जाता है. यानी अनधिकृत प्रवेश, अप्रिय घटनाएं और परिणामी मौतें. पिछले वित्तीय वर्ष में कोई भी परिणामी मौत नहीं हुई है. परिणामी मौतों से तात्पर्य डिरेलमेंट, ट्रेन कोलिजन, ट्रेन में आग लग जाना इत्यादि से है.


यादव ने यह भी बताया कि रेलवे ने वर्ष 2016-17 में 195 मौतों को दर्ज किया जो 2017-18 में घटकर 28 और 2018-19 में 16 हो गई, जिसमें ट्रैक के आस-पास अनधिकृत प्रवेश और अप्रिय घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि यह डेटा नीती आयोग को भी दिया जाएगा.

यादव ने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे के पास अभी भी अपनी ट्रेनों में स्वचालित ब्रेक प्रणाली नहीं है, जिसे मंत्रालय आने वाले वर्षों में स्थापित करने की योजना बना रहा है ताकि रेलवे पटरियों पर हर साल होने वाली मौतों की संख्या कम हो सके.

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