नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में हुए पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है. इस क्रम में सोमवार को यहां यूपी भवन के सामने दिल्ली समाजवादी पार्टी छात्रसभा के सदस्यों ने यूपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. छात्रों ने पुष्पेंद यादव एनकांउटर को फर्जी बताया और इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है.
दिल्ली समाजवादी पार्टी छात्रसभा के सदस्य दिलीप यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इस मामले में संलिप्त एसएचओ घर्मेंद्र सिंह चौहान और झांसी एसपी श्रीप्रकाश द्विवेदी के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ' जिस तरीके से लखनऊ गोलीकांड में विवेक तिवारी की मौत के बाद उनकी पत्नी को योगी सरकार ने नौकरी दी थी. उसी तरह पुष्पेंद्र यादव की पत्नी को भी सरकार द्वारा नौकरी देनी चाहिए.'
दिलीप यादव ने कहा, 'झांसी एनकाउंटर में यूपी पुलिस और सरकार की मिलीभगत नजर आ रही है , क्योंकि इसमें किसी भी व्यक्ति की अबतक गिरफ्तारी नहीं हुई है.'
उन्होंने कहा, 'इस मामले की मजिस्ट्रियल जांच योगी सरकार के अंतर्गत आती है. इसलिए इस मामले की पूरी जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिए.'
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने ईटीवी भारत से कहा कि उत्तर प्रदेश में तत्कालीन माहौल देखकर यह प्रतीत होता है कि योगी सरकार सवर्ण जाति की सरकार होने का दावा पेश कर रही है और बहुजन समुदाय के लोगों को दरकिनार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, 'प्रदेश में हो रहे सिलसिलेवार हमले ज्यादातर दलित और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हैं.'
सतीश चंद्र यादव ने कहा, 'झांसी एनकाउंटर मामले में जिस तरीके से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और प्रदेश सरकार काम कर रही है, उससे यह पता चलता है कि वे इसे लेकर गंभीर नहीं हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि इस केस में निष्पक्ष रूप से जांच हो और जिस तरीके से अल्पसंख्यक और दलितों की हत्याएं हो रही हैं, उन पर लगाम लगाया जाए.'
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बता दें, पुष्पेंद्र की हत्या के बाद यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. अखिलेश यादव ने झांसी के इस विवादास्पद एनकाउंटर के मामले में पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा था कि इस मामले में न्यायालय जांच होनी चाहिए क्योंकि राज्य सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.