नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली में यमुना खादर इलाके के वजीराबाद में यमुना किनारे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी काफी सालों से अपनी बस्ती बसा कर रह रहे हैं. इन लोगों के पास ना तो खाना है और ना ही दिल्ली सरकार द्वारा इन्हें कोई सुविधा दी जा रही है. ये लोग जैसे-तैसे अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. साथ ही निजी संस्थाएं इन लोगों के लिए खाने का राशन मुहैया करवा रही है.
ईटीवी भारत की टीम ने की पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर रियलिटी चेक किया तो पाया कि तपती धूप में यह लोग किस तरह अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं. लॉकडाउन के समय में इनके पास खाने के लिए पर्याप्त खाना नहीं है, संस्थाएं इन्हें खाना आबंटित कर रही है.
शरणार्थियों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की ओर से इन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निजी संस्थाएं खाना और दवाइयां मुहैया करवा रही हैं. सरकार की ओर से ध्यान ना दिए जाने पर इनके पास सरकार के खिलाफ शिकायतों का भंडार है.
डॉक्टर्स के संस्था कर रही है मदद
पाकिस्तान से आए अर्जुन दास शरणार्थी ने बताया कि वह यहां पर करीब दो साल से रह रहे हैं. इस इलाके में शरणार्थियों के 90 परिवार रहते हैं जिनमें में करीब 300 के आसपास लोग हैं. यमुना किनारे बहुत परेशानियां हैं, सबसे पहले यमुना में हर साल बाढ़ आने की वजह से इन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है.
पिछली बार जब यमुना में बाढ़ आई थी उसके बाद यह लोग सिग्नेचर ब्रिज के किनारे अपना सामान लेकर आ गए. इन्हें संक्रमित बीमारियों का सामना करना पड़ा, जिसके लिए डॉक्टर्स की एक संस्था ने इनका फ्री में इलाज किया और अब वही संस्था इन लोगों के लिए खाना उपलब्ध करवा रही है.
निजी संस्था पहुंचा रही मदद
संस्था के पदाधिकारी डॉ यूके चौधरी का कहना है कि दिल्ली में एक महीने से ज्यादा का समय लॉकडाउन चलते हुए हो गया जिसकी वजह से इन लोगों के पास खाने के लिए खाना और अन्य जरूरत का सामान नहीं है.
संस्था ने इन लोगों के लिए दवा और खाने के सामान पहुंचाया है. खाने के लिए सभी जरूरी सामान इन लोगों को दिया जा रहा है ताकि लॉकडाउन के समय इन लोगों के पास खाने का संकट ना हो. संस्था समय-समय पर इनकी मदद करते रहती है.
शरणार्थियों को मिले पक्का आश्रय
जरूरत है सरकार पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों पर ध्यान दें और इन लोगों के लिए जरूरत की सुविधाएं मुहैया करवाए. यमुना में हर साल बाढ़ की स्थिति होने की वजह से इन लोगों के लिए उचित स्थान की व्यवस्था भी करें ताकि इन लोगों को पक्का आश्रय मिल सके.