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प्रधानमंत्री ने की लद्दाख के हालात की समीक्षा, रक्षा मंत्री बोले- डटी रहेगी सेना, जारी रहेगा निर्माण

प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में उपजी तनावपूर्ण स्थिति की समीक्षा के लिए आज एक अहम बैठक की. बैठक में एनएसए अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख और सीडीएस जनरल रावत भी शामिल हुए. इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक करते हुए लद्दाख की जमीनी स्थिति की समीक्षा की.

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पीएम ने की हालात की समीक्षा
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Published : May 26, 2020, 6:19 PM IST

Updated : May 26, 2020, 9:15 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा स्थिति को लेकर देश के शीर्ष रक्षा और विदेशी मामलों के अधिकारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के साथ बैठक की. एनएसए अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत बैठक का हिस्सा थे. बैठक के दौरान मोदी यह जानना चाहते थे कि गतिरोध को कैसे समाप्त किया जाए और इस मुद्दे को कैसे हल किया जाए.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव बना हुआ है और वह एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. इसे देखते हुए मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक अहम बैठक की. बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली. इसमें राजनाथ सिंह को चीनी सैनिकों की लामबंदी के लिए भारतीय प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी गई. इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई ने अपने शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर के बीच गत 22 और 23 मई को LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास निर्दिष्ट बिंदुओं पर एक साथ मिले. एएनआई सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति को टालने का प्रयास किया.

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की एक अहम बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि भारतीय सेना मजबूती के साथ डटी रहेगी और साथ ही स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए बातचीत जारी रहेगी.

बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि सड़क निर्माण जारी रहना चाहिए और भारतीय किलेबंदी और सेना की तैनाती चीनियों से मेल खानी चाहिए.

इससे पहले भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न स्थिति को हल करने के लिए कई बैठकें कीं. हालांकि सोमवार तक इसमें कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी है.

सूत्रों ने कहा कि पिछली बैठक रविवार को हुई थी, लेकिन कई बातें अनसुलझी रहीं. सूत्रों ने कहा कि इसके बाद होने वाली और कमांडर स्तर की वार्ता से मुद्दों को हल करने की संभावना है.

सूत्रों ने कहा कि अब तक जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के पांच दौर हो चुके हैं, हालांकि इसमें कोई समाधान नहीं निकल पाया.

भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'अभी कोई सफलता नहीं मिली है.' उन्होंने यह भी कहा कि स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने निर्माण कार्य जारी रखेगी.

सूत्रों ने कहा कि दोनों ओर से सेना तैनात हैं और ऐसे तीन से चार स्थान हैं, जहां पांच मई से ही दोनों ओर के सुरक्षाबल आमने-सामने हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों पक्षों ने चार स्थानों पर 1000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है.

भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र और गलवान घाटी क्षेत्र में कड़ी निगरानी बनाए हुए है. इस क्षेत्र में चीन ने भी तैनाती बढ़ाई हुई है. पैंगोंग त्सो के अलावा ट्रिग हाइट्स, डेमचोक और चुमार ऐसे क्षेत्र हैं, जो बेहद संवेदनशील हैं.

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में पांच व छह मई को भारत व चीनी सेना के बीच झपड़ हो गई थी. दोनों सेनाओं के बीच पांच मई को तनाव बढ़ा था और छह मई की सुबह तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. इस झड़प के दौरान दोनों पक्षों के सैनिकों के घायल होने की खबरें भी आई थीं.

सूत्रों ने कहा कि चीन की ओर से बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ी का गठन किया गया है, जो गतिरोध वाली जगह से बहुत दूर नहीं है.

यह भी देखा गया कि चीन द्वारा पैंगोंग झील में गश्त बढ़ाई जा रही है. उन्होंने नावों की संख्या भी बढ़ा दी है.

भारतीय की ओर से क्षेत्र में सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं. भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण से चीन को आपत्ति है. हालांकि भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया है कि पैंगोंग झील पर कोई निरंतर तौर पर कोई आमना-सामना नहीं हो रहा है और क्षेत्र में सशस्त्र सैनिकों की तैनाती नहीं की गई है.

शुक्रवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने लद्दाख में 14 कोर मुख्यालय, लेह का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने एलएसी पर सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर समीक्षा भी की थी.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा स्थिति को लेकर देश के शीर्ष रक्षा और विदेशी मामलों के अधिकारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के साथ बैठक की. एनएसए अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत बैठक का हिस्सा थे. बैठक के दौरान मोदी यह जानना चाहते थे कि गतिरोध को कैसे समाप्त किया जाए और इस मुद्दे को कैसे हल किया जाए.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव बना हुआ है और वह एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. इसे देखते हुए मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक अहम बैठक की. बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली. इसमें राजनाथ सिंह को चीनी सैनिकों की लामबंदी के लिए भारतीय प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी गई. इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई ने अपने शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय और चीनी सैन्य कमांडर के बीच गत 22 और 23 मई को LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास निर्दिष्ट बिंदुओं पर एक साथ मिले. एएनआई सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति को टालने का प्रयास किया.

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की एक अहम बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि भारतीय सेना मजबूती के साथ डटी रहेगी और साथ ही स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए बातचीत जारी रहेगी.

बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि सड़क निर्माण जारी रहना चाहिए और भारतीय किलेबंदी और सेना की तैनाती चीनियों से मेल खानी चाहिए.

इससे पहले भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न स्थिति को हल करने के लिए कई बैठकें कीं. हालांकि सोमवार तक इसमें कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी है.

सूत्रों ने कहा कि पिछली बैठक रविवार को हुई थी, लेकिन कई बातें अनसुलझी रहीं. सूत्रों ने कहा कि इसके बाद होने वाली और कमांडर स्तर की वार्ता से मुद्दों को हल करने की संभावना है.

सूत्रों ने कहा कि अब तक जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के पांच दौर हो चुके हैं, हालांकि इसमें कोई समाधान नहीं निकल पाया.

भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, 'अभी कोई सफलता नहीं मिली है.' उन्होंने यह भी कहा कि स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने निर्माण कार्य जारी रखेगी.

सूत्रों ने कहा कि दोनों ओर से सेना तैनात हैं और ऐसे तीन से चार स्थान हैं, जहां पांच मई से ही दोनों ओर के सुरक्षाबल आमने-सामने हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों पक्षों ने चार स्थानों पर 1000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है.

भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र और गलवान घाटी क्षेत्र में कड़ी निगरानी बनाए हुए है. इस क्षेत्र में चीन ने भी तैनाती बढ़ाई हुई है. पैंगोंग त्सो के अलावा ट्रिग हाइट्स, डेमचोक और चुमार ऐसे क्षेत्र हैं, जो बेहद संवेदनशील हैं.

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में पांच व छह मई को भारत व चीनी सेना के बीच झपड़ हो गई थी. दोनों सेनाओं के बीच पांच मई को तनाव बढ़ा था और छह मई की सुबह तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. इस झड़प के दौरान दोनों पक्षों के सैनिकों के घायल होने की खबरें भी आई थीं.

सूत्रों ने कहा कि चीन की ओर से बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ी का गठन किया गया है, जो गतिरोध वाली जगह से बहुत दूर नहीं है.

यह भी देखा गया कि चीन द्वारा पैंगोंग झील में गश्त बढ़ाई जा रही है. उन्होंने नावों की संख्या भी बढ़ा दी है.

भारतीय की ओर से क्षेत्र में सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं. भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण से चीन को आपत्ति है. हालांकि भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया है कि पैंगोंग झील पर कोई निरंतर तौर पर कोई आमना-सामना नहीं हो रहा है और क्षेत्र में सशस्त्र सैनिकों की तैनाती नहीं की गई है.

शुक्रवार को भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने लद्दाख में 14 कोर मुख्यालय, लेह का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने एलएसी पर सुरक्षा बलों की तैनाती को लेकर समीक्षा भी की थी.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : May 26, 2020, 9:15 PM IST
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