नई दिल्ली: 14वें मरुस्थलीकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय बैठक का उद्घाटन किया और उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. बैठक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, एवं राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे.
बैठक में जावड़ेकर ने हरित गतिविधियों (ग्रीन डीड्स) के प्रति भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस शिखर वार्ता में अग्रणी भूमिका निभाई थी. वह 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की प्रेरक शक्ति हैं.
उन्होंने कहा कि 'कॉप-14' पर्यावरण संबंधी अति महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए एक विश्व मंच के रूप में उभरा है. उन्होंने कहा कि यूएनसीसीडी कॉप-14 में 190 से अधिक देश, 100 मंत्री और 8000 भागीदार वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण के समाधान की दिशा में काम करने के लिए एकजुट हुए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले की घोषणा का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि देश ने 2.1 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में अब 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को 2030 तक उपजाऊ बनाने का लक्ष्य रखा है.
उन्होंने कहा, 'बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की हमारी प्रतिबद्धता पहले 1.3 करोड़ हेक्टेयर थी, जिसे बॉन चैलेंज के तहत निर्धारित किया गया था. हमने तब इसमें सुधार किया और इसे संशोधित कर 2.1 करोड़ हेक्टेयर पर लाए. अब आज प्रधानमंत्री ने कहा कि 2.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि 2030 तक उपजाऊ बनाई जाएगी.'
उन्होंने कहा कि उपजाऊ भूमि बनाने का लक्ष्य अब 50 लाख हेक्टेयर बढ़ा दिया गया है. उन्होंने आगे कहा, 'अगर हम बंजर जमीन को जल्दी उपजाऊ बनाते हैं तो उपजाऊ क्षेत्र बढ़ेगा. इसलिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.'
उन्होंने कहा, 'दिल्ली घोषणा पत्र का मसौदा तैयार है, इसमें सम्मेलन के दौरान पिछले एक सप्ताह से चल रही रचनात्मक चर्चा के आधार पर मरुस्थलीकरण के संकट से निपटने की कार्ययोजना को शामिल किया गया है.
पढ़ें-COP-14 में पीएम मोदी, 'सिंगल यूज प्लास्टिक पर दुनिया लगाए बैन'
सम्मेलन में सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडिनेस के प्रधानमंत्री राल्फ गोंजाल्विस, संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव अमीना जेन मोहम्मद, यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहीम थेव, लगभग 90 देशों के पर्यावरण मंत्रियों के अलावा लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
इस दौरान यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव थेव ने कहा कि सभी भागीदार देश अपनी बंजर जमीन को दुरुस्त करने और इनके प्रबंधन के जिस समझौते पर पहुंचेंगे, उसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी संभव बनाने के पहलू पर विचार किया जाना चाहिए, जिससे सभी पक्षकारों को अपनी कार्ययोजनाएं पूरी करने में मदद मिलेगी.