नई दिल्ली : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला किया और अगले दौर की वार्ता के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया है.
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया.
भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता टिकैत ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा सरकार के साथ बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए.
टिकैत ने कहा कि हमने 29 दिसंबर को सरकार के साथ वार्ता करने का फैसला किया है.
अगली बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि (Modalities).
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान.
3. 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020' में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं.
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव.
दिल्ली की तीन सीमाओं - सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में हजारों किसान लगभग एक महीने से डेरा डाले हुए हैं. वे सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं.
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सरकार ने इन नए कृषि कानूनों को बड़े सुधार के रूप में पेश किया है, जिसका मकसद किसानों की मदद करना है. वहीं, प्रदर्शनकारी किसानों की आशंका है कि इससे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जिससे उन्हें बड़े कॉरपोरेटों की दया पर निर्भर रहना पड़ेगा.