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महाबलीपुरम : सागर से संवाद करने में खो गए PM मोदी, लिख दी ये कविता - मोदी की कविता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाबलीपुरम में समंदर से संवाद करते हुए एक कविता लिखी है. ट्विटर पर शेयर करते ही उनकी कविता सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. हालांकि, मोदी ने कोई पहली बार कविता नहीं लिखी है. पढ़ें पूरी खबर...

महाबलीपुरम में मोदी
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Published : Oct 13, 2019, 7:56 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाबलीपुरम में समंदर की लहरों से संवाद करते हुए, एक कविता लिखकर कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिला दी. दिवंगत अटल जी की पहचान एक राजनेता के साथ संवेदनशील कवि की भी रही है. वह अपने जज्बातों को समय-समय पर कविताओं के जरिए बयां किया करते थे.

पीएम मोदी ने ठीक उसी नक्शेकदम पर चलते हुए एक बार फिर कविता के जरिये अपनी भावनाओं को काव्यात्मक रूप में व्यक्त किया. मौका, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ऐतिहासिक महाबलीपुरम में शिखर वार्ता का था. इस सिलसिले में वहां पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी जब बीच पर चहलकदमी कर रहे थे तो वह समंदर के सौंदर्य और उसमें छिपे जीवन-दर्शन को खोजकर कविता रचने से खुद को रोक नहीं सके.

ट्विटर पर रविवार को शेयर करते ही उनकी कविता सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. वैसे मोदी ने कोई पहली बार कविता नहीं लिखी है, उनका कविताओं और साहित्य से पुराना नाता रहा है.

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मोदी ने लिखी ये कविता

देश, समाज, पर्यावरण, प्रेम, संघ नेताओं आदि पर लिखी अब तक उनकी 11 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं. इनमें गुजराती में लिखा काव्य संग्रह- 'आंख अ धन्य छे' प्रमुख है, इसमें मोदी की 67 कविताएं हैं. मध्य प्रदेश भाजपा की पत्रिका 'चरैवेति' में उनकी गुजराती में लिखी कविताओं का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है.

ये भी पढ़ें : Instagram पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता बने PM मोदी

वर्ष 2015 में 'साक्षी भाव' नाम से भी कविता संग्रह छप चुकी है, जिसमें मां से संवाद करती हुई उनकी कविताएं हैं. 'सामाजिक समरसता', 'ज्योतिपुंज' नाम से भी उनकी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. बच्चों को परीक्षा के तनाव से उबारने के लिए उनकी साल 2018 में प्रकाशित पुस्तक 'एग्जाम वॉरियर्स' सुर्खियों में रही थी.

पीएम मोदी ने रविवार को करीब अपराह्न 2.30 बजे एक ट्वीट कर लिखा, 'कल महाबलीपुरम में सवेरे तट पर टहलते-टहलते सागर से संवाद करने में खो गया. ये संवाद मेरा भाव-विश्व है. इस संवाद भाव को शब्दबद्ध करके आपसे साझा कर रहा हूं.'

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिखी गई कविता :

हे..सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
तू धीर है, गंभीर है,
जग को जीवन देता, नीला है नीर तेरा!
ये अथाह विस्तार, ये विशालता
तेरा ये रूप निराला।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
सतह पर चलता ये कोलाहल, ये उत्पाद,
कभी ऊपर तो कभी नीचे,
गरजती लहरों का प्रताप,
ये तुम्हारा दर्द है, आक्रोश है
या फिर संताप?
तुम न होते विचलित
न आशंकित, न भयभीत
क्योंकि तुममें है गरहाई !
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
शक्ति का अपार भंडार समेटे,
असीमित ऊर्जा स्वयं में लपेटे
फिर भी अपनी मयार्दाओं को बांधे,
तुम कभी न अपनी सीमाएं लांघे!
हर पल बड़प्पन का बोध दिलाते।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
तू शिक्षादाता, तू दीक्षादाता
तेरी लहरों में जीवन का
संदेश समाता।
न वाह की चाह
न पनाह की आस
बेपरवाह सा ये प्रवास।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
चलते-चलाते जीवन संवारती,
लहरों की दौड़ तेरी।
न रुकती, न थकती,
चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति का मंत्र सुनाती।
निरंतर.सर्वत्र!
ये यात्रा अनवरत,
ये संदेश अनवरत।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
लहरों में उभरती नई लहरें।
विलय में भी उदय,
जनम-मरण का क्रम है अनूठा,
ये मिटती-मिटाती, तुम में समाती,
पुनर्जन्म का अहसास कराती।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
सूरज से तुम्हारा नाता पुराना,
तपता-तपाता,
ये जीवंत-जल तुम्हारा।
खुद को मिटाता, आसमान को छूता,
मानो सूरज को चूमता,
बन बादल फिर बरसता,
मधु भाव बिखेरता।
सुजलाम-सुफलाम सृष्टि सजाता।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
जीवन का ये सौंदर्य,
जैसे नीलकंठ का आदर्श,
धरा का विष, खुद में समाया,
खारापन समेट अपने भीतर,
जग को जीवन नया दिलाया,
जीवन जीने का मर्म सिखाया।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाबलीपुरम में समंदर की लहरों से संवाद करते हुए, एक कविता लिखकर कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिला दी. दिवंगत अटल जी की पहचान एक राजनेता के साथ संवेदनशील कवि की भी रही है. वह अपने जज्बातों को समय-समय पर कविताओं के जरिए बयां किया करते थे.

पीएम मोदी ने ठीक उसी नक्शेकदम पर चलते हुए एक बार फिर कविता के जरिये अपनी भावनाओं को काव्यात्मक रूप में व्यक्त किया. मौका, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ ऐतिहासिक महाबलीपुरम में शिखर वार्ता का था. इस सिलसिले में वहां पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी जब बीच पर चहलकदमी कर रहे थे तो वह समंदर के सौंदर्य और उसमें छिपे जीवन-दर्शन को खोजकर कविता रचने से खुद को रोक नहीं सके.

ट्विटर पर रविवार को शेयर करते ही उनकी कविता सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. वैसे मोदी ने कोई पहली बार कविता नहीं लिखी है, उनका कविताओं और साहित्य से पुराना नाता रहा है.

pm-modi-pens-poem-at-ocean-in-mamallapuram-in-tamil-nadu etv bharat
मोदी ने लिखी ये कविता

देश, समाज, पर्यावरण, प्रेम, संघ नेताओं आदि पर लिखी अब तक उनकी 11 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकीं हैं. इनमें गुजराती में लिखा काव्य संग्रह- 'आंख अ धन्य छे' प्रमुख है, इसमें मोदी की 67 कविताएं हैं. मध्य प्रदेश भाजपा की पत्रिका 'चरैवेति' में उनकी गुजराती में लिखी कविताओं का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हो चुका है.

ये भी पढ़ें : Instagram पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता बने PM मोदी

वर्ष 2015 में 'साक्षी भाव' नाम से भी कविता संग्रह छप चुकी है, जिसमें मां से संवाद करती हुई उनकी कविताएं हैं. 'सामाजिक समरसता', 'ज्योतिपुंज' नाम से भी उनकी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. बच्चों को परीक्षा के तनाव से उबारने के लिए उनकी साल 2018 में प्रकाशित पुस्तक 'एग्जाम वॉरियर्स' सुर्खियों में रही थी.

पीएम मोदी ने रविवार को करीब अपराह्न 2.30 बजे एक ट्वीट कर लिखा, 'कल महाबलीपुरम में सवेरे तट पर टहलते-टहलते सागर से संवाद करने में खो गया. ये संवाद मेरा भाव-विश्व है. इस संवाद भाव को शब्दबद्ध करके आपसे साझा कर रहा हूं.'

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिखी गई कविता :

हे..सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
तू धीर है, गंभीर है,
जग को जीवन देता, नीला है नीर तेरा!
ये अथाह विस्तार, ये विशालता
तेरा ये रूप निराला।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
सतह पर चलता ये कोलाहल, ये उत्पाद,
कभी ऊपर तो कभी नीचे,
गरजती लहरों का प्रताप,
ये तुम्हारा दर्द है, आक्रोश है
या फिर संताप?
तुम न होते विचलित
न आशंकित, न भयभीत
क्योंकि तुममें है गरहाई !
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
शक्ति का अपार भंडार समेटे,
असीमित ऊर्जा स्वयं में लपेटे
फिर भी अपनी मयार्दाओं को बांधे,
तुम कभी न अपनी सीमाएं लांघे!
हर पल बड़प्पन का बोध दिलाते।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
तू शिक्षादाता, तू दीक्षादाता
तेरी लहरों में जीवन का
संदेश समाता।
न वाह की चाह
न पनाह की आस
बेपरवाह सा ये प्रवास।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
चलते-चलाते जीवन संवारती,
लहरों की दौड़ तेरी।
न रुकती, न थकती,
चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति का मंत्र सुनाती।
निरंतर.सर्वत्र!
ये यात्रा अनवरत,
ये संदेश अनवरत।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
लहरों में उभरती नई लहरें।
विलय में भी उदय,
जनम-मरण का क्रम है अनूठा,
ये मिटती-मिटाती, तुम में समाती,
पुनर्जन्म का अहसास कराती।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
सूरज से तुम्हारा नाता पुराना,
तपता-तपाता,
ये जीवंत-जल तुम्हारा।
खुद को मिटाता, आसमान को छूता,
मानो सूरज को चूमता,
बन बादल फिर बरसता,
मधु भाव बिखेरता।
सुजलाम-सुफलाम सृष्टि सजाता।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
जीवन का ये सौंदर्य,
जैसे नीलकंठ का आदर्श,
धरा का विष, खुद में समाया,
खारापन समेट अपने भीतर,
जग को जीवन नया दिलाया,
जीवन जीने का मर्म सिखाया।
हे.. सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!

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PM-OCEAN-POEM
PM Modi pens poem on his 'conversation' with ocean at Mamallapuram
          New Delhi, Oct 13 (PTI) The early morning stroll on the Mamallapuram beach brought out the poet in Prime Minister Narendra Modi.
          Modi said while strolling on the beach, he got lost in "conversation" with the ocean.
          "This conversation carries the world of my feelings. I am sharing the feeling with you in the form of a poem," he wrote on Twitter in Hindi on Sunday.
          Modi on Saturday had released a three-minute video of his plog on the beach where he was seen collecting waste and urged the people to ensure that public places are clean and tidy.
         In the eight-paragraph signed poem, Modi describes the ocean's relationship with the sun, the waves, and its pain.
          His collection of poems titled "A Journey" is already available. PTI NAB
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Last Updated : Oct 13, 2019, 8:05 PM IST
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