ETV Bharat / bharat

छत्तीसगढ़ की ये सब्जी चिकन से भी होती है महंगी , शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ गई मांग

बारिश के आते ही सरगुज़ा के हर किचन की सबसे प्रमुख डिश अगर कोई होती है तो वो है पूटू. लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं. खास बात यह है कि यह सब्जी चिकिन और मटन से ज्यादा महंगी है. जानें क्या है इसकी खासियत

author img

By

Published : Jul 2, 2019, 10:34 PM IST

पूटु सब्जी

रायपुर : छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक ऐसा सब्जी उगाई जाती है, जिसके लोग दीवानें हैं कीमत चिकन से भी ज्यादा है. इस सबजी का नाम है पूटू.

पूटु को लेकर दीवानगी भी ऐसी है कि, इसके नुकसान की जानकारी होते हुए भी इसे खाते हैं. सबसे अहम बात यह है की पूटू बाजार में चिकन और मटन से कहीं ज्यादा महंगे दाम पर बिकता है.

सोमवार को अंबिकापुर के बाजार में यह 4 सौ रुपए किलो बेचा गया, लेकिन 2 दिन पहले यह एक हजार रुपए किलो बेचा जा रहा है. लिहाजा इतनी महंगी सब्जी शायद ही सरगुजा के लोगों के किचन में कभी आती हो, लेकिन इसके स्वाद के सभी दीवाने हैं.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ : फिर ट्रेन से रेस्क्यू किए गए 7 बच्चे, पूछताछ जारी

मशरूम की प्रजाति है पूटू
पूटू मशरूम की एक प्रजाति है. हर साल सरगुजा में डायरिया से होने वाली मौत का कारण पूटू को ही माना जाता है. इसके सेवन में सावधानी न रखने पर मौत तक होती है. बावजूद इसके पूटू की बिक्रि धड़ल्ले से जारी है.

पूटू में पर्याप्त मात्रा में होता है प्रोटीन
चिकित्सक भी मानते हैं की पूटू की सही पहचान आवश्यक है. कई बार कुछ जहरीले पूटू खा लेने से लोगों की मौत हो जाती हैं. पूटू में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है. पहले रुपए के अभाव में लोग पूटू खाते थे लेकिन अब कीमत चिकन और मटन के बराबर हो गई है.

100 किलोमीटर से पूटू बेचने आती हैं महिलाएं
लोगों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पूटू सेवन से मिल जाता है. अब यहां हालात कुछ और हैं. ग्रामीण अब इसे कुपोषण दूर करने के लिए नहीं बल्कि आय का साधन बना चुके हैं. महिलाएं 90 -100 किलोमीटर दूर तारा और मोरगा क्षेत्र से अंबिकापुर आकर पूटू बेचती हैं.

रायपुर : छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक ऐसा सब्जी उगाई जाती है, जिसके लोग दीवानें हैं कीमत चिकन से भी ज्यादा है. इस सबजी का नाम है पूटू.

पूटु को लेकर दीवानगी भी ऐसी है कि, इसके नुकसान की जानकारी होते हुए भी इसे खाते हैं. सबसे अहम बात यह है की पूटू बाजार में चिकन और मटन से कहीं ज्यादा महंगे दाम पर बिकता है.

सोमवार को अंबिकापुर के बाजार में यह 4 सौ रुपए किलो बेचा गया, लेकिन 2 दिन पहले यह एक हजार रुपए किलो बेचा जा रहा है. लिहाजा इतनी महंगी सब्जी शायद ही सरगुजा के लोगों के किचन में कभी आती हो, लेकिन इसके स्वाद के सभी दीवाने हैं.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ : फिर ट्रेन से रेस्क्यू किए गए 7 बच्चे, पूछताछ जारी

मशरूम की प्रजाति है पूटू
पूटू मशरूम की एक प्रजाति है. हर साल सरगुजा में डायरिया से होने वाली मौत का कारण पूटू को ही माना जाता है. इसके सेवन में सावधानी न रखने पर मौत तक होती है. बावजूद इसके पूटू की बिक्रि धड़ल्ले से जारी है.

पूटू में पर्याप्त मात्रा में होता है प्रोटीन
चिकित्सक भी मानते हैं की पूटू की सही पहचान आवश्यक है. कई बार कुछ जहरीले पूटू खा लेने से लोगों की मौत हो जाती हैं. पूटू में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है. पहले रुपए के अभाव में लोग पूटू खाते थे लेकिन अब कीमत चिकन और मटन के बराबर हो गई है.

100 किलोमीटर से पूटू बेचने आती हैं महिलाएं
लोगों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पूटू सेवन से मिल जाता है. अब यहां हालात कुछ और हैं. ग्रामीण अब इसे कुपोषण दूर करने के लिए नहीं बल्कि आय का साधन बना चुके हैं. महिलाएं 90 -100 किलोमीटर दूर तारा और मोरगा क्षेत्र से अंबिकापुर आकर पूटू बेचती हैं.

Intro:सरगुज़ा : बारिश के आते ही सरगुज़ा के हर किचन की सबसे प्रमुख डिशअगर कोई होती है तो वो है पूटू.. लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं, दीवानगी भी ऐसी की इसके नुकसान की जानकारी होते हुए भी इसे खाते हैं, और सबसे अहम बात यह है की पूटू बाजार में चिकन और मटन से कहीं ज्यादा महंगे दाम पर बिकता है। वर्तमान में सोमवार को अम्बिकापुर के बाजार में यह 4 सौ रुपये किलो बेचा गया लेकिन 2 दिन पहले यह एक हजार रुपये किलो बेचा जा रहा है। लिहाजा इतनी महंगी सब्जी शायद ही सरगुज़ा के लोगो के किचन में कभी आती हो, लेकिन इसके स्वाद के सभी दीवाने हैं। आपको बतादें की यह मशरूम की एक प्रजाति है।


Body:गौरतलब है की हर वर्ष सरगुज़ा में डायरिया से होने वाली मौत या बीमारियों में डायरिया कारण पूटू को ही माना जाता है, इसके सेवन में सावधानी ना रखने पर मौत तक होती है, बावजूद इसके पूटू की बिक्रि कम नही होती, चिकित्सक भी मानते हैं की पुटू की सही पहचान आवश्यक है कई बार कुछ जहरीले पुटू खा लेने से लोगो की मौत हो जाती हैं, या इसमे संक्रमण होने से लोग बीमार हो जाते हैं। जबकी पुटू में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है, और ग्रामीण जो पैसे के आभाव में चिकन मटन नही खा पाते हैं उन्हें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पुटू सेवन से मिल जाता है, लेकिन यहां हालात कुछ और हैं गरीब तो छोड़िए पैसे वालो के भी इसे खरीदने में पसीने छूट जाएं क्योकी ये तो अब चिकन और मटन से भी महंगा बेचा जा रहा है, ग्रामीण अब इसे कुपोषण दूर करने के लिए नही बल्कि आय का साधन बना चुके हैं, महिलाएँ 90 -100 किलोमीटर दूर तारा और मोरगा क्षेत्र से अम्बिकापुर आकर पुटू बेचती हैं।


Conclusion:बहरहाल इस स्वादिष्ट सब्जी के गुण और दोष दोनों को जान लीजिए, सावधानी बरतिए और फिर तब पूटू खाइये, लेकिन डॉक्टर इसे खाने की सलाह बिलकुल नही देते हैं। बाईट01_डॉ अमीन फिरदौसी (समन्वयक शहरी स्वास्थ्य) बाईट02_जय कुमार (खरीददार) देश दीपक सरगुज़ा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.