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लोकसभा में शाह बोले- कश्मीर समस्या नेहरू की देन, भड़क गए कांग्रेसी

गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा. इससे पहले कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन के प्रस्ताव का विरोध भी किया. लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण कानून में संशोधन बिल भी पास हो गया है. इसमें सीमावर्ती इलाकों में आरक्षण का प्रस्ताव किया गया है. पढ़ें पूरा विवरण

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Published : Jun 28, 2019, 12:39 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 5:37 PM IST

लोकसभा में अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर अपनी बात रखी. उन्होंने राज्य में छह महीने और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का प्रस्ताव रखा. शाह ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय मुद्दा काफी अहम है.

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा सरकार आतंकवाद को जड़ समेत उखाड़ फेंकने को कटिबद्ध है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान कश्मीर में कई अहम कार्य हुए हैं. उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. कानून में संशोधन का बिल लोकसभा से पास हो गया है.

reservation bill passed in lok sabha
आरक्षण कानून में संशोधन का बिल पास

अमित शाह का बिंदुवार संबोधन

  • जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की प्रकृति स्थाई नहीं है.
  • चुनाव आयोग जब भी फैसला करेगा तब जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक ढंग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे.
  • हम पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ों का खात्मा करेंगे, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई
  • नरेंद्र मोदी सरकार की नीति, आतंकवाद को कतई सहन नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की है.
  • कांग्रेस पर हमला करते हुए शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का एक तिहाई भाग हमारे साथ नहीं है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है.
  • सरकार ने समीक्षा करने के बाद 919 लोगों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया. इसका कारण इन लोगों को कोई खतरा नहीं होना था.
  • हमने कभी राज्य की सरकारों को बर्खास्त करने के लिए आर्टिकल 356 का प्रयोग नहीं किया, जबकि कांग्रेस की सरकारों ने ऐसा किया.
  • कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में 93 बार राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया. शाह ने बताया कि अब तक कुल 132 मौकों पर राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) लागू किए गए हैं.
  • सरकार ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा उपकरण पुख्ता करने के लिए 2307 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
  • हमारी विचारधारा सीमा की सुरक्षा और देश से आतंक का खात्म करने की है.
    अमित शाह (केंद्रीय गृह मंत्री)

शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन प्रस्ताव पेश किया

जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल में बदलाव की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए जो हम प्रस्ताव ला रहे हैं इससे अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं पर बसे गांवों के लोगों को फायदा होगा. इससे जम्मू, कठुआ जिले के लोगों को फायदा होगा.
पाकिस्तान से जब सीजफायर का उल्लंघन होता है तब इससे गांव वालों को काफी नुकसान होता है. इसलिए इस प्रस्ताव से सीमा पर रहने वाले बच्चों को काफी फायदा होगा.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का जिक्र करते हुए आगे कहा कि आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.
राज्य में एक साल के भीतर पंचायत चुनाव कराए गए है. पहले जम्मू-कश्मीर में कई साल तक पंचायती चुनाव नहीं कराए जाते थे.

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पंचायतों को पैसा देने का काम किया है. शाह ने कहा कि राज्य में 40 हजार पदों के लिए चुनाव हुए लेकिन उस दौरान एक भी जान नहीं गई. कानून व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में है.

कांग्रेस ने किया विरोध

दूसरी तरफ कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर देश के लिए अहम है.

मनीष तिवारी ने कहा, 'आपकी आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों'

मनीष तिवारी (नेता, कांग्रेस)

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा में पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित होते हैं. उन्हें आरक्षण का लाभ अवश्य मिलना चाहिए.

नियंत्रण रेखा से सटे लोगों के जो 3 फीसदी आरक्षण है इसके अंदर अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांव के लोगों को भी 3 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाना चाहिए.

अमित शाह ने कहा कि जनता यह अब महसूस करती है कि जम्मू और लद्दाख भी राज्य का हिस्सा है. सबको अधिकार देने का काम मोदी सरकार ने किया है. सीमा पर रहने वाले लोगों की जान की कीमत है और इसलिए सीमा पर बंकर बनाने का फैसला हुआ है.

जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल हो इसके लिए सरकार कटिबद्ध है.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर अपनी बात रखी. उन्होंने राज्य में छह महीने और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का प्रस्ताव रखा. शाह ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में क्षेत्रीय मुद्दा काफी अहम है.

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उन्होंने कहा सरकार आतंकवाद को जड़ समेत उखाड़ फेंकने को कटिबद्ध है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान कश्मीर में कई अहम कार्य हुए हैं. उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. कानून में संशोधन का बिल लोकसभा से पास हो गया है.

reservation bill passed in lok sabha
आरक्षण कानून में संशोधन का बिल पास

अमित शाह का बिंदुवार संबोधन

  • जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की प्रकृति स्थाई नहीं है.
  • चुनाव आयोग जब भी फैसला करेगा तब जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक ढंग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होंगे.
  • हम पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ों का खात्मा करेंगे, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई
  • नरेंद्र मोदी सरकार की नीति, आतंकवाद को कतई सहन नहीं करने (जीरो टॉलरेंस) की है.
  • कांग्रेस पर हमला करते हुए शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का एक तिहाई भाग हमारे साथ नहीं है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है.
  • सरकार ने समीक्षा करने के बाद 919 लोगों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया. इसका कारण इन लोगों को कोई खतरा नहीं होना था.
  • हमने कभी राज्य की सरकारों को बर्खास्त करने के लिए आर्टिकल 356 का प्रयोग नहीं किया, जबकि कांग्रेस की सरकारों ने ऐसा किया.
  • कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में 93 बार राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया. शाह ने बताया कि अब तक कुल 132 मौकों पर राष्ट्रपति शासन (आर्टिकल 356) लागू किए गए हैं.
  • सरकार ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा उपकरण पुख्ता करने के लिए 2307 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
  • हमारी विचारधारा सीमा की सुरक्षा और देश से आतंक का खात्म करने की है.
    अमित शाह (केंद्रीय गृह मंत्री)

शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन प्रस्ताव पेश किया

जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल में बदलाव की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए जो हम प्रस्ताव ला रहे हैं इससे अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं पर बसे गांवों के लोगों को फायदा होगा. इससे जम्मू, कठुआ जिले के लोगों को फायदा होगा.
पाकिस्तान से जब सीजफायर का उल्लंघन होता है तब इससे गांव वालों को काफी नुकसान होता है. इसलिए इस प्रस्ताव से सीमा पर रहने वाले बच्चों को काफी फायदा होगा.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का जिक्र करते हुए आगे कहा कि आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.
राज्य में एक साल के भीतर पंचायत चुनाव कराए गए है. पहले जम्मू-कश्मीर में कई साल तक पंचायती चुनाव नहीं कराए जाते थे.

भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पंचायतों को पैसा देने का काम किया है. शाह ने कहा कि राज्य में 40 हजार पदों के लिए चुनाव हुए लेकिन उस दौरान एक भी जान नहीं गई. कानून व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में है.

कांग्रेस ने किया विरोध

दूसरी तरफ कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर देश के लिए अहम है.

मनीष तिवारी ने कहा, 'आपकी आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों'

मनीष तिवारी (नेता, कांग्रेस)

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा में पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित होते हैं. उन्हें आरक्षण का लाभ अवश्य मिलना चाहिए.

नियंत्रण रेखा से सटे लोगों के जो 3 फीसदी आरक्षण है इसके अंदर अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांव के लोगों को भी 3 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाना चाहिए.

अमित शाह ने कहा कि जनता यह अब महसूस करती है कि जम्मू और लद्दाख भी राज्य का हिस्सा है. सबको अधिकार देने का काम मोदी सरकार ने किया है. सीमा पर रहने वाले लोगों की जान की कीमत है और इसलिए सीमा पर बंकर बनाने का फैसला हुआ है.

जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल हो इसके लिए सरकार कटिबद्ध है.

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Last Updated : Jun 28, 2019, 5:37 PM IST
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